Tuesday, 23 June 2015

शिवलिंग की वैज्ञानिकता ....
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भारत का रेडियोएक्टिविटीमैप उठा लें, तब हैरान हो जायेगें !
भारत सरकार के नुक्लिएर रिएक्टरके अलावा सभी ज्योत्रिलिंगो के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशनपाया जाता है।..
शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्यूक्लिअर रिएक्टर्स ही हैं,
तभी उन पर जल चढ़ाया जाता है ताकि वो शांत रहे।.
महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे किए बिल्व पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल, आदि
सभी न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं।
क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है,
तभी जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।
भाभा एटॉमिक रिएक्टरका डिज़ाइन भी शिव लिंग की तरह है।.
शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी केबहते हुए जल के साथ मिलकर
औषधि का रूप ले लेता है। तभी हमारे बुजुर्ग हम लोगों से कहते कि
महादेव शिव शंकर अगर नराज हो जाएं गे तो प्रलय आ जाएगी।.
ध्यान दें, कि हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है।
ये इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है, वो हमें पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें पढ़ाया जा रहा है, उससे हम अपनी परम्पराओं को समझ नहीं सकते है।.
जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो सनातन है,
विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।
... ॐ नमः शिवाय।

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