Sunday, 22 February 2015

नालन्दा विश्वविद्यालय और अमर्त्य सेन :- 2700 करोड़ स्वाहा !!
अमर्त्य सेन जैसे महामानव ने वो कर दिखाया दिखाया जो किसी भी आम इंसान के बस की बात नहीं। 2010 में शुरू हुआ नालंदा विश्वविद्याल जिसमे सितम्बर 2014 में 11 faculty और 15
विद्यार्थियों ही आये और काम शुरू किया गया - अगुवा हैं
इसके अमर्त्य सेन। इन पन्द्रह विद्यार्थियों में से 5 तो भाग गए
और बचे हुवे 9 को 11 faculty मैम्बर ने कटहल के पेंड़ पे कद्दू उगाने जैसे या फिर Vikas Agrawal भाई के अनुसार शायद कटहल के पेंड़ पे ब्रेन मैपिंग सिखाया। इस महान कृत्य से अमर्त्य सेन ने 2700 करोड़ रुपये जैसे छोटी रकम का किया स्वाहा, (कोई बिल्डिंग के बारे में मत पूछना - उसका डिज़ाइन बनानें का कम्पटीशन वाला प्रोग्राम अभी चल रहा है) ....
ख़बरदार अगर किसी ने पूछा कोई प्रश्न क्योंकि अमर्त्य सेन महामानव हैं, वामपंथियों के चहेते हैं, सेक्युलरैती की पराकाष्ठा हैं। अमर्त्य सेन
समाचार की दुनिया के दलालों के लिए अज़र अमर हैं ....
2700 करोड़ उनके सामने कुछ
भी नहीं .... समाचार बनाने के दलालों जैसे कि रवीशों, पुण्य प्रसूनों, अभिसारों, विद्रोहियों, अंजनाओं, अभिज्ञानों को प्रधान
मंत्री के सूट पे पूरा प्राइम टाइम और खबर का अम्बार खड़ा करने का समय है। लेकिन इन समाचार के दलालों में इतना दम
नहीं कि अमर्त्य सेन जैसे वामपंथी महामानव के इस शिक्षा के दुष्कर्म के खिलाफ एक लाइन भी बना सकें …।
आम आदमी पार्टी के मुखिया और उनके चपाड़ुओं को मोदी का सूट दिखता हैं, अम्बानी के खरीदे हुए हुए ये अपाई ज़रखरीद गुलाम और जासूस अमर्त्य सेन की इस कारस्तानी पे चुप हैं। इन 2700 करोड़ में कितने गरीबों का पेट भर सकता था, कितनों को सर ढकने के लिए घर मिल सकता था - ये वाले जुमले गायब हैं। अन्ना की होने वाले नौटंकी में अमर्त्य सेन के नाम का जिक्र नहीं होता है, न होगा … क्यों ?? . समाचार के दलालों के लिए 2700 का स्वाहा होना कोई बात नहीं है क्योंकि ये दुष्कर्म किसी वामपंथी के द्वारा किया गया है … उसका सब जायज़ है … हाँ मोदी के कुर्ते-पजामे, नाड़े और जूते
की गिनती होती रही चाहिए
…!!

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