Thursday, 10 September 2015

अभिरुणी झा ने Keshav Gaur की चित्र साझा की.
औकात पर आये भेड़िये:-
उपर दिख रहा चित्र सीरियाई शरणार्थीयो का है। ये कुत्तो अपने पिछवाड़े पर लात पड़ने के बाद से इस्लामिक आतंकवादी संगठन ISIS से अपनी जान बचाकर भागते फिर रहे थे। किसी भी मुस्लिम राष्ट्र ने इन हम मजहबो को शरण नही दी और प्रत्येक पडौसी मुस्लिम देश ने इन्हें अपनी सीमाओं से सुवरो की भाँती लात मारकर खदेड़ दिया।
कुछ यूरोपीय रास्ट्रो ने इन्हें अपना दामाद समझते हुए आरती उतार कर इनका पुरजोर स्वागत किया और इनके रहने खाने और अन्य जरूरतों का प्रबंध बड़े उत्साह से किया।
किन्तु ये क्या???
ये क्या अनर्थ शुरू हो गया???
दामाद जी इतने नाराज क्यों दिख रहे है???चिल्ला भी रहे है???
क्या इनके सास-ससुर या उनकी बेटी(इनकी होने वाली जायज-नाजायज बीवियों-रखैलो) ने इनकी सेवा में कुछ कसर बाकि रख दी???
या कुछ और नाफ़रमानी हुई इनकी???
दामादों ने यहाँ अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाना शुरू कर दिया है।
क्यों???
अरे भाई ये भी कोई सवाल हुआ?
हक़ दिया है तो हक का इस्तेमाल भी किया जायेगा के नही???
बस ये बेचारे तो अपने जन्मजात हक का इस्तेमाल कर रहे है,जिसे युरोपियन देशो ने स्वयं इनको प्रदान किया है।
ये क्यों चिल्ला रहे है???
आखिर मुद्दा क्या है???
अरे भाई रहने को जगह दी।
खाने को खाना दिया।
पहनने को कपडे दिए।
बाकि सब जरूरते भी पूरी की।
अपनी बीवियों-रखैलो और बलात्कार का सामान ये खुद ही Settle कर लेंगे।
तो फिर क्या कसर रही??
क्या उज्र हुआ??
केसी नाफ़रमानी हुई??
ओह्ह
ये माज़रा है!!
इनको हलाल का मीट ना मिला!!!!!
लो भाई जवाई जी के साथ बड़ी नाइंसाफी कर बैठे ये यूरोपियन तो.............??
सुवरो की फितरत कभी गई है???
उन्हें तो सिर्फ गू और मल ही की आदत होती है।

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