Thursday 12 February 2015

दिल्ली चुनावो का सबसे अच्छा विशेषण वाशिंगटन पोस्ट ने किया है ... अख़बार ने लिखा है की भारत की जनता मुफ्त में हर चीज पाना चाहती है .. यही कारण है की भारत में इतनी बेकारी और गरीबी है ... अच्छा है की अमेरिका में अभी ये ट्रेंड शुरू नही हुआ वरना अमेरिका दिवालिया हो जायेगा ..जैसे यूपी में एक पार्टी ने मुफ्त में लैपटॉप और सिर्फ १००० रूपये यानी आठ डालर महीने देने का वायदा करके बम्पर जीत हासिल की .. तमिलनाडु में एक पार्टी में जूसर मिक्सर ग्राइंडर देकर जीत हासिल की .. लेकिन जनता को सोचना चाहिए की कोई भी पार्टी ये अपने पार्टी फंड से नही बल्कि सरकारी फंड से ही देती है जो जनता के टैक्स से ही आता है .. यदि ये पैसा विकास कार्यो में खर्च होता तो आज भारत बहुत आगे होता
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एक सबाल ........................?

लोकसभा चुनाव में मोदी की जीत के बाद दुनिया के इस्लामी मुल्को में भय का वातावरण था ..पाकिस्तान हो या बंगलादेश या फिर गल्फ कंट्री ..सभी जगह एक दुःख भारी मायूसी देखी गई थी ..बाद के समय में जब भी पाकिस्तान ने भारत की सीमा में फायरिंग को तो एक पाकिस्तानी गोली के बदले हिन्दुस्तानी फ़ौज की दस बारूदी गोलियों ने पाकिस्तान की गांड के टाँके तोड़ दिए ..पाकिस्तानी आर्मर्ड फोर्सेज के बड़े अधिकारियों की मीटिंग में पाकिस्तानी बड़े मायूस दिखाई दिया करते थे ......................लेकिन दिल्ली में केजरीवाल की जीत के बाद दुनिया के इस्लामी देशी में भीषण खुशी का माहौल है .....................यहाँ तक की भारत को हजारों खूनी घाव देने बाली पाकिस्तानी इंटेलीजेंस एजेंसी ''इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस ISI भी केजरीवाल की जीत का जश्न मना रही है .आपके अनुसार इसके क्या कारण हो सकते है ???
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दिल्ली में भाजप की हार का एनालिसीस:
1. शाही इमाम का फतवा काम कर गया। सोच लीजिऐ ये दिल्ली है। कल पूरा हिन्दुस्थान पर मुस्लिमो का शासन हो सकता है अगर इस तरह इनकी जनसंख्या बढती रही।
2. मोदी ने केन्द्र में विकास तो नहीं किया और हिन्दूत्व को भी छोड दिया। 2004 के बाद ये दूसरा सबक है कि मुस्लिम भाजप का कभी नहीं होनेवाला चाहे आप मदरेसा का फंड बढाओ, अल्लाताला बोलो या अजान के समय सभा रुकवा दो।
3. सेक्युलर मीडिया की भी ये जीत है। आप को अपना मीडिया बनाना पडेगा। पीटीआई युऐनआई और हर चेनल न्यूझपेपर में अपने लोग बिठाने होगे।
4. संघ के बिना भाजप नहीं जीत सकता ये फिर साबित हो गया।
5. निराश होने की झरुरत नहीं। ये तो छोटा चुनाव था। अभी बिहार और बंगाल आने बाकी है। बिहार में मांझी को समर्थन देना वैसी ही गलती होगी जैसे शंकरसिंह वाघेला को काॅग्रेस ने समर्थन दिया था।
दिल्ली में भी अगला चुनाव जीतना है तो नकारात्मक राजनीति बंध करनी होगी।
पाकिस्तान को शाल नहीं गोलीबारी से जवाब देना होगा।

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