ये हैं उजियारो बाई... "बैगा" जनजाति की महिला मध्यप्रदेश के डिंडोरी से तीस किमी दूर पोंडा गाँव में इनका निवास है. इनका गाँव घने जंगलों में स्थित है, जहाँ ये विभिन्न पत्तियाँ चुनने जाती हैं. एक बार जब इन्होंने कुछ पेड़ों पर खास निशान देखे तो उत्सुक हुईं और पूछताछ की तो पता चला कि ये सारे पेड़ काटे जाने हैं. उजियारो बाई दुखी हो गईं और उन्होंने ठान लिया कि वे पेड़ नहीं कटने देंगी. गाँव वालों को एकत्रित किया और ठेकेदार को भगाकर ही दम लिया. उसके बाद तो पेड़ों को बचाना इनका जूनून ही बन गया, पिछले सात वर्ष में इन्होंने लाखों को पेड़ों को कटने से बचाया.
हाल ही में डरबन (दक्षिण अफ्रीका) में सम्पन्न विश्व वानिकी काँग्रेस में उजियारो बाई को सम्मानित किया गया. वहाँ पर उजियारो बाई ने जंगल बचाने को लेकर चल रही आदिवासी समाज की चिंताओं, परम्पराओं और प्रयत्नों के बारे में पूरे विश्व को बताया...
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सुप्रभात मित्रों...
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