एक्सक्लूसिव : प्लास्टिक के कचरे से बनेगा पेट्रोल, IIT बीएचयू ने तैयार की मशीन
यह मशीन एक साल में बाजार में उपलब्ध हो जाएगी ��"र एक लीटर पेट्रोलियम द्रव्य पर कुल 20 रुपए खर्च आता है।
वाराणसी. प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल। सुनने में भले ही अचरज लगे, लेकिन है सोलह आना सच। बीएचयू आईआईटी ने एक ऐसी मशीन बनाई है, जो प्लास्टिक के वेस्ट को द्रव्य पेट्रोलियम में तब्दील कर देती है। इसकी लागत आती है सिर्फ २० रुपए प्रति लीटर। बीएचयू आईआईटी की मानें तो यह मशीन महज एक वर्ष में आम लोगों के बीच उपलब्ध हो जाएगी।
स्वच्छ वाराणसी परियोजना प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से हर कोई वाकिफ है, बावजूद इसके प्रयोग पर रोक नहीं लग पा रही है। ऐसे में आईआईटी बीएचयू ने \'स्वच्छ वाराणसी परियोजना\' के तहत प्लास्टिक के कचरे को रिसाइकिल करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट तैयार किया।
पहले तैयार हो रहा द्रव्य पेट्रोलियम केमेस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एम.ए. कुरैशी ने अपने रिसर्च स्कॉलर के साथ मिलकर एक मशीन तैयार की है। इस मशीन में कचरे में फेंके गए प्लास्टिक से� द्रव्य पेट्रोलियम तैयार किया जा रहा है। इस द्रव्य पेट्रोलियम के तीन ईंधन कंपोनेंट हैं, पेट्रोल,डीजल और केरोसिन। इसके अलावा इसमें कोक भी मिलते हैं जिससे कॉस्मेटिक के सामान बनाए जाते हैं।
ऐसे चलती है मशीन इस मशीन में प्लास्टिक को डालने के बाद ऑक्सीजन के बिना इसे 400 से 450 डिग्री सेल्सियस तापमान तक गर्म किया जाता है।� इस मशीन के दो भाग हैं। एक भाग में प्लास्टिक के कचरे की गंदगी साफ की जाती है, वहीं दूसरे भाग में पाइरोलाइजर की मदद से प्लास्टिक कचरे को हवा की अनुपस्थिति में गर्म कर द्रव्य पेट्रोलियम तैयार किया जाता है। सबसे खास बात ये कि इस पेट्रोलियम की कीमत दूसरे पेट्रोलियम पदार्थों की अपेक्षा बेहद कम है। एक लीटर पेट्रोलियम बनाने का खर्च मात्र 20 रुपये आता है। आईआईटी बीएचयू के इस अनोखे प्रयास से न सिर्फ पर्यावरण को पॉलीथिन मुक्त बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि ईंधन की कमी को भी कुछ हद तक पूरा किया जा सकेगा।
एक साल पहले बनाया था प्लान प्रो. कुरैशी ने बताया की इस मशीन को बनाने की रुपरेखा एक साल पहले ही शुरू की गयी थी, पर इसे बनाने में 6 महीने का वक्त लगा है और मशीन को बनाने में 20000 रुपए की लागत आई है। अब इसके बाद एक बड़ी मशीन बना रहे हैं, जिसकी लागत 50000 रुपये आएगी। इस मशीन को बाजार में आने में एक साल का वक्त लगेगा।
फर्निश ऑयल के रूप में प्रयोग प्रो. कुरैशी ने बताया कि अभी प्लास्टिक के कचरे से जो द्रव्य पेट्रोलियम प्राप्त होता है, उसे फर्निश ऑयल (भट्टियों में इस्तेमाल किया जाने वाला तेल) की तरह पर प्रयोग किया जा सकता है। छोटे उद्योगों जैसे चांदी गलाने की भट्टियों, हलवाई की भट्टियों में इस द्रव्य पेट्रोलियम का इस्तेमाल किया जा सकता है। मिट्टी के तेल से जलने वाले स्टोव में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट में प्रो. कुरैशी के साथ काम कर रहे रिसर्च स्कॉलर भी इस मशीन को लेकर बहुत उत्साहित हैं, वो बताते हैं कि वेस्ट मैटेरियल का इससे अच्छा इस्तमाल नहीं हो सकता।
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