बाली नेे मरते वक्त पूछा कि हे राम आपने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया, लेकिन मुझे शिकारी की तरह छुपकर क्याें मारा।
भगवान् राम बोले-
"अनुज बधू भगिनी सुत नारी।सुनु सठ कन्या सम ए चारी।
इन्हहि कुदृष्टि बिलाकइ जोई। ताहि बंधें कुछ पाप न होई।"
"अनुज बधू भगिनी सुत नारी।सुनु सठ कन्या सम ए चारी।
इन्हहि कुदृष्टि बिलाकइ जोई। ताहि बंधें कुछ पाप न होई।"
अरे मूर्ख, छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और बेटी ये चारों समान हैं। इनको जो बुरी दृष्टि से देखता है उसे मारने में कोई पाप नहीं है। ध्यान रहे बाली ने सुग्रीव को न केवल राज्य से निकाला था, बल्कि उसकी पत्नी भी छीन ली थी। भगवान का क्रोध इसलिए था कि जो व्यक्ति स्त्री का सम्मान नहीं करता उसे सामने से मारने या छुपकर मारने में कोई अंतर नहीं है। मूल बात है उसे दंड मिले। आखिरकार भगवान ने बाली को दंड दिया।
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