Aditi Gupta ने 3 नई फ़ोटो जोड़ी — रवि शुक्ल और 22 अन्य लोग के साथ.
आओ देखो 56 इंच का सीना.... एक सिर के बदले 100 सिर कैसे लाये जाते हैं ..........
म्यांमार में घुसकर भारतीय सेना ने ऐसे दिया ऑपरेशन को अंजाम...........!!!
म्यांमार की सीमा के अंदर भारतीय सेना द्वारा उग्रवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की तैयारी 5 दिन पहले शुरू हो चुकी थी। इस ऑपरेशन के लिए जहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बांग्लादेश का जाने का प्रोग्राम बदल दिया था, वहीं आर्मी चीफ दलबीर सिंह सुहाग ने भी यूके का दौरा कैंसल कर दिया था।
यह ऑपरेशन अहम और सटीक खुफिया सूचनाओं के आधार ही सफल हो पाया। पूरी प्लैनिंग के बाद इंडियन आर्मी के पैरा कमांडोज़ ने उग्रवादियों के 2 कैंपों पर हमला किया और उन्हें अच्छा-खासा नुकसान पहुंचाया। अंदाजा है कि इन कैंपों में करीब 150 उग्रवादी थे। इन दोनों कैंपों को तबाह कर दिया गया है।
ऐसे दिया गया अंजाम
कमांडोज़ को एयर फोर्स के एमआई 17 वी चॉपर की मदद से उग्रवादियों के ठिकाने के करीब पहुंचाया गया। कमांडो खुफिया एजेंसियों द्वारा पहचानी गई जगहों पर इंटरनैशनल बॉर्डर के करीब 5 किलोमीटर अंदर उतरे और कार्रवाई शुरू कर दी।इस ऑपरेशन के लिए 20-20 कमांडोज़ की दो टीमें बनाई गई थीं। 45 मिनट तक ऑपरेशन जारी रहा। खास बात यह रही कि इस कार्रवाई में भारत को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ।
कमांडोज़ को एयर फोर्स के एमआई 17 वी चॉपर की मदद से उग्रवादियों के ठिकाने के करीब पहुंचाया गया। कमांडो खुफिया एजेंसियों द्वारा पहचानी गई जगहों पर इंटरनैशनल बॉर्डर के करीब 5 किलोमीटर अंदर उतरे और कार्रवाई शुरू कर दी।इस ऑपरेशन के लिए 20-20 कमांडोज़ की दो टीमें बनाई गई थीं। 45 मिनट तक ऑपरेशन जारी रहा। खास बात यह रही कि इस कार्रवाई में भारत को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ।
एयर फोर्स की मदद से सेना द्वारा चलाए गए इस ऑपरेशन में कम से कम 50 उग्रवादियों की मौत हुई है, मगर संख्या 100 से ज्यादा भी रह सकती है। ऑपरेशन रात 3 बजे अंधेरे में ही शुरू हो गया था, मगर आधिकारिक जानकारी इसके सफल होने के बाद शाम को ही दी गई।विश्व शान्ति के एक भी ठेकेदार देश ने भारत इस कार्यवाही पर ऊँगली उठाने की गुस्ताखी नहीं करी है...पूरा विश्व मोदी सरकार पर भरोसा कर रहा है।
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4 जून को आतंकियों ने हमला किया और 18 सैनिकों को शहीद किया... फिर वे म्यांमार में घुस के छिप गए.....9 जून को सेना ने उनको ट्रेस किया ढूंढा और हमला कर दिया।5 जून से सरकार ने सेना को खुली छुट दी जवाबी कार्यवाही की और कहा की आप बताओ आपको क्या कब कैसे करना है? सेना ने बताया की आतंकी म्यांमार में घुस गए हैं...
तब मोदीजी ने सीधे म्यांमार संपर्क किया और म्यांमार की सरकार को भरोसे में लिया 5 जून को....उनको समझाया पूरा प्लान, म्यांमार सरकार ने पूर्ण सहयोग की हामी भर दी....क्योंकी म्यांमार सरकार जानती है की मोदीजी शब्दों के नहीं कर्म-पुरषार्थ के व्यक्ति हैं....
दुनिया को समझ आ चूका हैं की अब हिंदुस्तान में कड़े शब्दों में निदा करने बाली सरकार नही हैं किस तरह UPA की सरकार के समय देश पर आतंकवादी हमले हुए तारीखों पर जाएं तो 11 जुलाई 2006 में मुंबई लोकल ट्रेन में सात सीरियल ब्लास्ट (174 मौतें), 25 जुलाई 2008 में बेंगलूर में सात सीरियल ब्लास्ट (2 मौतें), 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में 21 सीरियल ब्लास्ट (58 मौतें), 13 जुलाई 2011 में मुंबई में तीन बम धमाकों में 31 मौतें ( यह बस कुछ ही हमले बताये हैं ) ...आये दिन सीमा पर होने बाले हमले... देश के जवानो का सर काटना.. लेकिन हमारी पूर्ववती सरकारों ने "कड़ी से कड़ी निंदा" "कड़े से कड़े शब्दों" में करने के अलावा कुछ नही किया ज्यादा होता तो यह कह दिया जाता की हम इस तरह का हमला अगली बार सहन नहीं करेंगे … मनमोहन सरकार ने किया भी तो,.. कसाब को कबाब खिलाया.. अफजल गुरु की हिफाजत की.... और तो और एक पाकिस्तान जैसा टुच्चा देश भी हिंदुस्तान को आँख दिखा जाता इस देश के प्रधानमत्री को देहाती औरत कह जाता.... अब आप खुद तुलना कीजिये मोदी सरकार की और सरकारों से जो अब तक भारत में रही हैं...
सबसे बड़ी बात सरकार इस पूरी कार्यवाही का श्रेय भी खुद नहीं ले रही बल्कि सेना को पूरा श्रेय दे रही है... देश के इतिहास में शायद पहली बार किसी महिला सैन्य अधिकारी मेजर रूचि शर्मा ने किसी मिल्ट्री ऑपरेशन के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित किया और वो भी मातृ भाषा हिंदी में.... यह हैं महिला सशक्तिकरण...
अंत में व्यथित मन से एक बात और कहना चाहूँगी की जब...18 जवानों ने इस देश के लिए अपनी कुर्बानी दे दी तो.... कुछ लोग अपनी राजनीति करने लगे... मुसलमानों की पोस्ट्स में जोर इस बात पर था कि हिन्दू आतंकवादी (?) होने के कारण मीडिया ने इसे कवरेज नहीं दिया वरना कश्मीर में कुछ होता तो हल्ला मच जाता... मोदी विरोधी इस बात पर शोर कर रहे थे कि देखो देखो छप्पन इंच के सीने के रहते क्या हो गया... तो कुछ देशद्रोहियो ने यहाँ तक कहा की सैनिकों को तो मरने की ही सैलरी मिलती है.. सच में मेरे देश के लोग महान हैं जो जवानो की शाहदत पर भी राजनीति कर लेते हैं....बस कुछ राष्ट्रवादी रहे होंगे जिनकी आत्मा सैनिकों के लिए रोई।
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कहानी ओपरेशन "आल आउट" की....〔अबकी बार..... सीमा पार〕
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1) NSCN-K आतंकवादी जिन्होंने म्यांमार में एम्बुश बना कर 18 भारतीय जवानों की हत्या की थी , वे म्यांमार में 2 कैंप में छुपे थे।
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1) NSCN-K आतंकवादी जिन्होंने म्यांमार में एम्बुश बना कर 18 भारतीय जवानों की हत्या की थी , वे म्यांमार में 2 कैंप में छुपे थे।
2) भारतीय सेना को यह जानकारी मिली की म्यांमार के उन कैंप से और साजिशें और हमले प्लान किये जा रहे हैं । उन कैंप का पता लगाने ड्रोन भेजे गए।
3) एक कैंप नागालैंड के पूर्व में था , तथा दूसरा मणिपुर के पूर्व में ~150 किमी दक्षिण । दोनों म्यांमार के अंदर ।
4) जैसे ही ड्रोन ने कैंप का पता लगाया , भारतीय सेना के उच्च नेतृत्व ने सीमा पार करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO ) से इजाज़त मांगी , जो की जल्द ही मिल गयी।
5) सरकार को जानकारी देने के बाद भारतीय सेना के स्पेशल forces से लैस जहाजों ने उड़ान भरकर म्यांमार की सीमा पार की । म्यांमार की सेना के साथ कोई साझा कार्यवाही नहीं थी। सारे स्पेशल कमांडो को नीति के तहत उतारा गया।
6) भारतीय सेना ने 20 NSCN-K आतंकवादियों को उनके 2 कैंप में ध्वस्त किया । इस कार्यवाही में भारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा , सारे जवान सकुशल लौटे। ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है की दूसरे देश में जाकर इतना जोखिम भरी कार्यवाही इतनी सफल रही।
7) सेना ने इस कार्यवाही की सफलता की घोषणा तब की जब एक एक सैनिक सुरक्षित घर
वापस पहुँच गया.
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एक भारतीय होने पर गर्व हुआ जब ये खबर सुनी, सेना की महिला कमांडो को प्रेस कांफ्रेस करते देखा वो भी हिंदी में....दस गुना ज्यादा मजा आ गया जब उस महिला कमांडो से पूछा गया कितने मारे ? जवाब मिला- "हम गिनते नहीं, मारते है" 👊👊
देश के इतिहास में शायद पहली बार किसी महिला सैन्य अधिकारी मेजर रूचि शर्मा ने किसी मिल्ट्री ऑपरेशन के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित किया और वो भी मातृ भाषा हिंदी में.
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वापस पहुँच गया.
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एक भारतीय होने पर गर्व हुआ जब ये खबर सुनी, सेना की महिला कमांडो को प्रेस कांफ्रेस करते देखा वो भी हिंदी में....दस गुना ज्यादा मजा आ गया जब उस महिला कमांडो से पूछा गया कितने मारे ? जवाब मिला- "हम गिनते नहीं, मारते है" 👊👊
देश के इतिहास में शायद पहली बार किसी महिला सैन्य अधिकारी मेजर रूचि शर्मा ने किसी मिल्ट्री ऑपरेशन के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित किया और वो भी मातृ भाषा हिंदी में.
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