भारतीय छात्र का कमाल, बनाया रात में भी बिजली पैदा करने वाला सोलर सिस्टम
प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, कार्बन उत्सर्जन जैसी कई पर्यावरण संबंधी समस्याओं से जंग में दुनियाभर में क्लीन एनर्जी के इस्तेमाल को प्रमुखता दी जा रही है। इसके चलते लगातार एक से बढ़कर एक इनोवेशन सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में कोलकाता के एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने ऐसा सोलर पावर सिस्टम तैयार किया है जो रात में भी पावर प्रोड्यूस कर सकेगा। यह प्रोजेक्ट खासतौर पर पहाड़ी इलाकों और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स में सोलर एनर्जी के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
ऐसे बनी है डिवाइस
यह डिवाइस सोलर बेस्ड पावर जनरेशन और स्टोरेज सिस्टम का एक कॉम्बो है। इसे ऐसी किसी भी जगह पर लगाया जा सकता है जहां दिनभर में 100 वाट पावर प्रोड्यूस की जा सके। डिवाइस में सोलर एक सोलर पंप मॉड्यूल और दो वाटर टैंक लगे हैं। खास बात यह है कि इसकी कीमत सामान्य बैटरी के लगभग बराबर ही है। कोलकाता स्थित रिन्यूएबल एनर्जी कॉलेज के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की फंडिंग के लिए सरकार से बातचीत की जा रही है।
ऐसे काम करता पूरा प्रोजेक्ट
दिन के समय नीचे वाले टैंक से पानी ऊपर वाले टैंक में जाता है, इसमें सोलर एनर्जी से चलने वाला पंप मदद करता है। ऊपर लगा टैंक जिस स्पीड से पानी ग्रहण करता है, उसकी आधी स्पीड से यह पानी रिलीज करता है। यह रिलीज हुआ पानी एक घूमती हुई टर्बाइन पर गिरता है, जो पावर जनरेट करती है, यह पावर स्टोरेज डिवाइस में जाती है। पानी का कुछ हिस्सा साथ-साथ नीचे वाले टैंक में भी बहता है, यह भी पावर प्रोड्यूस करता है। ऊपर वाले टैंक से रात के समय भी पानी नीचे गिरता रहता है, जिससे रात में भी पावर प्रोड्यूस होती रहती है।
प्रोजेक्ट का स्ट्रक्चर
कॉलेज के चेयरमैन के मुताबिक, 200x600 मीटर के दो टैंक अलग-अलग ऊंचाई पर लगे होते हैं। दोनों के बीच करीब 50 मीटर की दूरी होती है। इस तरह के स्ट्रक्चर के साथ लगातार 1 मेगावाट पावर प्रोड्यूस की जा सकती है। इसकी कीमत करीब 9 करोड़ रुपए के आसपास होती है। 1 मेगावाट पावर दिनभर प्रोड्यूस करने के लिए करीब 2 मेगावाट सोलर पावर की जरूरत पड़ेगी। पहाड़ी इलाकों पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग के जरिये पानी टैंकों में भरा जा सकता है। एक बार भरने के बाद पानी की जरूरत नहीं पड़ती।
ऐसे बनी है डिवाइस
यह डिवाइस सोलर बेस्ड पावर जनरेशन और स्टोरेज सिस्टम का एक कॉम्बो है। इसे ऐसी किसी भी जगह पर लगाया जा सकता है जहां दिनभर में 100 वाट पावर प्रोड्यूस की जा सके। डिवाइस में सोलर एक सोलर पंप मॉड्यूल और दो वाटर टैंक लगे हैं। खास बात यह है कि इसकी कीमत सामान्य बैटरी के लगभग बराबर ही है। कोलकाता स्थित रिन्यूएबल एनर्जी कॉलेज के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की फंडिंग के लिए सरकार से बातचीत की जा रही है।
ऐसे काम करता पूरा प्रोजेक्ट
दिन के समय नीचे वाले टैंक से पानी ऊपर वाले टैंक में जाता है, इसमें सोलर एनर्जी से चलने वाला पंप मदद करता है। ऊपर लगा टैंक जिस स्पीड से पानी ग्रहण करता है, उसकी आधी स्पीड से यह पानी रिलीज करता है। यह रिलीज हुआ पानी एक घूमती हुई टर्बाइन पर गिरता है, जो पावर जनरेट करती है, यह पावर स्टोरेज डिवाइस में जाती है। पानी का कुछ हिस्सा साथ-साथ नीचे वाले टैंक में भी बहता है, यह भी पावर प्रोड्यूस करता है। ऊपर वाले टैंक से रात के समय भी पानी नीचे गिरता रहता है, जिससे रात में भी पावर प्रोड्यूस होती रहती है।
प्रोजेक्ट का स्ट्रक्चर
कॉलेज के चेयरमैन के मुताबिक, 200x600 मीटर के दो टैंक अलग-अलग ऊंचाई पर लगे होते हैं। दोनों के बीच करीब 50 मीटर की दूरी होती है। इस तरह के स्ट्रक्चर के साथ लगातार 1 मेगावाट पावर प्रोड्यूस की जा सकती है। इसकी कीमत करीब 9 करोड़ रुपए के आसपास होती है। 1 मेगावाट पावर दिनभर प्रोड्यूस करने के लिए करीब 2 मेगावाट सोलर पावर की जरूरत पड़ेगी। पहाड़ी इलाकों पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग के जरिये पानी टैंकों में भरा जा सकता है। एक बार भरने के बाद पानी की जरूरत नहीं पड़ती।
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