रियो ओलंपिक में देश को पहला मेडल दिलाने वाली हरियाणा की पहलवान साक्षी मलिक का यह रक्षाबंधन ढेर सारी खुशियां लेकर आया है साक्षी हरियाणा से हैं। हरियाणा उन राज्यों में है जहां पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं की संख्या सबसे कम है लेकिन उन्होंने तमाम सामाजिक अड़चनों के परे जाकर साल 2002 से कुश्ती की कोचिंग शुरु की और चौदह साल बाद भारतीय महिला कुश्ती का इतिहास बदल दिया। . हरियाणा सरकार ने साक्षी की इस उपलब्धि पर उपहार स्वरूप उन्हें 2.5 करोड़ रुपये और सरकारी नौकरी देने का ऐलान कर दिया है.
साक्षी ने कजाकिस्तान की अइसुलू टाइबेकोवा को 58 किलोग्राम भारवर्ग में चित्त करके कांस्य पदक पर कब्जा जमाया. इसके साथ ही उन्होंने इस ओलंपिक में देश की झोली में पहला पदक डाला. इस मुकाबले में साक्षी ने पहले राउंड में 0-5 से पीछे होने के बावजूद दूसरे राउंड में भारी उलटफेर करते हुए टाइबेकोवा को 8-5 से शिकस्त दे दी.
इससे पहले बीते साल एशियाई चैंपियनशिप में पोडियम फिनिश करने वाली साक्षी ओलंपिक में कुश्ती में पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई है. उनकी इस ऐतिहासिक जीत पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत तमाम नेताओं और दिग्गजों ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं. साक्षी के भाई सचिन का कहना है कि रक्षाबंधन पर इससे बेहतरीन कोई और तोहफा नहीं हो सकता. वे साक्षी को बहुत प्यार करते हैं.
महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि ये उनकी 12 साल की मेहनत का नतीजा है। ग़ौरतलब है कि साक्षी ने कुश्ती में आज कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। मेरी सीनियर गीता दीदी ने लंदन ओलंपिक में क्वालिफाई किया था।'' साक्षी पहली भारती महिला पहलवान हैं जिन्होंने ओलंपिक में कोई पदक जीता है। उन्होंने कहा, ''मैंने कभी सोचा भी न था कि मैं ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनूंगी।
रोहतक की इस पहलवान ने साल 2014 के ग्लॉस्गो कॉमनवेल्थ खेलों में रजत पदक जीत हासिल किया था। साल 2015 में उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में कांस्य जीता था। उन्होंने इंस्ताबुल में पूर्व वर्ल्ड चैंपियन को हराकर रियो ओलंपिक का टिकट हासिल किया था।
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