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कट्टर सोच नहीं, युवा सोच! ....।............
आजकल एक कट्टर कांग्रेसी यह कह रही है कि आप तो बहुत कट्टर दीखते हो ? इतनी कट्टरता ठीक नही ..., जो कि कट्टरता में डबल क्वालिफाइड है पहले कट्टर मुस्लमान फिर कट्टर कांग्रेसी
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आखिर ये कट्टरता होती क्या है ?हिन्दू ... पहले ठुकता-पिटता है, फिर बदनाम होता है... और तिलक के स्थान पर माथे पे लिखवा लेता है साम्प्रदायिक l क्यूंकि इस राजनैतिक षड्यंत्र का Counter करना तो दूर की बात है ... आम हिन्दू Reply तक नहीं कर सकता, अच्छे तरीके से l नेहरूवादी हिंदुत्व के इतिहासकारों और लेखकों ने सलीमशाही जूतियाँ चाट चाट कर जो कुछ लिखा है उसके बहुत ही नकारात्मक प्रभाव हिन्दू समाज पर पड़े हैं l
आखिर ये कट्टरता होती क्या है ?हिन्दू ... पहले ठुकता-पिटता है, फिर बदनाम होता है... और तिलक के स्थान पर माथे पे लिखवा लेता है साम्प्रदायिक l क्यूंकि इस राजनैतिक षड्यंत्र का Counter करना तो दूर की बात है ... आम हिन्दू Reply तक नहीं कर सकता, अच्छे तरीके से l नेहरूवादी हिंदुत्व के इतिहासकारों और लेखकों ने सलीमशाही जूतियाँ चाट चाट कर जो कुछ लिखा है उसके बहुत ही नकारात्मक प्रभाव हिन्दू समाज पर पड़े हैं l
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शिखा (चोटी) रखना, तिलक लगाना, जनेऊ पहनना, भगवा रंग का गमछा-अंगोछा लपेटना, कलावा या अन्य रक्षा-सूत्र बांधना, आदि ये प्रतीकों को धारण करके जब कोई सरकारी कार्यालयों या विभागों में काम करने जाता था या काम
शिखा (चोटी) रखना, तिलक लगाना, जनेऊ पहनना, भगवा रंग का गमछा-अंगोछा लपेटना, कलावा या अन्य रक्षा-सूत्र बांधना, आदि ये प्रतीकों को धारण करके जब कोई सरकारी कार्यालयों या विभागों में काम करने जाता था या काम
करवाने जाता था, उन्हें यह जुमले मारे जाते थे...कि आप तो बहुत कट्टर दीखते हो ? इतनी कट्टरता ठीक नही ...धीरे धीरे हिन्दू समाज ने शिखा धारण करना ही छोड़ दिया...
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जिन शिखाओं के लिए इसी हिन्दू समाज के पूर्वजों ने अपनी गर्दने करवाई थीं . न जाने आज कितने कट्टर औरंगजेब
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जिन शिखाओं के लिए इसी हिन्दू समाज के पूर्वजों ने अपनी गर्दने करवाई थीं . न जाने आज कितने कट्टर औरंगजेब
इन -"अ-कट्टर" हिन्दुओं के आसपास घूम रहे हैं और कट्टर भी केवल हिन्दू ...● कट्टर मुसलमान नही... ●कट्टर ईसाई नही... ●कट्टर यहूदी नही, ●कट्टर जैन नहीं, ●कट्टर बोद्ध नही, ●कट्टर सिक्ख नही, ... ●कट्टर SECULAR भी नही..● कट्टर देशद्रोही भी नही..●. कट्टर भ्रष्टाचारी भी नही... ●कट्टर स्मैकिया भी नही.. . ●कट्टर नशेड़ी भी नही ..●. केवल हिन्दू ही कट्टर है पूरे विश्व में...
आखिर ये कट्टर होता क्या है ...
आखिर ये कट्टर होता क्या है ...
कट्टर अर्थात किसी भी काम में, "अति" या रूअतिवाद को कट्टरता कहा जाता है
★ l दार्शनिक शब्दों में कहा जाए तो कट्टरता तमस का ही एक पर्याय है... जड़ और जड़ता ... जो जहां है, वहीं रुक जाए l ठहरे, जमे और रुके हुए पानी में भी कीड़े पड़ जाते हैं l
★इसी कारण से... सनातन धर्म में ज्ञान का बहुत महत्व बताया गया है l ज्ञान ... बढ़ता जाए, बढाते रहो, बहते रहो, जो कि सत्त्व का पर्याय माना जाता है l
★इसीलिए हमारे यहाँ शब्द प्रयोग होता है "धर्म-परायणता"... चीन में भारत की अलग परिभाषा दी जाती है ... भा+रत भा अर्थात ज्ञान रत अर्थात लीन रहना ... ज्ञान में लीन रहना l
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आप क्या बनना चाहते हैं ... ? कट्टर हिन्दू या धर्म-परायण हिन्दू ... वैसे ... अतिवाद और अति की इस लहर से कोई नहीं बचा...
◆चाहे कट्टर डाक्टर हो... जहां जाओ बस डाक्टरी ही दिखाओ
◆l चाहे कट्टर इंजीनियर हो... जहां जाओ बस इंजिनीयरि ही दिखाओ
◆l चाहे कट्टर वैज्ञानिक हो... जहां जाओ बस विज्ञान ही विज्ञान ... बाकी सब पागल
◆ l चाहे कट्टर दुकानदार हो... दुनिया पलट जाए... परन्तु दुकानदारी नहीं छोड़ेंगे
◆ l चाहे कट्टर अफसर ... अफसरी के आगे बाकी सब नौकर
◆ |चाहे कट्टर अध्यापक... जहां भी हो बस... शुरू हो जाओ
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◆ l कट्टर कांग्रेसी... यदि कांग्रेस किसी कुत्ते को खड़ा कर दे तो उसे भी वोट देंगे
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◆ l लुट गया देश, बर्बाद हो गया देश, भाड़ में गया देश ... गांधी-नेहरु परिवार ही महान है
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◆ l कट्टर सपाई... दूध का व्यापार चाहे मुल्ला मुलायम मुसलमानों को सौंप दें परन्तु वोट मुल्ल्ला को हो जायेगा l
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◆ कट्टर बसपाई... माया धन और बल से कबकी मनुवादी हो गई, परन्तु वोट माया को ही देंगे
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◆ l कट्टर वामपंथी... न घर चले, न दूकान, वामपंथ सदा महान, सारी जिन्दगी धर्म को अफीम कहते रहे, पर अंतिम संस्कार वैदिक मन्त्रों से ही, देह के साथ ही मर गई अफीम कहने वाली जुबान भी l
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◆ कट्टर अम्बेडकरवादी ... जब आँख खोली तो अम्बेडकर की कहानी ही सुनीं, वो जो अम्बेडकर ने न लिखी न कही, और लगे हिन्दुओं को गाली देने l पर अम्बेडकर ने क्या कहा, क्या लिखा... ये न कभी जाना, न ही जानने का प्रयास मात्र ही किया l
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◆,,,,,,,कट्टर पाकिस्तानी ... अपने देश का पता नही, पर भारत को नेस्तनाबूद करने के सपने रोज देखना l
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◆ कट्टर अरबी ... खजूर और तेल पूरी दुनिया में बिकता रहे, इस्लाम का प्रचार होता रहे, मुसलमान गया भाड़ में l
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□□□कट्टर और धर्म परायणता के इस खेल को ... हिन्दू ही कभी समझ न पाया जिसकी धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल शिक्षाओं में भी सत्त्व का विशेष महत्व है
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धर्म परायण बनो... और इन कट्टर कांग्रेसियों, कट्टर सपाई, कट्टर बसपाई, कट्टर वामपंथियों आदि के चंगुल से बाहर निकलो... सात्विक, राजसिक और तामसिक ... इन तीन प्राकृतिक गुणों की विवेचना अधिक करूँगा तो समय बहुत लग जायेगा, और पढ़े बिना ही सब छोड़ देंगे, काम की बात संभव है कि आप सबको समझ आ ही गई होगी l
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आप क्या बनना चाहते हैं ... ? कट्टर हिन्दू या धर्म-परायण हिन्दू ... वैसे ... अतिवाद और अति की इस लहर से कोई नहीं बचा...
◆चाहे कट्टर डाक्टर हो... जहां जाओ बस डाक्टरी ही दिखाओ
◆l चाहे कट्टर इंजीनियर हो... जहां जाओ बस इंजिनीयरि ही दिखाओ
◆l चाहे कट्टर वैज्ञानिक हो... जहां जाओ बस विज्ञान ही विज्ञान ... बाकी सब पागल
◆ l चाहे कट्टर दुकानदार हो... दुनिया पलट जाए... परन्तु दुकानदारी नहीं छोड़ेंगे
◆ l चाहे कट्टर अफसर ... अफसरी के आगे बाकी सब नौकर
◆ |चाहे कट्टर अध्यापक... जहां भी हो बस... शुरू हो जाओ
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◆ l कट्टर कांग्रेसी... यदि कांग्रेस किसी कुत्ते को खड़ा कर दे तो उसे भी वोट देंगे
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◆ l लुट गया देश, बर्बाद हो गया देश, भाड़ में गया देश ... गांधी-नेहरु परिवार ही महान है
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◆ l कट्टर सपाई... दूध का व्यापार चाहे मुल्ला मुलायम मुसलमानों को सौंप दें परन्तु वोट मुल्ल्ला को हो जायेगा l
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◆ कट्टर बसपाई... माया धन और बल से कबकी मनुवादी हो गई, परन्तु वोट माया को ही देंगे
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◆ l कट्टर वामपंथी... न घर चले, न दूकान, वामपंथ सदा महान, सारी जिन्दगी धर्म को अफीम कहते रहे, पर अंतिम संस्कार वैदिक मन्त्रों से ही, देह के साथ ही मर गई अफीम कहने वाली जुबान भी l
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◆ कट्टर अम्बेडकरवादी ... जब आँख खोली तो अम्बेडकर की कहानी ही सुनीं, वो जो अम्बेडकर ने न लिखी न कही, और लगे हिन्दुओं को गाली देने l पर अम्बेडकर ने क्या कहा, क्या लिखा... ये न कभी जाना, न ही जानने का प्रयास मात्र ही किया l
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◆,,,,,,,कट्टर पाकिस्तानी ... अपने देश का पता नही, पर भारत को नेस्तनाबूद करने के सपने रोज देखना l
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◆ कट्टर अरबी ... खजूर और तेल पूरी दुनिया में बिकता रहे, इस्लाम का प्रचार होता रहे, मुसलमान गया भाड़ में l
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□□□कट्टर और धर्म परायणता के इस खेल को ... हिन्दू ही कभी समझ न पाया जिसकी धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल शिक्षाओं में भी सत्त्व का विशेष महत्व है
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धर्म परायण बनो... और इन कट्टर कांग्रेसियों, कट्टर सपाई, कट्टर बसपाई, कट्टर वामपंथियों आदि के चंगुल से बाहर निकलो... सात्विक, राजसिक और तामसिक ... इन तीन प्राकृतिक गुणों की विवेचना अधिक करूँगा तो समय बहुत लग जायेगा, और पढ़े बिना ही सब छोड़ देंगे, काम की बात संभव है कि आप सबको समझ आ ही गई होगी l
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