Wednesday 25 February 2015

 
. आखिर मदर टेरेसा का मकसद क्या था – सेवा या धर्मांतरण.

मदर टेरेसा की ईसाई धर्म में आस्था बेहद गहरी थी. जीसस क्राइस्ट के लिए उनका समर्पण ही उन्हें ईसाई मिशनरी बनाकर भारत ले आया था. कोलकाता के कालीघाट इलाके से शुरु हुआ ये सेवा का सफर मदर टेरेसा के लिए लाया बेशुमार शोहरत. उनका गरीबों से ये प्रेम दुनिया के सामने तब आया जब 1969 में इंग्लैंड के खबरिया चैनल बीबीसी ने उनके इस काम को अपने कैमरे में कैद कर दुनिया के सामने पहुंचा दिया.

मदर टेरेसा को जो शोहरत मिली वो जल्द ही विवादों में भी आ गई. साल 1989 में बड़ा सवाल उठाया कोलकाता में उनके साथ 9 साल काम करने वाली सुजैन शील्ड ने सुजैन ने लिखा कि मदर को इस बात की बेहद चिंता थी कि हम खुद को गरीब बनाए रखें. पैसे खर्च करने से गरीबी खत्म हो सकती है. उनका मानना था इससे हमारी पवित्रता बनी रहेगी और पीड़ा झेलने से जीसस जल्दी मिलेगा. यहां तक कि वह जिनकी सेवा करती थीं उन्हें पुराने इंजेक्शन की सुई खराब हो जाने से दर्द होता था लेकिन वह नए इंजेक्शन भी नहीं खरीदने देती थीं.

मदर टेरेसा ऐसा क्यों चाहती थीं?  इसका जवाब 1989 में मदर टेरेसा ने खुद टाइम मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में दिया था.

सवाल – भगवान ने आपको सबसे बड़ा तोहफा क्या दिया है?
मदर टेरेसा – गरीब लोग
सवाल – (चौंकते हुए) वो तोहफा कैसे हो सकते हैं?
मदर टेरेसा –उनके सहारे 24 घंटे जीसस के पास रहा जा सकता है.

मदर टेरेसा ने इसी इंटरव्यू में धर्मांतरण पर भी अपना रुख साफ किया था

सवाल – भारत में आपकी सबसे बड़ी उम्मीद क्या है?
जवाब – सब तक जीसस को पहुंचाना.
सवाल – आपके दोस्तों का मानना है कि आपने भारत जैसे हिंदू देश में ज्यादा धर्मांतरण ना करके उन्हें निराश किया है?
जवाब – मिशनरी ऐसा नहीं सोचते. वे सिर्फ जीसस के शब्दों पर भरोसा करते हैं. संख्या का इसके कोई लेना देना नहीं है. लोग लगातार सेवा करने और खाना खिलाने आ रहे हैं. जाइए और देखिए. हमें कल का पता नहीं लेकिन क्राइस्ट के दरवाजे खुले हैं. हो सकता है ज्यादा बड़ा धर्मांतरण ना हुआ हो लेकिन हम अभी नहीं जान सकते कि आत्मा पर क्या असर हो रहा है.

सवाल – क्या उन लोगों को जीसस से प्यार करना चाहिए?
जवाब – सामान्य तौर पर अगर उन्हें शांति चाहिए, उन्हें खुशी चाहिए तो उन्हें जीसस को तलाशने दीजिए. अगर लोग हमारे प्यार से बेहतर हिंदू बनें, बेहतर मुसलमान बनें, बेहतर बौद्ध बनें तो इसका मतलब है उनमें कुछ और जन्म ले रहा है. वो ऊपरवाले के पास जा रहे हैं. जब वो उसके और करीब जाएंगे तो वो उसे चुन लेंगे.

क्या यही वजह है कि अब आरएसएस के समर्थक और बीजेपी दोनों मदर टेरेसा की सेवा को धर्मांतरण से जोड़ कर देख रहे हैं.

मीनाक्षी लेखी ने कहा कि मदर टेरेसा अपने बारे बेहतर जानती थीं, उनकी बायोग्राफी लिखने वाले नवीन चावला खुद स्वीकार कर रहे हैं कि मदर टेरेसा ने खुद कहा था कि मैं कोई सोशल वर्कर नहीं हूं. मेरा काम जीसस की बातों को लोगों तक पहुंचाना है.

मीनाक्षी जिस पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला का जिक्र कर रही हैं मदर टेरेसा के अच्छे दोस्त थे और उन्होंने मदर टेरेसा की जीवनी लिखी है. इसके मुताबिक उन्होंने नवीन चावला से पूछा था.

नवीन चावला - क्या आप धर्मांतरण करवाती हैं?
मदर टेरेसा – बिल्कुल. मैं धर्मांतरण करवाती हूं. मैं बेहतर हिंदू बनाती हूं या बेहतर मुसलमान या बेहतर इसाई. एक बार आपको आपका भगवान मिल गया तो आप तय कर सकते हैं किसे पूजना है.

ये वही बात थी जो वो टाइम मैगजीन से पहले भी कह चुकी थीं. 90 के दशक में भगवान में भरोसा ना रखने वाले क्रिस्टोफर हिचिन्स ने भी मदर टेरेसा पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक डाक्यूमेंट्री बनाई जिसकी आज भी चर्चा होती है. इसी डाक्यूमेंट्री में एक सीनियर पत्रकार ने भी कहा कि उनका मकसद धर्म था ना कि सेवा.

भारत में भी मदर टेरेसा के मकसद को लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं.

हालांकि मदर टेरेसा के साथ काम करने वाली सुनीता कुमार उनके मकसद पर देश और दुनिया में बार बार उठने वाले सवालों को गलत ठहराती हैं. मदर टेरेसा ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को धर्म की आजादी का कानून बनाते वक्त भी एक खत लिख कर इसका विरोध किया था.

एम एस चितकारा की किताब के मुताबिक मदर टेरेसा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को 1978 में एक खुला खत लिखा था और इसकी प्रतियां सांसदों में बांटी थीं. खत का रिश्ता धार्मिक स्वतंत्रता के कानून से था. मदर टेरेसा इसके विरोध में थीं क्योंकि इससे धर्मांतरण की प्रक्रिया खतरे में पड़ सकती थी.

मदर टेरेसा की जिंदगी पर उठे से सवाल पिछले 20 साल से बार बार सामने आते रहे हैं. इल्जाम ये भी लगा कि वो अपने मरीजों की देखभाल इसलिए नहीं करती थीं ताकि वो भगवान को याद करते रहें.

ये बेहद खूबसूरत है कि कोई भी बिना सेंट पीटर के स्पेशल टिकट के नहीं मर सकता. हम इसे सेंट पीटर का बपतिस्मा टिकट कहते हैं. हम लोगों से पूछते हैं क्या तुम्हें अपने पापों को माफ करने वाला आशीर्वाद और भगवान चाहिेए. उन्होंने कभी मना नहीं किया. कालीघाट में 29 हजार लोगों की मौत हुई है.
मदर टेरेसा
कैलिफोर्निया, 1992

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