Monday, 5 December 2016

इन 5 जगहों के बारे में जान कर आप भी करेंगे महाभारत पर भरोसा....

कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। माना जाता है कि हरियाणा के इस जिले में ही कौरव और पांडव सेना के बीच 18 दिनों तक युद्ध हुआ था। अदृश्य सरस्वती भी यहां से होकर बहती थी। यहां अभी भी ऐसी कई जगहें हैं जिनके आधार पर ये दावा किया जाता रहा है यहीं धर्मयुद्ध हुआ था। सिन्धु घाटी सभ्यता के वक्त से ही कुरुक्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण रहा है। कहते हैं कि महाभारत में इतना खून बहा था कि आज तक कुरुक्षेत्र की मिट्टी काली-लाल रंग की है।
हस्तिनापुर मेरठ में है। यहां एक मोहल्ले का नाम है कौरवान और दूसरे का पांडवान। एक टीला भी है जिसकी खुदाई पर प्रतिबंध है। पानी का एक कुंड है जिसे द्रौपदी कुंड कहा जाता है। थोड़ी ही दूर है बरनावा। माना जाता है कि यहीं लाक्षागृह था। हस्तिनापुर समेत पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसी कई जगहें हैं जिनके आधार पर कहा जाता है कि महाभारत कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत थी।
इंद्रप्रस्थ, दिल्ली का पुराना नाम है। धृतराष्ट्र के कहने पर जब पांडव खांडव वन पहुंचे तो उसे ही अपनी राजधानी बनाने का फैसला किया। उन्होंने मय दानव की मदद से खांडवप्रस्थ को इंद्रप्रस्थ बनाया। कहते हैं कि ये जगह बेहद खूबसूरत थी और कौरवों को भी इसे देख कर पांडवों से ईर्ष्या हो गई थी। दिल्ली में ऐसे कुछ मंदिर और जगहें अब भी शेष हैं जिनके आधार ये माना जाता है कि दिल्ली ही पुराने वक्त में इंद्रपस्थ थी।
दनकौर यानि ग्रेटर नौएडा स्थित वो जगह जहां गुरु द्रोण का मंदिर है। यहीं पास में एक गांव है जिसका नाम है मुंहफाड़। कहते है कि एक कुत्ता द्रोण पर लगातार भौंक रहा था और तब एकलव्य ने बाणों से कुत्ते का मुंह भर दिया लेकिन कुत्ते को खरोंच तक नहीं आई। इसी कारण गांव का नाम मुंहफाड़ पड़ा। माना जाता है कि यहीं पर द्रोण ने एकलव्य का अंगूठा मांग लिया था। एकलव्य ने जहां द्रोण की मूर्ति बना कर अभ्यास किया था वहीं पर वर्तमान में एक मंदिर है।
कर्णवास, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गंगा नदी के किनारे स्थित है। माना जाता है कि राजा कर्ण यहीं स्नान के बाद एक शिला पर बैठ कर सवा मन सोने का दान करते थे। वह शिला अभी भी यहां मौजूद है। यहां ऐसे कई मंदिर और स्थान हैं जिनसे साफ है कि राजा कर्ण का इस जगह से गहरा नाता रहा है। कर्ण मंदिर में राजा कर्ण की मूर्ति स्थापित है और दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए पहुंचते हैं।

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