Thursday 11 August 2016

megiya


इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मजहब है और 
डेढ़ अरब से ज्यादा मुसलमानों की आबादी है 
फिर भी 
हर जगह जूते खा रहे हैं. 50 से ज्यादा इस्लामी मुल्क हैं, 
किसी एक मे लोकतंत्र नही है, विज्ञान नही है, किसी दूसरे मजहब का संम्मान नही है

बाबर, औरंगज़ेब,गज़नवी जैसे हैवानो को अपना आदर्श मानते हैं,
सदियों से एक दूसरे की गरदने उतारने मे लगे हैं
Prem Sharma
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कश्मीर में कश्मीरियत की नहीं, इस्लामियत स्थापित करने की लड़ाई है!
1947 से आज तक कश्मीर की आजादी की बात करने वाले वे लोग है जिन्होने धर्म के आधार पर दो देश की थ्योरी में मुसलमानों का पाकिस्तान बनवाया। धर्म के आधार पर भारत के दो टुकड़े एक बार हो चुके हंै। यदि कश्मीर को मुस्लिम बहुसंख्या के आधार पर आजादी देनी है तो फिर भारत राष्ट्र-राज्य के अस्तित्व, उसकी सेकुलर बुनावट का क्या होगा? कश्मीरी और उसके पीछे पाकिस्तानी पिछले 70 साल से बता रहे है कि दो धर्म साथ नहीं रह सकते। अपनी इस थीसिस में घाटी के मुसलमानों ने हिंदूओं का सफाया किया।
यूगोस्लाविया, बोस्निया में जैसे मुसलमानों के नरसंहार की नस्लीय सफाई क्लीनसिंग हुई थी वैसा कश्मीर घाटी के मुसलमानों ने हिंदू पंडितों के साथ किया।
मतलब दो धर्मों के साथ न रह सकने की पाकिस्तानी थीसिस में कश्मीरी मुसलमानों ने हिंदूओं को घाटी से निकाल बाहर किया। घाटी को पूरी तरह मुस्लिम बना डाला। तभी वहां जो हुआ है या जो है वह कश्मीरियत नहीं बल्कि इस्लामियत है। सोचे, भारत राष्ट्र-राज्य के बाहुबल की मौजूदगी में कश्मीर घाटी में हिंदूओं की क्लीनसिंग हुई। क्यों? ताकि लड़ाई इस्लाम की आजादी की बने।
Sandeep Deo

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