Malti Raj Sagarभारत का आयुर्वेदिक ज्ञान
तुरई है इन मर्जों की रामबाण दवा:-
तुरई की सब्जी से सभी लोग परिचित होंगे, लेकिन ये सब्जी शरीर में बड़ी गर्मी से लड़ने और हिमोग्लोबिन की मात्रा को बनाए रखने के लिए भगवान का दिया सबसे बड़ा वरदान है। इसका वानस्पतिक नाम लुफ़्फ़ा एक्युटेंगुला है।
तुरई की सब्जी से सभी लोग परिचित होंगे, लेकिन ये सब्जी शरीर में बड़ी गर्मी से लड़ने और हिमोग्लोबिन की मात्रा को बनाए रखने के लिए भगवान का दिया सबसे बड़ा वरदान है। इसका वानस्पतिक नाम लुफ़्फ़ा एक्युटेंगुला है।
1. आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबाल लें। इसके बाद पानी को छान लें। अब जो पानी बचा हो उसमें बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर में बने दर्द व मस्से झड़ जाते हैं।
2. पीलिया होने पर तुरई का रस यदि रोगी की नाक में दो से तीन बूंद डाला जाए तो नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। आदिवासी मानते है कि इससे बहुत जल्दी पीलिया रोग खत्म हो जाता है।
3. तुरई के छोटे छोटे टुकड़े काटकर छांव में सुखा लें। सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रखे।बाद में इसे गर्म कर लें। तेल छानकर रोजाना बालों पर लगाए और मालिश भी करें तो बाल काले हो जाते हैं।
4. तुरई में इंसुलिन की तरह पेप्टाईड्स पाए जाते हैं। इसलिए इसे डायबिटीज नियंत्रण के लिए एक अच्छे उपाय के तौर पर देखा जाता है।
5. तुरई की बेल को दूध या पानी में घिसकर 5 दिनों तक सुबह शाम पिया जाए तो पथरी में आराम मिलता है।
6. तुरई के पत्तों और बीजों को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाने से दाद-खाज और खुजली जैसे रोगों में आराम मिलता है, वैसे ये कुष्ठ रोगों में भी लाभकारी होता है।
7. अपचन और पेट की समस्याओं के लिए तुरई की सब्जी बेहद कारगर इलाज है। डांगी आदिवासियों के अनुसार अधपकी सब्जी पेट दर्द दूर कर देती है।
8. आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बेहद अच्छा होता है। तुरई को खून साफ करने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी है*
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आयुर्वेद के अनुसार मेथी एक बहुगुणी औषधि के रूप में प्रयोग की जा सकती है.भारतीय रसोईघर की यह एक महत्वपूर्ण हरी सब्जी है.प्राचीनकाल से ही इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण इसे सब्जी और औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है.
मेथी की सब्जी तीखी, कडवी और उष्ण प्रकृति की होती है.इसमें प्रोटीन केल्शियम,पोटेशियम सोडियम,फास्फोरस,करबोहाई ड्रेट , आयरन और विटामिन सी प्रचुर मात्र में होते हैं. ये सब ही शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्व हैं.यह कब्ज, गैस,बदहजमी, उलटी, गठिया, बवासीर, अपच,च्चरक्तचाप , साईटिका जैसी बीमारियों को दूर करने में सहायक है.यह ह्रदय रोगियों के लिए भी लाभकारी है.मेथी के सूखे पत्ते, जिन्हें कसूरी मेथी भी कहते हैं का प्रयोग कई व्यंजनों को सुगन्धित बनाने में होता है.मेथी के बीज भी एक बहुमूल्य औषधि के सामान हैं.ये भूख को बढ़ाते हैं एवं संक्रामक रोगों से रक्षा करते हैं.इनको खाने से पसीना आता है, जिससे शरीर के विजातीय तत्व बाहर निकलते हैं. इससे सांस एवं शरीर की दुर्गन्ध से भी छुटकारा मिलता है.आधुनिक शोध के अनुसार यह अल्सर में भी लाभकारी है.
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आयुर्वेद के अनुसार मेथी एक बहुगुणी औषधि के रूप में प्रयोग की जा सकती है.भारतीय रसोईघर की यह एक महत्वपूर्ण हरी सब्जी है.प्राचीनकाल से ही इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण इसे सब्जी और औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है.
मेथी की सब्जी तीखी, कडवी और उष्ण प्रकृति की होती है.इसमें प्रोटीन केल्शियम,पोटेशियम सोडियम,फास्फोरस,करबोहाई ड्रेट , आयरन और विटामिन सी प्रचुर मात्र में होते हैं. ये सब ही शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्व हैं.यह कब्ज, गैस,बदहजमी, उलटी, गठिया, बवासीर, अपच,च्चरक्तचाप , साईटिका जैसी बीमारियों को दूर करने में सहायक है.यह ह्रदय रोगियों के लिए भी लाभकारी है.मेथी के सूखे पत्ते, जिन्हें कसूरी मेथी भी कहते हैं का प्रयोग कई व्यंजनों को सुगन्धित बनाने में होता है.मेथी के बीज भी एक बहुमूल्य औषधि के सामान हैं.ये भूख को बढ़ाते हैं एवं संक्रामक रोगों से रक्षा करते हैं.इनको खाने से पसीना आता है, जिससे शरीर के विजातीय तत्व बाहर निकलते हैं. इससे सांस एवं शरीर की दुर्गन्ध से भी छुटकारा मिलता है.आधुनिक शोध के अनुसार यह अल्सर में भी लाभकारी है.
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