शर्म आती है मुझे ऐसे लोगो पर जो अपना त्यौहार मना नही सकते कभी मंदिर नही जा सकते कुत्तो कि तरह मुह मारते फिरते है दरगाह,मजार,मस्जिद और चर्चो में इन लोगो कि मति मारी गयी है,विवेक हीन हो चुके है जो जीसस खुद शूली पर टांग दिया गया हो और जो उस समय कुछ न कर सका हो, वो किसी का भला क्या करेगा,पुरे देश में मुर्खता का वातावरण तैयार किया जा रहा है,लेकिन द विन्ची कोड जैसी फिल्मो की और सोये हुए हिन्दू समाज का ध्यान गया ही नहीं,जिसने साबित कर दिया था की मैरी तो कुंवारी थी ही नहीं, फ्रांस से बैथल्हम जाते हुए यहूदी सैनिक के द्वारा बलात्कार के बाद जन्मा था ये जीसस,आज पुरे यूरोप से ईसाईयत के पांव उखड रहे है और वहां के लोग हिन्दू बन रहे है और हम मुर्ख हिन्दू ईसाईयत के पीछे भाग रहे है,मुर्खता की परिकाष्ठा,
क्या आप जानते हैं कि हाथी जैसे विशाल जीव को एक पतली सी रस्सी से बांध कर गुलाम कैसे बनाया जाता है...??????
दरअसल उसके लिए हाथी को बचपन में ही पकड़ा जाता है और उसे रस्सी से बांध दिया जाता है ,प्रारम्भ में हाथी का वो बच्चा आजाद होने के लिए बहुत छटपटाता है और उस रस्सी को तोड़ने का भरपूर प्रयास करता है परन्तु अपेक्षाकृत कम शक्तिशाली होने की वजह से वो हाथी का बच्चा उस रस्सी को तोड़ नहीं पाता है फिर कालांतर में धीरे-धीरे हाथी के बच्चे के मन में यह बात बैठ जाती है कि वो अब इस रस्सी को कभी नहीं तोड़ पाएगा इसीलिए,बड़े होने के बाद भी वो उस रस्सी को तोड़ने का प्रयास ही छोड़ देता है और,आजीवन
गुलाम ही रह जाता है..आज कमोबेश हिंदुओं की भी यही स्थिति है .....
मैंने कभी किसी ईसाई को मंदिर या मस्जिद में जाते नहीं देखा कभी किसी मुसलमान को मंदिर या गिरिजाघर में जाते नहीं देखा कभी भी किसी को सर पर तिलक या जय श्री राम कहते नहीं सुना,किसी ईसाई या मुस्लिम के घर पर दिवाली के दीपक जलते नहीं देखे अगर सर्व धर्म समभाव है
तो क्या सिर्फ हिन्दुओ के लिए ही सर्व धर्म समभाव है? क्यूँ हम लोग हैप्पी क्रिसमस और ईद मुबारक कहते है ....?
सेक्युलर नहीं सनातनी हिन्दू बनो ...सुधर जाओ हिन्दुओ अभी भी वक्त है हजारों सालों के मुस्लिमों और अंग्रेजों की गुलामी ने शायद हिंदुओं के मानसिक रूप से भी गुलाम बना दिया है,यही कारण है कि आज कई हिन्दू आपस में ही एक-दूसरे को ""हैप्पी क्रिसमस "" बोल रहे हैं,बिना यह जाने-समझे कि ये क्रिसमस क्या है और ये क्यों मनाया जाता है...???????
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वैसे मूर्ख और सामाजिक कलंक कूल डूडस को मैं बता दूँ कि आज के ही दिन ईसाईयों के धर्म गुरु ""ईसा मसीह"" का जन्म हुआ था इसीलिए वे इसे बहुत महत्वपूर्ण यानि बड़ा दिन मानते हैं और, दारु पी उसी की ख़ुशी मनाते हैं...!
अब कोई कूल डूडस या सेकुलर मुझे ये समझा
सकता है कि.... अगर आज के दिन ""ईसा मसीह""का जन्म हुआ था तो आज का दिन हम हिंदुओं के लिए कैसे महत्वपूर्ण है...?????
अब कुछ लोग बेहूदगी भरा ये तर्क देंगे कि मानवता के नाते हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए तो भाई सम्मान करो ना सम्मान करने से किसने मना किया है??????
लेकिन पडोसी को सम्मान देने का यह मतलब तो नहीं है कि उसे चाचा,मामा,काकू कहने की जगह उसे पिताजी ही बुलाना शुरू कर दो?
खैर मैं अपने बारे में समझा दूँ कि मैं एक हिन्दू हूँ और,मेरे पिताजी,उनके पिताजी और उनके भी पिताजी एक हिन्दू थे और,मेरी रगों में एक हिन्दू खून दौड़ रहा है इसीलिए मैं कोई क्रिसमस-व्रिसमस नहीं मनाता क्योंकि,एक हिन्दू होने के नाते मेरे लिए जन्माष्टमी,शिवरात्रि,दुर्गापूजा ,गणेशचतुर्थी इत्यादि महत्वपूर्ण हैं ना कि ईसाई मसीह का जन्म दिवस...!
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क्या आपमें क्रिसमस मानाने की भावना हिलोरें मारती है और,क्या आप""क्रिसमस"" मानाने में ख़ुशी महसूस करते हैं....????
अगर ऐसा है तो मुझे उनसे बेहद हमदर्दी है और,उन्हें एक सच्ची सलाह है कि जल्द से जल्द कृपया आप अपने खून या डीएनए की जांच करवा
लें ताकि,सम्भावित गड़बड़ी का पता लगाया जा सके....!
क्या आप जानते हैं कि हाथी जैसे विशाल जीव को एक पतली सी रस्सी से बांध कर गुलाम कैसे बनाया जाता है...??????
दरअसल उसके लिए हाथी को बचपन में ही पकड़ा जाता है और उसे रस्सी से बांध दिया जाता है ,प्रारम्भ में हाथी का वो बच्चा आजाद होने के लिए बहुत छटपटाता है और उस रस्सी को तोड़ने का भरपूर प्रयास करता है परन्तु अपेक्षाकृत कम शक्तिशाली होने की वजह से वो हाथी का बच्चा उस रस्सी को तोड़ नहीं पाता है फिर कालांतर में धीरे-धीरे हाथी के बच्चे के मन में यह बात बैठ जाती है कि वो अब इस रस्सी को कभी नहीं तोड़ पाएगा इसीलिए,बड़े होने के बाद भी वो उस रस्सी को तोड़ने का प्रयास ही छोड़ देता है और,आजीवन
गुलाम ही रह जाता है..आज कमोबेश हिंदुओं की भी यही स्थिति है .....
मैंने कभी किसी ईसाई को मंदिर या मस्जिद में जाते नहीं देखा कभी किसी मुसलमान को मंदिर या गिरिजाघर में जाते नहीं देखा कभी भी किसी को सर पर तिलक या जय श्री राम कहते नहीं सुना,किसी ईसाई या मुस्लिम के घर पर दिवाली के दीपक जलते नहीं देखे अगर सर्व धर्म समभाव है
तो क्या सिर्फ हिन्दुओ के लिए ही सर्व धर्म समभाव है? क्यूँ हम लोग हैप्पी क्रिसमस और ईद मुबारक कहते है ....?
सेक्युलर नहीं सनातनी हिन्दू बनो ...सुधर जाओ हिन्दुओ अभी भी वक्त है हजारों सालों के मुस्लिमों और अंग्रेजों की गुलामी ने शायद हिंदुओं के मानसिक रूप से भी गुलाम बना दिया है,यही कारण है कि आज कई हिन्दू आपस में ही एक-दूसरे को ""हैप्पी क्रिसमस "" बोल रहे हैं,बिना यह जाने-समझे कि ये क्रिसमस क्या है और ये क्यों मनाया जाता है...???????
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वैसे मूर्ख और सामाजिक कलंक कूल डूडस को मैं बता दूँ कि आज के ही दिन ईसाईयों के धर्म गुरु ""ईसा मसीह"" का जन्म हुआ था इसीलिए वे इसे बहुत महत्वपूर्ण यानि बड़ा दिन मानते हैं और, दारु पी उसी की ख़ुशी मनाते हैं...!
अब कोई कूल डूडस या सेकुलर मुझे ये समझा
सकता है कि.... अगर आज के दिन ""ईसा मसीह""का जन्म हुआ था तो आज का दिन हम हिंदुओं के लिए कैसे महत्वपूर्ण है...?????
अब कुछ लोग बेहूदगी भरा ये तर्क देंगे कि मानवता के नाते हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए तो भाई सम्मान करो ना सम्मान करने से किसने मना किया है??????
लेकिन पडोसी को सम्मान देने का यह मतलब तो नहीं है कि उसे चाचा,मामा,काकू कहने की जगह उसे पिताजी ही बुलाना शुरू कर दो?
खैर मैं अपने बारे में समझा दूँ कि मैं एक हिन्दू हूँ और,मेरे पिताजी,उनके पिताजी और उनके भी पिताजी एक हिन्दू थे और,मेरी रगों में एक हिन्दू खून दौड़ रहा है इसीलिए मैं कोई क्रिसमस-व्रिसमस नहीं मनाता क्योंकि,एक हिन्दू होने के नाते मेरे लिए जन्माष्टमी,शिवरात्रि,दुर्गापूजा ,गणेशचतुर्थी इत्यादि महत्वपूर्ण हैं ना कि ईसाई मसीह का जन्म दिवस...!
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क्या आपमें क्रिसमस मानाने की भावना हिलोरें मारती है और,क्या आप""क्रिसमस"" मानाने में ख़ुशी महसूस करते हैं....????
अगर ऐसा है तो मुझे उनसे बेहद हमदर्दी है और,उन्हें एक सच्ची सलाह है कि जल्द से जल्द कृपया आप अपने खून या डीएनए की जांच करवा
लें ताकि,सम्भावित गड़बड़ी का पता लगाया जा सके....!
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