भारतीय इतिहास वैसे तो साक्षी रहा है एक से भयंकर एक युद्ध का , लेकिन कुछ युद्ध ऐसे भी हुए है जिसमे भारतीय योद्धाओ ने अभूतपूर्ण वीरता का परिचय दिया और ये जानते हुए भी कि दुश्मन की सेना हमारी सेना से कई गुना अधिक है , प्राणों की बाजी लगते हुए मात्रभूमि की रक्षा करना अपना धर्म समझा ! महाबली जोगराज सिंह गुर्जर की कहानी भी अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए है |
ये कहानी है महाबली जोगराज गुर्जर और उन हजारो योद्धाओ की जिन्होंने उस निर्दयी और अत्याचारी विदेशी हमलावर तैमूर को हरिद्वार में न घुसने देने की कसम खायी | और जिसके लिए हजारो योध्धाओ के साथ साथ बहादूर महिलाओं ने भी युद्ध की बागडौर हाथ में संभालकर तैमूर का मुकाबला किया |
1398 में जब तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण किया तो उसके साथ करीब ढाई लाख घुड़सवारो की सेना थी जिसके बल पर वो क्रूर हत्यारा निर्दोष लोगो का खून बहाते हुए तेजी से आगे बढ़ रहा था | पंजाब की धरती को लहुलुहान करने के बाद तैमुर ने दिल्ली का रूख किया और दिल्ली के शासक तुगलक को हराया | दिल्ली में लाखो निर्दोषो को मौत के घाट उतारकर उसने एक लाख लोगो को बंदी बनाया और उनका कत्लेआम किया | दिल्ली के पास ही स्थित लोनी उसका अगला निशाना थी | लोनी और उसके आस पास का क्षेत्र गुर्जर बहुल क्षेत्र था यहाँ गुर्जर राज कर रहे थे और विदेशी आक्रान्ताओं को चोट पहुचाने में सबसे ज्यादा जाने जाते थे इसलिए तैमुर ने अगला निशाना लोनी क्षेत्र को बनाया , बहादुर गुर्जरों ने मुकाबला किया लेकिन हजारो वीरो को वीरगति का सामना करना पड़ा और तैमूर ने बंदी बनाकर वहां के एक लाख लोगो को मौत के घात उतार दिया |
उसके बाद वो हत्यारा तैमूर लंग बागपत ,मेरठ और सहारनपुर को लूटते हुए धार्मिक नगरी माने जाने वाली हरिद्वार को लूट कर और कत्लेआम आम कर वहां के मंदिरों और संपत्ति को नष्ट करने के इरादे से आगे बढ़ना चाहता था !देश और धर्म पर आंच आते देख क्षेत्र की सर्वखाप पंचायत के मुखिया पंचायत का आयोजन करते है ! राजा जगदेव परमार के वंशज व परमार खाप के मुखिया दादा मानसिहँ परमार के वीर पुत्र महाबली जोगराज सिहँ गुर्जर को सर्वसहमति से इस पंचायती सेना की कमान सौंपी जाती है। पंचायत ने निर्णय लिया कि अंतिम सांस तक इस आतातायी से मुकाबला किया जाएगा और इसे किसी भी हाल में रोकना होगा ! पंचायत के निर्णय को सर्वोपरि मानते हुए सभी बिरादरियो ने मिलकर महाबली को सेनापति घोषित कर दिया !
महाबली जोगराज गुर्जर जिनका जन्म सहारनपुर लान्ढोरा के पास पथरी नामक गाँव में हुआ था और महाबली उत्तर भारत के भीम कहलाये जाते थे और उनका कद 7 फीट 9 इंच था और वजन लगभग 300 किलो था ! महाबली के बारे में ये जानकारी आज भी खाप पंचायत के सदियों पुराने रिकॉर्ड में उपलब्ध है | महाबली को सर्वसम्मति से सेना प्रमुख घोषित करके युद्ध की घोषणा कर दी गयी और क्षेत्र की सभी ३६ बिरादरियो के योध्धाओ ने युद्ध में लड़ने का निर्णय लिया | हरिद्वार में होने वाली सर्वखाप की पंचायत में महाबली जोगराज गुर्जर को सेनापति बनाकर युद्ध की कमान दे दी गयी | महिला सेना ने भी इस युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया और महिला सेना की कमान नवयुवती रामप्यारी गुर्जरी को दे दी गयी ! दो योध्धाओ दादावीर हरवीर सिंह गुलिया जाट और दादावीर धूला सिंह बाल्मीकि जी को उपसेनापति बनाया गया ! मामचंद गुर्जर भी सेना की एक मजबूत कड़ी थे !महिला विंग की 1 सेनापति व 4 उपसेनापति बनायीं गयी थी जिनमे वीरांगना (1)रामप्यारी गुर्जरी सेनापति , (2)हरदेई जाट उपसेनापति , (3) देवीकौर उपसेनापति , (4)चन्द्रो ब्राह्मण उपसेनापति (5)रामदेई त्यागी उपसेनापति थी !
40 हजार ग्रामीण महिलाओं की सेना को युद्ध के लिए ट्रेनिंग देने का कार्य महिला सेनापति रामप्यारी गुर्जरी और उनकी 4 सेनापतियो ने बखूबी निभाया ! इन 40 हजार महिला योध्दाओ में सभी जातियों जैसे गुर्जर , जाट , अहीर , राजपूत , हरिजन , बाल्मीकि , त्यागी तथा अन्य जातियों की वीरांगना थी !
महाबली जोगराज सिंह गुर्जर ने अपनी सेना में जोश भरने के लिए उन्हें संबोधित किया-
– हे वीरो ! ऋषि मुनि जिस स्थान पर जिन्दगी भर की तपस्या के बाद पहुच पाते है और उन्हें जो स्थान प्राप्त होता है वीर योध्दा उसे अपनी मात्रभूमि कि रक्षा करते हुए जान देने पर प्राप्त कर लेता है ! देश को बचाओ और इसके लिए अगर बलिदान होना पड़े तो हो जाओ ! राष्ट्र तुम्हे याद रखेगा !! भगवान कृष्ण के गीता ज्ञान को याद करो और दुश्मन के विनाश के लिए आगे आओ “
इसके बाद महाबली जोगराज गुर्जर की सेना ने प्राण लिया कि चाहे हम जिन्दा रहे न रहे लेकिन इस अत्याचारी को यहाँ से भागकर छोड़ेंगे !!
सबसे पहला युद्ध मेरठ में हुआ जहाँ वीरो ने तेमूर की सेना को सांस नहीं लेने दिया , महिला सेनिको ने रामप्यारी गुर्जरी के नेतृत्व में उनके ठिकानों पर गुरिल्ला युद्ध के माध्यम से रात को हमले बोले और उनके खाने की रसद और हथियारों को नष्ट करना शुरू कर दिया ! जिससे घबराकर तैमुर अपनी ढाई लाख की सेना के साथ हरिद्वार की तरफ बढ़ा |
हरिद्वार में तैमुर ने भयंकर तरीके से हमला किया जहाँ जोगराज गुर्जर की पंचायती सेना ने मुहतोड़ जवाब दिया ! महाबली जोगराज शेर की तरह तैमुर की सेना पर टूट पड़े और काटना शुरु कर दिया ! महाबली जोगराज गुर्जर जिस तरफ जाते लाशो का ढेर लगा देते ! महिला सेना की कमान रामप्यारी गुर्जरी ने संभाली हुई थी ! तैमुर ये देखकर हैरान था कि 20-२२ साल की इतनी सुंदर युवती युद्ध के मैदान में जब उतरती है तो साक्षात् रणचंडी सी दिखाई देती है ! कई दिनों तक भयंकर युद्ध चला जिसमे एक तरफ आततायी राक्षस रूप में देश की अस्मिता और पवित्रता पर हमला करके उसे खंड खंड करना चाहते थे और दूसरी तरफ देश के वीर मतवालों और नवयुवतियो की सेना थी जो हर हाल में अपनी जान देकर भी मात्रभूमि की रक्षा करना चाहती थी !
युद्ध में तैमुर की ढाई लाख की सेना में से एक लाख साठ हजार को महाबली जोगराज गुर्जर की सेना ने काट डाला ! युद्ध में जोगराज गुर्जर के उपसेनापति हरवीर सिंह गुलिया गंभीर रूप से घायल हो गये उनको निकालने के लिए महाबली जोगराज गुर्जर ने २२ हजार मल्ल योध्धाओ के साथ मिलकर तैमुर के 5000 घुड़सवारो को काट डाला और योध्दा को अपने घोड़े पर निकाल लाये , लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और हरवीर सिंह वीरगति को प्राप्त हो गये ! महाबली जोगराज गुर्जर के कई सेनापति इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए !
अपनी सेना को इतनी भारी मात्रा में मारे जाते देख तैमूर को युद्ध छोड़कर भागना पड़ा और पहाड़ी क्षेत्र से अम्बाला की तरफ सेना भाग गयी ! वीरो ने अपनी जान देकर भी अपनी पवित्र भूमि को दुश्मनों से सुरक्षित कर लिया ! इस भीषण युद्ध में महाबली के लगभग 40 हजार योद्धा शहीद हुए ! इसी भीषण युद्ध में तैमुर भी भाले के वार से घायल हो गया था बताया जाता है कि इसी घाव की वजह से तैमुर की मौत उसके देश में हुई थी ! महाबली जोगराज गंभीर रूप से घायल हुए और हरिद्वार के जंगलो में चले गये ! उनकी म्रत्यु के बारे में किसी को ठीक से जानकारी नहीं है लेकिन बताया जाता है कि हरिद्वार के जंगलो में ही इस योध्दा ने प्राण त्यागे ! आगे चलकर इन्ही जोगराज गुर्जर के वंसजो की रियासत को गुर्जर रियासत कहा जाता था !
प्रख्यात कवि चंद्रभटट ने इस युद्ध का अपनी आँखों से देखा इतिहास लिखा था और इस बारे में हरियाणा के प्रसिद्ध इतिहासकार स्वामी ओमानंद जी ने भी महाबली जोगराज गुर्जर और रामप्यारी गुर्जरी के बारे में काफी विस्तार से लिखा है ! खाप पंचायत के इतिहास के सदियों पुराने ऐतिहासिक रिकार्ड् में ये सब दर्ज है !