पाकिस्तानी ह्यूमन राईट एक्टिविस्ट “फौजिया सईद” से जब रिपोर्टर ने पुछा कि “ज़ैद हामिद साहब कह रहे हैं कि अगर पकिस्तान में शरीया कानून लगता.. अल्लाह का कानून लगता तो यहाँ की सारी प्रॉब्लम हल हो जाती”
जिसके जवाब में फौजिया सईद ने जवाब दिया..“ज़ैद हामिद साहब ख्वाबों और ख्यालों की दुनिया में रहते हैं और दिन में सपने देखते हैं.. यहाँ सीधे सीधे पाकिस्तान में ह्यूमन राइट्स की समस्या है.. आतंकवाद की समस्या है.. कोई हिन्दू अपनी दूकान करता है तो मुसलमान उसको जला देता है.. आगे से कोई एक्शन नहीं होता है.. अब इसमें आप पता नहीं कौन सा शरिया क़ानून लाने की बात कर रहे हैं..
यहाँ हकीकत ये है की यहाँ जो हमारी सोच है.. इंसानों के साथ बुरे बर्ताव की.. धार्मिक कट्टरता की.. और किसी दुसरे धर्म को हम बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं.. आपने दुसरे मज़हब के लोगों के त्योहारों में ज़रूर आग लगानी होती है.. आप उनको गद्दार कहके पकड़ के कुछ भी कर देते हैं..... और अपनी इस तरह की मानसिकता पर क्यूँ पर्दा डालें? ये सच्चाई है और हमे इससे निपटना है..
मैं समझती हूँ की अगर हम ये स्वीकार कर लेंगे की हम में ये बुराईयाँ हैं तो शायद हमारी ज्यादा आँखें खुली रहें.. अगर ख्वाबों और ख्यालों मेंहम अपने पुराने ज़माने के रोमांस ढूंढते रहेंगे तो कुछ नहीं होने वाला है..
मैं समझती हूँ कि इस भूभाग में तमाम धर्म आये.. मैं नहीं समझती की हम सिर्फ मुसलमान लोग हैं.. मैं समझती हूँ की इसी भूभाग में हम बुद्धिस्ट भी थे.. इसी भूभाग में हम हिन्दू भी थे.. इसी भूभाग में हम मुसलमान थे..
मैं अपने आपको इस धरती से जोडती हूँ और कोई नशे में रहके बोले की हम वो थे हम फलाने थे, तो हम वो नहीं थे.. वो आक्रमणकारी लोग थे.. उन्होंने हम पर हमला किया और हमको दूसरा धर्म क़ुबूल करवाया.. हम इस धरती के लोग हैं.. और मेरा ये ख्याल है की हमारे पाँव ज़मीन को छूने चाहिए और हमारा सर जो बादलों में होता है उसको बादलोंसे निकलना चाहिए और जो असली समस्याएं हैं उनको देखना चाहिए हमे.. अगर दुनिया हमे समझती है की हम आतंकवादी हैं तो इतना गलत भी नहीं समझती है.. क्यूंकि ओसामा हमारे यहाँ से ही पांच साल बाद निकला है”
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नोट: अगर मैं यहाँ भारत में ऐसा बोलता हूँ तो मुसलमान मुझे गाली देते हैं.. मगर पकिस्तान में ऐसे जाने कितने हैं जो इतना खुल के अपने मज़हब और सोच का विश्लेषण करते हैं.. मैंने ये विडियो इसीलिए डाली ताकि लोग ये न कहें की मैंने अपने मन से लिख दिया है.. पाकिस्तानी मुस्ल्मि बुध्जिवियों की सोच यहाँ से लाख गुना अच्छी है.. यहाँ मैं बोल दूं की अपनी मिटटी से जुडो तो ये आके मुझे गाली देते ह
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धर्म के नाम पर खून बहाने वाले आतंकवादी संघठनों के खिलाफ केवल यूरोपीय देशो को ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी देशो को एक होकर इस आतंकवाद रुपी महामारी से मुक़ाबला करना चाहिए
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