Thursday, 17 September 2015

कोडिन्ही गांव, केरल
केरल का कोडिन्ही एक रहस्यमय गांव है। यहां जुड़वां बच्चों का जन्म होना आम बात है। इस गांव में लगभग 2,000 परिवार रहते हैं। कुछ साल पहले के सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहां 250 जुड़वां बच्चे हैं। जबकि स्थानीय डॉक्टरों के मुताबिक यह संख्या असल में 350 तक हो सकती है। प्रति वर्ष जुड़वां बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इसके पीछे क्या कारण हैं, अभी तक कोई नहीं जान सका है। एक अनुमान के अनुसार, आमतौर पर भारत में प्रति 1000 बच्चों में 4 जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं। लेकिन कोडिन्ही में 1000 पर यह आंकड़ा काफी अधिक हो जाता है। द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 2004 से 2009 के बीच यहां 120 जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ।

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1669 मे औरंगजेब के हाथों विध्वस्त हो जाने के बाद, 1775 तक काशी मे विश्वनाथजी का मन्दिर ही ना रहा ! 1775 मे अहिल्या बाई ने ज्ञानव्यापी मस्जिद के बगल मे रहने वाले बहुत ही छोटे से मण्डप मे एक छोटी सी रचना का निर्माण करवाया जिसे आजकल मन्दिर कहा जाता है ! 1857 के सैन्य संग्राम मे मुसलमानों ने विश्वेश्वरजी के इस छोटे से मन्दिर पर हरा झण्डा फहराने की कोशिश की थी ! उससे अंग्रेजों को ही फायदा पहुंचा था !
अपनी हुकुमत को बनाये रखने के लिये अंग्रेजों ने धार्मिक संतुलन का जो सुत्र अपनाया था,  उसी को अधिकार ग्रहण कर्ने वाले भारत के राजकारण के मुखियाओं ने संविधान का पवित्र नियम सा बना डाला ! इससे मुसलमानों को यह तर्क प्रस्तुत करने का अवसर मिल गया कि इससे पहले अपने हाथों विध्वस्त किये गये हिन्दुओं के मन्दिरों के पवित्र स्थानों को वापस हिन्दुओं को नहीं लौटाने का कानूनी हक तथा सविंधान का समर्थन उन्हे प्राप्त हुआ है ! 1803 मे लॉर्ड वेलेंशिया नाम के अंग्रेज अफसर ने लिखा था " औरंगजेब की मस्जिद की ऊंची मिनारों को देखने के बाद, मेरे मन मे एक हिन्दु की भावना जगी ! मैने विचार किया की आंखों मे व्यथा भर देने वाले इस झगडे को समाप्त करके इस पवित्र नगर के इस स्थल को उसके पुराने मालिकों के हाथों सौंप देना चाहिये ! ( जार्ज वैंकाउट वेलेंशिया: Voyage and Travels of Lord Valentia Pt. 1; P.90; London,1811) मुसलमानों की हुकुमत समाप्त होने के बाद भी तीर्थक्षेत्रों की पौर-सभायें इस यात्रा शुल्क को वसूल करती आ रही हैं ! विदेशी हुकुमतों के हाथों ढाये गये इस हीन आचरण को समाप्त करने के बदले, उसको जारी रखते हुये आने वाले स्वदेश के हुकुमतपर्स्तों की विवेकहीनता के बारे मे क्या कहें ???

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