Wednesday, 16 September 2015

ऐसा पहली बार हुआ है आजादी के 68 सालों में
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बयान दे रहे हैं की भारत हमारे धैर्य की परीक्षा न ले .......
अपने सीमा से सटे गावों को पाकिस्तान ने युद्ध न होने की स्थिति में भी पहली बार खाली कराया है ......
पहली बार पाकिस्तान भारत से शिकायत कर रहा है की भारतीय सैनिको को बार बार सीमा उलंघन करने से रोका जाय .......
पहली बार बांग्लादेश से गोमांस का व्यापार 600 मिलियन डॉलर से घटकर 150 मिलयन डॉलर पर आ गयाऔर सीमा सुरक्षा बल ने एक साल में 90'000 गायों को सीमा पर छुड़ाया ......
जिस बांग्लादेश को पाकिस्तान आतंकवादियों का लांचिंग पैड बनाया था उसने भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए साझा योजना शुरू कर दी है......
श्रीलंका जो की चीन की गोद में जा बैठा था आज वहां का नवनियुक्त राष्ट्रपति सबसे पहले भारत के प्रधानमंत्री से मिलता है औरउसे आमंत्रित करता है .......
और साथ ही साथ अपने देश में रामायण मार्ग बनाने की योजना बनता है ......
तमिलो के लिए कई हज़ार घर बनाये जाते है..... म्यांमार सीमा में पहली बार घुसकर आतंकवादियों को उनकी भाषा में ठोककर चेतावनी दी जाती है......
पहली बार नागा नेताओं के सबसे बड़े समूह से बात करके अविरल शांति समझौता किया जाता है .....
पहली बार माता वैष्णो देवी यात्रा के लिए रेल की व्यवस्था की जाती है......
पहली बार प्रधानमंत्री की तरफ से रोज़ा इफ्तार बंदकर दिया गया है ......
पहली बारगंगा की सफाई के लिए अलग विभाग और अलग मंत्री बनाये गए .......
पहली बार गंगा सफाई का बजट १३५ करोड़ रूपया सालाना से बढ़ाकर ४००० करोड़ रूपया सालाना कर दिया गया .....
पहली बार कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिएसबसे सुगम रास्ता खोलवाया जाता है वो भी चीन से.......
पहली बार देश की विदेश राज्यमंत्री विदेश में खुद जाकरयुद्ध जैसे खतरनाक माहौल में अपने देश को लोगो को बचाकर लाती है .......
पहली बार पड़ोंसी देश हिन्दुराष्ट्र नेपाल में आये किसी विपत्ति में हमारा देश इतनी जल्दी मददगार बन जाता है.......
पहली बार किसी बाढ़ में प्रधानमंत्री इस तरह से लग जाते हैजैसे की बाढ़ उनके घर में आया हो .......
पहली बार अरब(दुबई) की धरती पर मंदिर बनने के लिए सरकारजमीन लेती है ........
पहली बार अमेरिका का राष्ट्रपति भारत के साथ हॉटलाइन स्थापित करता है .......
पहली बार भारतीय संस्कृति के धरोहर योग को पुरे विश्व में भारतीय पहचान दी जाती है और संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव रखते ही योगदिवस के रूप में एक नया विश्व रेकॉर्ड बन जाता है.......
पहली बारदूरदर्शन पर संस्कृत में समाचार, कार्यक्रम और इंटरव्यू शुरू किया जाता है ......
पहली बार पाक अधिकृत कश्मीर में भारत में शामिल होने की मांग उठती है .......
पहली बार जम्मू कश्मीर में कोई हिन्दू उपमुख्यमंत्री बनता है .......
पहली बारकश्मीर का मुख्यमंत्री कश्मीर के संविधान के बजाय भारत के संविधान की शपथ ले रहा है...... पहली बार पाकिस्तान से सताए जा रहे हिन्दुओं और सिक्खोंको भारत में बसाने की अनुमति दी जाती है.......
पहली बार कालाधन पर इतना कड़ा कानून बनाया जाता है की स्विस बैंक भारतीयों का खाता खोलने से पहले भारत सरकार से क्लियरेंस सर्टिफिकेट लाने को कह रहे हैं ......
पहली बार कोई प्रधानमंत्री लोगों से कुछ लेने के बजाय देने की सिख देता है और कुछ ही महीनो में देश के २०लाख लोग अपनी गैस सब्सिडी छोड़ भी देते है.......
पहली बारदेश की जनता को मुफ्त में खाता खोलने का अधिकार, १ रुपये और १२ रुपये में सामाजिक सुरक्षा दी जारही है .......
पहली बार किसानो के फसल मुवावजे की शर्त ५०% फसल हानि से घटकर ३३% कर दिया गया और मुवायजा दर ५०% बढ़ा दिया गया .....
पहली बार पुरे भारत को संचार की दृष्टि से एक करने के लिए सरकारी मोबाइल सेवाएं रोमिंग फ्री कर दी गयीं......
पहली बार देश के सभी स्कूलों में शौचालय बनाने का लक्ष्य पूरा किया गया .......
पहली बार देश में लोगों को सफाई पर चेतना देखने को मिली है.....
पहली बार देश अपने पुराने गौरवपूर्ण सांस्कृतिक भव्यता कीतरफ लौट रहा है ....
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जनगणना के सबसे चौंकाने वाले आँकड़े यह हैं कि अब भारत के सात राज्य ऐसे हैं, जहाँ हिंदुओं की जनसँख्या 50% से नीचे आ चुकी है, अर्थात वे तेजी से वहाँ अल्पसंख्यक बनने की कगार पर हैं. जम्मू-कश्मीर में हिन्दू 28.4%, पंजाब में 38.5%, नागालैंड में 8.7%, मिजोरम में सिर्फ 2.7%, मेघालय में 11.5%, अरुणाचल प्रदेश में 29% और मणिपुर में 41.4%. सुदूर स्थित केंद्रशासित लक्षद्वीप में हिंदुओं की संख्या सिर्फ 2.8% है. इस स्थिति में हमारे देश के कथित बुद्धिजीवियों को जो प्रमुख सवाल उठाना चाहिए वह यह है कि क्या इन राज्यों में हिंदुओं को “अल्पसंख्यक” के तौर पर रजिस्टर्ड किया जा चुका है?
क्या इन राज्यों में हिंदुओं को वे तमाम सुविधाएँ मिलती हैं, जो अन्य राज्यों में मुस्लिमों और ईसाइयों को मिलती हैं?
क्या इन राज्यों की योजनाओं एवं छात्रवृत्तियों में गरीब हिन्दू छात्रों एवं कामगारों को अल्पसंख्यक होने का लाभ मिलता है?




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