पीएमओ के राज्यमंत्री जीतेंद्र सिंह ने कहा कि यह हमारी नैतिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी है कि हम पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के भाइयों और गिलगिट-बालिस्तान के साथ खड़े रहें। सिंह ने कहा, ‘इसके साथ ही यह जरूरी है कि इस क्षेत्र में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की तरफ दुनिया का ध्यान खींचा जाए।’ सिंह ने यह भी कहा कि ‘तिरंगा यात्रा’ का असली चरमोत्कर्ष कोटली और मुजफ्फराबाद में होगा, जब हम पीओके में भारतीय झंडा फहराएंगे।
इस बीच, एएनआई को दिए गए बयान में बलूचिस्तान के एक्टिविस्ट हम्मल हैदर बलूच ने शनिवार को कहा, ‘हम बलूचिस्तान की आजादी के आंदोलन में पीएम मोदी के समर्थन से जुड़े बयान का स्वागत करते हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब एक भारतीय पीएम ने बलूच लोगों की मदद करने की ख्वाहिश जारी की है। यह एक बेहद अहम फैसला है।’ बलूच ने कहा, ‘बलूच लोगों और भारत में कई समानताएं हैं। हम सेक्युलर हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों में भरोसा करते हैं। पाकिस्तान ने कभी अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन नहीं किया। वे बलूच लोगों की हत्या कर रहे हैं।’ वहीं, एक अन्य कार्यकर्ता नैला बलूच ने कहा, ‘हम बलूचिस्तान के लोग यातनाएं झेल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि आप (पीएम नरेंद्र मोदी) यह मुद्दा इस साल सितंबर में यूएन में उठाएंगे।’
सिंह का बयान ऐसे वक्त में आया है जब एक दिन पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पीओके भी कश्मीर का हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर के हालात पर हुई ऑल पार्टी मीटिंग में मोदी ने कहा कि वक्त आ गया है कि जब पाकिस्तान बलूचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर कश्मीर के लोगों पर हुई ज्यादती पर दुनिया को जवाब दे। सरकार की तरफ से कहा गया कि सभी पार्टियां इस बात पर एकराय थीं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले पर किसी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए।
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