Thursday, 11 June 2015

एक कड़वा सच ****
अगर आप कभी वृद्धाश्रम जाये वहां और
वहां पर मौजूद वृद्धो से पूछना कि आपके बेटे
क्या किया करते हैं??
तो जबाब मिलेगा कि मेरा बेटा
"आफीसर है" ,"डाक्टर है" वकील है", "इंजीनियर
है", "मजिस्ट्रेट है" "टीचर है" ।
पर
एक भी वृद्ध आपको नहीं मिलेगा जो कहे
"मेंरा बेटा किसान, अनपढ़ या गरीब है।
क्योंकि
किसान अनपढ़ या गरीब के मां बाप कभी वृद्ध
आश्रम तक नहीं पहुंचते।
यह आधुनिक युग का सत्य है ..!!!!

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नागालैंड में घुसने के लिए परमिट लेना पड़ता है...वहाँ हमें "इंडियन" कहा जाता है..
वहाँ आतंकी होना एक नौकरी जैसा है. बन्दे बाकायदा तनख्वाह पाते हैं, मारे जाने पर परिवार को पेंशन मिलता है. वे अमेरिकन आर्मी का रैंक-स्ट्रक्चर फॉलो करते हैं, अमेरिकन आर्मी की वर्दी पहनते हैं, अमेरिकन आर्मी की एसॉल्ट-राइफल रखते हैं...मिलिटैंट वहाँ यूजी (अंडरग्राउंड) कहलाते हैं, और हर चीज पर उनका 10% का यूजी-टैक्स लिया जाता है. पिछले बीस सालों से उनके नेता इसाक-मुइवा और खापलांग बैंकाक के फाइव-स्टार होटलों में रहते हैं.
मोदी की पत्नी और मोदी के सूट पर Yellow Journalism करने वाले हमारे बहादुर खोजी Presstitutes को कभी नॉर्थ-इस्ट जाकर यह खबर दिखाने की फुरसत मिली? नहीं ना...तो इसका सीधा सा कारण है.
नागालैंड की 99% जनसंख्या क्रिस्चन है. यह पूरा आतंकवाद चर्चों से संचालित होता है, चर्च उनके हेडक्वार्टर की तरह काम करते हैं, उनके हथियार रखने की जगह होते हैं...पहले चर्चों के पैसे से यह आतंकवाद फला-फूला, अब इस यूजी-टैक्स से चर्च फल-फूल रहे हैं...

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