Thursday, 17 September 2015

 
जानते हैं जो एक बार ईसाई बन जाता है वो वापस अपने धर्म में क्युँ नहीं आता ? कारण है ऊनको मिलने वाला पैसा और ऊस पैसे को एक्सेप्ट करने के बाद जुड़ी हुई शर्त
पादरी सामने वाले को उसके स्थति और आगे आने वाले समय के योग्यता देखकर पैसा देता है | 1,2,3,5,10 लाख एण्ड सॉ ऑन और आप से एक अनुबंध (Agreement) हस्ताक्षर करवाया जाता है | जिसके अनुसार ये पैसा आपको 10% या ऊससे अधिक पर लोन में मिला है (ना की धर्मान्तरित (Converts) के तौर पर) जिसे आप को बाद में चुकाना है (कब जब भी आप ईसाईयत छोड़कर जाएँगे, जिसे छोड़ना आसान नहीं होता,  कई बार जान के लाले पड़ जाते हैं) और जितने लोगों को आप चर्च तक लाएँगे और प्रचार करेंगे उतना ही फायदा और कोई धर्मान्तरित हुआ तो कमिशन तो है ही |
ईसाई धर्मान्तरण का मुख्य उद्देश भारत टुकडे-टुकडे करना उदाहरण के तौर पर पुर्वोत्तर राज्य हैं यहाँ ईसाई आतंकवाद है ये हमेशा भारत से अलग होने की बात करते है (जैसे कश्मीर में इस्लामिक आतंकवादी करते हैं) दूसरा नक्सली ये सब हिन्दू धर्मान्तरित ईसाई हैं (अपवाद स्वरूप किसी हिन्दू को नक्सली पाओगे) आखिर एैसा क्या है हिन्दू धर्मान्तरित होते है और अपने देश विरुद्ध खडे हो जाते है आखिर एैसा क्यो ? नक्सली कहते है कि वे गरीबी के कारण हथियार उठाने पड़े लेकिन मेरा एक प्रश्न है कि आप गरीब है आपके पास भोजन के लिए रुपया नहीं है चलिए भाई हमने आपकी बात मानी लेकिन इतने अतिआधुनिक हथियार कहाँ से आते हैं रुपया कहाँ से मिलता है ? कभी इस पर भी विचार करो. .
इनसे अपने परिचित को बचाकर रखें | अगर परिचित इनसे उबकर वापिस भी आना चाहे तो नहीं आ सकता | बाकी सेवा के नाम पर और बहुत सारी छुट तो इन्हें यहाँ और दुसरे देशों में मिलते ही रहता है कि ये एक "धर्मान्तरित" हैं | जिससे कई लोग वापस भी नहीं आते (मगर समझ नहीं आता कई धर्मान्तरित (Converts) बाहर शादी नहीं करते समाज में ही करते हैं, जिसे उन्होंने छोड़ दिया है) |
जब ये अपने धर्म के लोगो को एक उचित नाम, पोशाक या प्रतीक देने में असमर्थ है, तो इसे कैसे एक धर्म कहते हैं ? ये सब सीधे साधे हिन्दूओ को बहका रहें हैं |
ये धर्मान्तरण नही राष्ट्रन्तरण है | जाग जाओ हिन्दुओ बहुत बुरी तरह मारे जाओगे |

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