इटली स्थित पीसा की मीनार के बारे में हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आज से लगभग हज़ार साल पहले बनी इस इमारत के ऊपर लगे विशाल धातु के घंटे पर स्वास्तिक के चिन्ह उकेरे गए हैं। (देखें, नारंगी रंग के घेरे में )
ये प्रमाण है इस बात का कि प्राचीन यूरोप पर भारतीय संस्कृति का व्यापक प्रभाव था।
जब यूरोप में ईसाइयत का बलपूर्वक विस्तार किया जाने लगा और स्थानीय प्रकृति पूजकों को वृक्षों-नदियों-प्रकृति की शक्तियों की पूजा करने पर दण्डित किया जाने लगा तो उनके मंदिर तोड़ डाले गए। चर्च ने लाखों गैर ईसाई महिलाओं को डायन कहकर ज़िंदा जलवा दिया। लोगों को यातनाएँ दी गईं। ये सांस्कृतिक चिन्ह भी मिटा डाले गए।
फिर भी कुछ चिन्ह बच गए और आज अतीत की कहानी कह रहे हैं कि यूरोप कभी वैदिक संस्कृति के प्रभाव में था।
जब यूरोप में ईसाइयत का बलपूर्वक विस्तार किया जाने लगा और स्थानीय प्रकृति पूजकों को वृक्षों-नदियों-प्रकृति की शक्तियों की पूजा करने पर दण्डित किया जाने लगा तो उनके मंदिर तोड़ डाले गए। चर्च ने लाखों गैर ईसाई महिलाओं को डायन कहकर ज़िंदा जलवा दिया। लोगों को यातनाएँ दी गईं। ये सांस्कृतिक चिन्ह भी मिटा डाले गए।
फिर भी कुछ चिन्ह बच गए और आज अतीत की कहानी कह रहे हैं कि यूरोप कभी वैदिक संस्कृति के प्रभाव में था।
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