Sunday 18 December 2016

सभी हिन्दू अपना सामान बांधें और कश्मीर छोड़ कर चले जाएं’...
कश्मीर में हिंदुओं पर कहर टूटने का सिलसिला 1989 जेहाद के लिए गठित जमात-ए-इस्लामी ने शुरू किया था। जिसने कश्मीर में इस्लामिक ड्रेस कोड लागू कर दिया। उसने नारा दिया हम सब एक, तुम भागो या मरो।
 इसके बाद कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ दी। करोड़ों के मालिक कश्मीरी पंडित अपनी पुश्तैनी जमीन जायदाद छोड़कर रिफ्यूजी कैंपों में रहने को मजबूर हो गए।
घाटी में कश्मीरी पंडितों के बुरे दिनों की शुरुआत सितम्बर 14, 1989 से हुई। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और वकील कश्मीरी पंडित, तिलक लाल तप्लू की जेकेएलएफ ने हत्या कर दी। इसके बाद जस्टिस नील कांत गंजू की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस दौर के अधिकतर हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गयी। उसके बाद 300 से अधिक हिन्दू महिलाओँ और पुरुषों की हत्या की गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक कश्मीरी पंडित नर्स के साथ आतंकियों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद मार-मार कर उसकी हत्या कर दी। घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और लड़कियों के अपहरण किए गए। हालात बदतर हो गए। एक स्थानीय उर्दू अखबार, हिज्ब – उल – मुजाहिदीन की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की- ‘सभी हिन्दू अपना सामान बांधें और कश्मीर छोड़ कर चले जाएं’।

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