असम के रहने वाले चंदन की फुटबॉल में इतनी किक थी कि अब वो खेलेगा
जर्मनी के फुटबॉल क्लब में...
एक फिल्म का डायलॉग है, 'अगर पूरी शिद्दत से किसी चीज़ को चाहो तो सारी कायनात आपको उससे मिलाने में जुट जाती है'. ये महज़ एक डॉयलॉग नहीं बल्कि हकीकत है और इसका एक बड़ा उदाहरण असम का रहने वाला चंदन बोरो है. किस्मत की बात इसलिए की क्योंकि 9 साल का चंदन असम के Harisinga शहर में एक सफाई कर्मचारी का बेटा है और जल्द वो फुटबॉल खेलने जर्मनी जा रहा है.चंदन उस जगह का निवासी है, जहां गरीबी और कई परेशानियां बसती हैं.
चंदन, स्पोर्ट्स अथॉरिटी आॅफ इंडिया के कोकराझार सेंटर से टाटा ट्रस्ट, मुम्बई द्वारा चुना गया. U Sports मुम्बई और जर्मनी के U Dream Football के साथ मिलकर हुए टाटा ट्रस्ट के फुटबॉल डेवलपमेंट प्रोग्राम में 15 साल से कम के फुटबॉल खिलाड़ियों को चुना गया. कुछ ही दिनों में वो Germany के Bitburg में अपने सपनों को पूरा होता देखेगा.
.चंदन, जिसके पिता शहर की धूल साफ करते हैं और मां जो रेलवे स्टेशन के पास एक चाय की दुकान पर काम करती हैं, उनका मान सातवें आसमान पर पहुंच चुका है. एक झोपड़े में रहने वाला ये छोटा खिलाड़ी North East United Football Club का फैन है. चंदन ने Harisinga Football Coaching Centre से ट्रेनिंग ली है.
चंदन की ये उपलब्धि पूरे गांव के लिए बड़ी उम्मीद है. इसीलिए कहा गया है, बेटा काबिल बनो, कामयाबी झक मार कर पीछे आएगी.
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