Saturday, 14 February 2015

ए जो 893 किलो सोना बाहर दिया गया था उसमें से केवल 627 किलो सोना ही मंदिर में वापस लौटाया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस घपले के सामने आने से अब मंदिर से संबद्ध लोगों की जिम्मेदारियां सुनिश्चित की जानी चाहिए। जिन लोगों ने यह घपला किया उनका नाम भी उजागर होना चाहिए। इस बीच इस मामले में मंदिर में पूजा करने वाले त्रावणकोर शाही परिवार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
गौरतलब है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने विनोद राय को मंदिर के बही-खाते और संपत्ति का आडिट करने का काम सौंपा था। पिछले साल अप्रैल में जस्टिस आरएम लोढ़ा और एके पटनायक ने अंतरिम आदेश में तत्कालीन कैग प्रमुख से मंदिर के पिछले 25 सालों का लेखा-जोखा देने को कहा था। अदालत ने ये दिशा-निर्देश एमीकस क्यूरी गोपाल सुब्रह्मण्यम की सिफारिशों के आधार पर दिए थे।
राय को जांच के निर्देश के साथ की सर्वोच्च अदालत ने एक पांच सदस्यीय कमेटी भी गठित की जो इस प्रक्रिया में विनोद राय की मदद करती। कमेटी में मंदिर के तंत्री, मुख्य नाम्बी और दो अन्य सदस्यों को शामिल किया गया। इन दो सदस्यों में एक सदस्य राज्य सरकार की सलाह से चुना जाना था और दूसरा खुद जज की पसंद का था।
सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी ने जुलाई 2011 में मंदिर के तहखाने की पांच कोठरियों को खोलकर उसमें रखी अपार संपत्ति की गणना कराई थी। इसके बावजूद मंदिर के तहखाने की छठी कोठरी को नहीं खोला गया था। बताया जाता है कि खोली गई कोठरियों से एक लाख करोड़ की संपत्ति मिली थी।
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