अकेले ही 300 चीनी सैनिकों को उतारा मौत के घाट : - भारत और चीन के बीच नवंबर 1962 में हुए युद्ध में चौथी गढ़वाल राइफल इंफेंटरी रेजीमेंट के जसवंत सिंह 10000 फीट की ऊंचाई पर स्थित नूरानांग पोस्ट पर तैनात थे। चीनी सेना तवांग जिले से होते हुए नूरानांग तक पहुंच गई। 17 नवंबर को चीनी और भारतीय सेना में नूरानांग में लड़ाई छिड़ गई। इस लड़ाई में लांस नायक त्रिलोकी सिंह नेगी, परमवीर चक्र विजतेा जोगिंदर सिंह और राइफलमैन गोपाल सिंह गोसाई सहित अन्य सैनिक शहीद हो गए। इससे सारी जिम्मेदारी जसंवत सिंह पर आ पड़ी। जसवंत सिंह ने गजब का शौर्यप्रदर्शन करते हुए लगातार 3 दिनों तक चीनी सेना से मुकाबला किया। जसवंत सिंह ने समझदारी का परिचय देते हुए अलग-अलग बंकरों से जा कर गोलीबारी की, इससे चीनी सेना को लगा कि वहां बहुत सारे जवान अभी भी जिंदा हैं और गोलीबारी कर रहे हैं। इस दौरान जसवंत सिंह ने करीब 300 चीनी सैनिकों को अकेले ही मौत के घाट उतार दिया। यह देखते हुए चीनी सेना ने इस सेक्टर को चारों ओर से घेर लिया। आखिरकार जब यह सेक्टर चीनी सैनिकों के घेरे में आ गया, तो मालूम चला कि यहां बहुत सारे सैनिक नहीं थे, केवल एक ही सैनिक चीनी सेना को बेवकूफ बना रहा था, तो चीनी सैनिक चिढ़ गए। चीनी सैनिकों ने जसवंत सिंह को बंदी बना लिया और एक टेलिफोन तार के सहारे पेड़ पर फांसी पर लटका दिया। इसके बाद जसवंत सिंह का सिर काटकर साथ ले गए। जसवंत सिंह के शहीद होने के बारे में एक और तथ्य सामने आता है। बताया जाता है कि जब जसवंत सिंह को लगा कि अब चीनी सैनिक उसे गिरफ्तार कर लेंगे, तो उसने खुद को गोली मार ली। बाद में चीनी सैनिक उसका सिर काटकर ले गए। हालांकि युद्ध विराम होने के बाद चीनी कमांडर ने जसवंत सिंह की बहादुरी से प्रभावित होकर उसका सिर और एक तांबे का लोकेट वापस कर दिया।
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शैला और नूरा ने भी दिया साथ : - नूरानांग की इस पोस्ट पर जसवंत सिंह का साथ गांव की दो लड़कियों ने भी दिया। शैला और नूरा नाम की इन लड़कियों ने जसवंत सिंह को हथियार और असलहे मुहैया करवाए। इन दोनो लड़कियों को भी सम्मान दिया गया। यहां के एक दर्रे का नाम शैला रखा गया और हाईवे का नाम नूरा।
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परमवीर को मिले चक्र : - अरूणाचल के लोगों को आज भी लगता है कि जसवंत सिंह की बहादुरी और पराक्रम के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया जाना चाहिए। जसवंत सिंह को महावीर चक्र प्रदान किया गया था। .... देश के लिए शहीद होने वाले जसंवत सिंह को नमन। इस खबर को शेयर कर पहुंचाए हर एक भारतीय को जिससे मिले इस शहीद को घर-घर में सम्मान।
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शैला और नूरा ने भी दिया साथ : - नूरानांग की इस पोस्ट पर जसवंत सिंह का साथ गांव की दो लड़कियों ने भी दिया। शैला और नूरा नाम की इन लड़कियों ने जसवंत सिंह को हथियार और असलहे मुहैया करवाए। इन दोनो लड़कियों को भी सम्मान दिया गया। यहां के एक दर्रे का नाम शैला रखा गया और हाईवे का नाम नूरा।
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परमवीर को मिले चक्र : - अरूणाचल के लोगों को आज भी लगता है कि जसवंत सिंह की बहादुरी और पराक्रम के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया जाना चाहिए। जसवंत सिंह को महावीर चक्र प्रदान किया गया था। .... देश के लिए शहीद होने वाले जसंवत सिंह को नमन। इस खबर को शेयर कर पहुंचाए हर एक भारतीय को जिससे मिले इस शहीद को घर-घर में सम्मान।
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