Saturday, 14 February 2015

संत वैलेंटाइन बलिदान दिवस पर विशेष ।
यूरोप में जितने भी दार्शनिक हुए चाहे वो प्लूटो हो अगस्तु हो या कोई भी उन सभी ने एक ही बात कही की स्त्रियों में आत्मा नही होती जब तक चाहो स्त्रियों का प्रयोग करो और फिर मन भर जाए तो दूसरी स्त्री के साथ भोग करो। और साथ साथ इन यूरोप के दार्शनिको ने ये भी कहा है की जीवन का परम आनंद भोग है और उसके बीच में बच्चे बाधा है। यूरोप एक गरीब प्रदेश था जो 8 -9 महीने बर्फीली ठण्ड की मार झेलता था । उनकी सभ्यता में अधिकतर प्रजातियाँ खानाबदोश कबिलियाई थी और दूसरे कबीलों को या राज्य से कुछ लूट कर अपना अस्तित्व कायम रखती थीं । युद्ध और रक्तपात से घिरे यूरोप को रहत तब मिली जब रोमन साम्राज्य ने अधिक क्रूर बन कर अपना विस्तार किया और अफ्रीका तक फ़ैल गया । युद्ध में सैनिकों की हमेशा आवश्यकता होती थी पर उनका जीवन खतरों से भरा होता था इसलिए रोमन सैनिकों को शादी करने की मनाही थी । सैनिकों का संगठन राज्य में सबसे बड़ा था फिर भी सैनिकों और भी कई तरह के अधिकारीयों को शादी की मनाही थी । ऐसी परिस्तिथियों में यूरोप वाले बच्चे पालना बहुत बड़ा संकट समझते थे और इस कारण यूरोप में ज्यादा तर बच्चे चर्च के सामने या सडक पर छोड़ दिए जाते थे ।
उसी समय यूरोप के रोम में एक संत का जन्म हुआ जिनका नाम वेलेंटाइन था । वह कहते थे की मैंने पूर्वी देशो के सामाजिक जीवन का अध्यन, वहां की सभ्यता का अध्यन किया है(पूर्वी देश अर्थः भारत, चीन, इंडोनेशिया,मलेशिया आदी।) इन देशो में सामजिक जीवन उच्च मूल्यों का है और वहां अवैध सम्बन्ध नही बल्कि जनम जनम का शादी का बंधन होता है। पारिवारिक जीवन होता है। बच्चो को माता और पिता का नाम मिलता है। सम्पूर्ण जीवन ऊचे नैतिक मूल्यो पर आधारित होता है और वो गौरवशाली नागरिक बनते हैं ।
यहाँ (यूरोप में) बच्चो को उनके पिता का नाम पता नही होता और माताएं आधे अधूरे परिवार को मजदूरी और लाचारी में पालती हैं जिनमें बच्चे बुरे जीवन के कुचक्र में फसे रहते हैं, उन्हें न शिक्षा मिलती है न अच्छा भोजन । इस कारण वेलेंटाइन ने लोगो की शादी करवाना शुरू कर दिया और सत्ता के नशे में चूर राजा क्लौडियस को अपने फरमान के विरुद्ध काम करने वाली बात पसंद नही आई । किसी ने गुप्त रूपसे शादियां करवाने वाले संत वैलेंटाइन को पकड़वा दिया क्योंकि पूरा यूरोप भोग को मानता था शादी को नही।
राजा जो चाहता वो ही कानून बन जाता था, फिर क्या होना था राजा ने १४ फरवरी सन ४९८ को संत वेलेंटाइन को फाँसी दे दी।
जिन जिन लोगो की शादी वेलेंटाइन ने करवाई थी वो लोग दुखी हुए और उसी दिन से वेलेंटाइन डे मनाना शुरू कर दिया।
यूरोप में आज भी ७०%लोग लिव इन रिलेसन शिप में रहते हैं और विवाह करने से कतराते है जो क्रिस्चियन समाज के लिए एक चुनौती है । क्रिस्चियन समाज वहां के लोगों को वैलेंटाइन डे के माध्यम से विवाह करने की प्रेरणा देता है और इस दिन भोज का आयोजन भी किया जाता है ।
आज के समय में कुछ व्यापारिक कंपनियों ने इस दिन को अपना धंधा चमकाने का मौका बना लिया है और वैलेंटाइन डे के नाम पर हज़ारों करोड़ रूपए की लूट चालू है, पर आज तक किसी कंपनी ने संत वैलेंटाइन के बारे में किसी को नहीं बताया ?
वैलेंटाइन डे मानाने के लिए आप भी किसी को विवाह प्रस्ताव दे सकते हैं ।
प्रेम और करुणा ईश्वर का वरदान है ।

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