Saturday, 20 June 2015


गाय के मांस पे एक रुकी हुई रिपोर्ट ; AMU में हुए शोध
.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्याल के एक प्रोफेसर 1991 से 1999 तक गाय के मांस खाने
वाले लोगो पर होने वाले दुष्प्रभाव का रिसर्च किये पर जब इस रिपोर्ट को सार्वजनिक
करने की बात आयी तो वहा के चान्सलर ने रिपोर्ट को दबा दिया । कुलपति बदले तब भी
कोई नही सुना तो वह इंडोनेशिया चले गए उनके रिसर्च कुछ इस तरह था ।
1 - गाय के मांस खाने वालो को लगभग 300 बीमारिया होने का खतरा होता हैं ।
2 - जो गाय सार्वजनिक रूप से घूमती हैं कहि भी पानी पी लेती हैं. उसका मांस खाने
वाले को 75 प्रतिशत लोगो में एड्स हुआ ।
3 - जो गाय हमेशा सेवा में रही हैं । उसका मांस खाने वाले लोगो में हार्मोन्स की कमी हो
जाती हैं और प्रजनन क्षमता कम हो जाती. इसका महिलाओ पर पुरुषो की अपेक्षा दुगुना
प्रभाव होता हैं ।
4 - जो लोग गाय का खून पी लिए या कम पका मांस खाये उनमे नपुंसकता का रोग
पाया गया ।
5 - गाय का कलेजा या खोपड़ी खाने वाले को हार्ट अटैक आने का खतरा ।
6 - डॉ ने रिसर्च में पाया की गाय रोगों के फिल्टर का काम करती जैसे कुछ खाने से
कोई बीमारी होती उसे वह अपने अंदर ऑब्सरब कर लेती और गऊ मूत्र या दूध में
नुकसान देह नही होता, डॉ को रिसर्च की आइडिया इस लेख से मिली मुसलमानो में
सब से ज्यादा क्यों होती है genatic बिमारियां....
डॉ. राजेश झा, बिहार यूनिवर्सिटी के genatic विभाग के प्रमुख और उनकी टीम द्वारा
कई सालो के शोध के बाद निकले गए नतीजो के अनुसार विश्व में सबसे ज्यादा
आनुवंशिक बिमारियां सिर्फ मुसलमानो को ही होती हैं (80℅). आखिर क्या कारण है
के सब से ज्यादा ये कौम ही क्यों पीड़ित है इस बीमारी से...
काफी चीज़ों पर शोध करने के बाद एक चीज़ पर शोध अटक गई, और वो चीज़ है गौ
मॉस, गौ के मॉस में कुछ ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो मानव के genatic structure में
बदलाव ले आते है। पशु पालक जो फीड अपनी तरफ से गाय को ज्यादा दूध देने के
लिए देते हैं उन में कम्पनीज ने हार्मोंन डाले होते हैं और वो हार्मोंन गाय के खून में
मिलकर उस के मॉस में मिक्स हो जाते हैं....
इस लेख को पढ़ने के बाद डॉ ने रिसर्च किया 300 पेज का रिपोर्ट निकाले पर सार्वजनिक
नही किया गया । यह रिपोर्ट गलती से एक हिन्दू छात्र ने पढ़ लिया फिर बिना नाम का
कुछ लोगो को मेसेज किया । आप इसे इतना शेयर करे की केंद्र सरकार अलीगढ़ मुस्लिम
विश्व विद्यालय से रिपोर्ट सार्वजनिक कराये....Arvind Jadoun
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BBC के एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है की मृत्यु उपरान्त शरीर दान करने या अंगदान करने वाले लोगों में मुस्लिम दानदाताओं की संख्या नगण्य है 
जबकि अंग प्रत्यारोपण का इन्तेजार कर रहे मरीजों में ज्यादातर संख्या मुस्लिमों की है
आखिर क्या कारण है की मुस्लिम दूसरे लोगों के दान किये हुए अंग प्रत्यारोपित कराने में कोई दिक्कत नहीं है पर यदि शरीर का मृत्यु उपरान्त कोई अंग दान देना पड़े तो कहीं नजर नही आते हैं
क्यों नहीं मिलते मुसलमान अंगदाता?
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