फ्रांस मे शांतिप्रिय कौम की आबादी करीब 50 लाख है, जो की कुल आबादी की 7.5 % है । लगभग 1 दशक पहले तक इस देश मे सब कुछ सामान्य था, शांतिप्रिय कौम एक अनुशासित जीवन जी रही थी । जैसा कि दुनिया जानती है, शांतिप्रिय कौम की फितरत आबादी बढ़ने के साथ-साथ बदलती रहती है । कुछ यही फ्रांस मे हुआ ।
उदाहरण के तौर पर...
फ्रांस के उत्तरी शहर Reims को ही लीजिये, 20 साल पहले जहां इस शहर मे शांतिप्रिय कौम की आबादी करीब 20% हुआ करती थी, वही अब 2016 में बढ़कर 50% से ज्यादा हो चुकी है । आबादी मे इस ताबड़तोड़ बढ़ोत्तरी का एक बड़ा कारण वही "मृत बच्चा" Alan Kurdi है, जिसने Trojan Horse की तरह हजारों सीरियन शांतिप्रिय कौम (शरणार्थी ?) के सफल घुसपैठ को अंजाम दिया । हजारों सीरियन शांतिप्रिय लोगों ने इसी शहर को अपना ठिकाना बनाया ।
हमेशा की तरह शांतिप्रिय कौम की आबादी ज्यों ज्यों बढ़ती गयी, शांतिप्रिय कौम की डिमांड भी बढ़ती गयी । जो हिजाब-नकाब और "हलाल माँस", से होते हुए "अलग शरीयत कानून" तक पहुँच गयी । 2013 आते आते "चर्च के घंटे" की आवाज और "पोर्क खाते आम शहरी" को देख कर भी "शांतिप्रिय मजहब" खतरे मे आने लगा ! सहिष्णुता का परिचय देते हुए शहर के सभ्य-सज्जन आम शहरी इसे बर्दाश्त करते रहे, चुप रहे ।
घटना 2013 की है
इसी शहर Reims मे एक ईसाई लड़के पर चाकू-छुरे से सिर्फ इसलिए हमला कर दिया गया क्योंकि वह "शांतिप्रिय" के सामने Pork हेमसेंडविच खाने की गुस्ताखी कर बैठा था । हिंदुस्तानी Presstitute मीडिया की तरह वहाँ भी इस खबर को दबा गया । आम शहरियों ने अपनी आदत मे बदलाव करते हुए रेस्टोरेन्ट-होटल मे किसी "शांतिप्रिय" के सामने PORK खाना बंद कर दिया । शहर के कई कंपनियों के HR Managers नोटिफिकेशन जारी कर अपने Employees से Company Premises मे PORK से बनी चीजें खाने से रोक दिया ।
इस वाकये के बाद "शांतिप्रिय कौम" का हौसला और बढ़ गया । 2014 मे एक शांतिप्रिय लड़के को जब ट्रैफिक नियम तोड़ने की बजह से पुलिस ने गिरफ्तार किया तो शहर के ओबैसि टाइप एक नेता ने सिर्फ 2 मिनट मे "दंगा" कर शहर को कब्रिस्तान मे बदल देने की चेतावनी जारी कर दिया । बुद्धिजीवियों की सलाह पर लड़के को आजाद कर शहर को आने वाली खतरे से बचाया गया ।
कुल मिलाकर आप यह कह सकते हैं की ख़बरंडी Media, कु-बुद्धिजीवी और सेक्युलर तबका वही खेल रहा था जो यहाँ हिंदुस्तान मे बरसों से खेला जा रहा है और आम भारतीयों की भांति वहाँ का आम शहरी भी "शुतुरमुर्ग की तरह बालू मे सर घुसाये" बैठा था ।
हर चीज की एक सीमा होती है -- सहिष्णुता की भी...
हर चीज की एक सीमा होती है -- सहिष्णुता की भी...
अचानक Reims के आम शहरियों ने इन "बद्दू कबीला मजहब" के सामने घुटना टेकने से इन्कार कर दिया । पूरा शहर एक दिन मे जाग गया --- इस चिंगारी की बजह बनी एक घटना .....
Reims शहर के पार्क मे कुछ महिलाएँ धूप सेक रही थी, इनमे से एक लड़की ने बिकनी पहना हुआ था। तभी शांतिप्रिय कौम की 4-5 महिलाओं का गैंग पार्क मे आती है, और बिकनी पहनी महिला के साथ मारपीट करना शुरू कर देती है । अगले दिन अखबार मे खबर छपते ही इस छोटे से शहर मे बिरोध-प्रदर्शन शुरू हो जाता है । बिरोध स्वरूप सैकड़ों महिलाएं बिकनी और स्विमसूट मे उस पार्क मे जुट गईं, ट्विटर-फेसबुक पर भी फ्रांसीसी महिलाओं ने 'बिकनी सेल्फी' पोस्ट कर इस बिरोध परदर्शन को अपना समर्थन दिया । ईसाइयों की एकता ने "शांतिप्रिय कौम" को झुकने पर मजबूर कर दिया ।
इस साल हुए Nice truck attack और अन्य आतंकवादी घटनाओं ने इस चिंगारी को हवा दिया ...
आम जनमानस इन "शांतिप्रिय कौम" की फितरत को पहचान उठ खड़ी हुई । जनमानस की सोच मे इस बदलाव को "वोट का बिजनेस" करने वाले नेताओं का भी साथ मिला । धड़ाधड़ मस्जिदों-मदरसों मे छापे हुए --- हथियारों का जखीरा बरामद हुआ --- सैकड़ों जिहादी मुल्ला गिरफ्तार किए गए -- मस्जिदों को मिलने वाली अरबी पेट्रोडॉलर मदद पर पूरी तरह रोक लगा दिया गया -- 100 से अधिक मस्जिद बंद कर दिये गए ।
आज हिंदुस्तान को भी इसी एक चिंगारी की तलाश है
#DrAlam से साभार
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