हाफ़िज़ सईद के ख़िलाफ़ फतवा
इस्लाम से ‘ख़ारिज’ करार...
मुम्बई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ (18 अगस्त) जारी एक फतवे में उसे इस्लाम से ‘खारिज’ करार दिया गया एवं इसमें उसे मुसलमान मानने और उसकी बातों को सुनने को नाजायज बताया गया है।
बरेली की दरगाह आला हजरत से जुड़ी संस्था मंजर-ए-इस्लाम सौदागरान के मुफ्ती मुहम्मद सलीम बरेलवी ने जयपुर के रहने वाले मुहम्मद मोइनुद्दीन नामक व्यक्ति द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में कहा है कि आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा के सरगना और मुम्बई हमलों के मुख्य गुनहगार हाफिज सईद का इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है। वह धर्मविरुद्ध दृष्टिकोण और विचारधारा का प्रचार करके लोगों को आतंकवादी घटनाएं करने के लिए उकसाता है। क्या ऐसे शख्स को मुसलमान कहा जाना चाहिए?
फतवे के मुताबिक सईद आतंकवादी विचारधारा रखने वाला ऐसा व्यक्ति है जो अपनी हरकतों से पूरी दुनिया में इस्लाम और मुसलमानों को बदनाम तथा शर्मसार कर रहा है। ऐसे में हर मुसलमान के लिए जरूरी है कि उसकी बातों को ना सुने और खुद को उसकी विचारधारा से दूर रखे।
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NIA ने आतंकियों के पास पहुंचने वाली फंडिंग के रास्ते और जरिये तलाशने के लिए शुरू की जांच......
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जम्मू-कश्मीर के आतंकियों के पास पहुंचने वाली फंडिंग के रास्ते और जरिये तलाशने के लिए जांच शुरू कर दी है। NIA जांच कर रही है कि आतंकियों के पास विदेश में बैठे उनके सरगना और सहानुभूति रखने वाले लोग किन माध्यमों से फंड भेजते हैं। NIA को संदेह है कि आतंकियों के पास फंड पहुंचाने के लिए सामान्य लोगों के बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
खाड़ी देश में कारोबार करने वाले कुछ कश्मीरी कारोबारियों के बिलों की भी NIA ने जांच की है। साथ ही आयकर विभाग से भी कुछ कारोबारियों के बारे में जानकारी मांगी गई है, ताकि यह तय किया जा सके कि उनके द्वारा भेजे गए पैसों का इस्तेमाल क्या घाटी में आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग में किया गया। इस तरीके से घाटी में फंड आने की जानकारी सेना ने NIA को दी थी। इसके बाद एजेंसी ने जांच शुरू की।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जम्मू-कश्मीर के आतंकियों के पास पहुंचने वाली फंडिंग के रास्ते और जरिये तलाशने के लिए जांच शुरू कर दी है। NIA जांच कर रही है कि आतंकियों के पास विदेश में बैठे उनके सरगना और सहानुभूति रखने वाले लोग किन माध्यमों से फंड भेजते हैं। NIA को संदेह है कि आतंकियों के पास फंड पहुंचाने के लिए सामान्य लोगों के बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
खाड़ी देश में कारोबार करने वाले कुछ कश्मीरी कारोबारियों के बिलों की भी NIA ने जांच की है। साथ ही आयकर विभाग से भी कुछ कारोबारियों के बारे में जानकारी मांगी गई है, ताकि यह तय किया जा सके कि उनके द्वारा भेजे गए पैसों का इस्तेमाल क्या घाटी में आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग में किया गया। इस तरीके से घाटी में फंड आने की जानकारी सेना ने NIA को दी थी। इसके बाद एजेंसी ने जांच शुरू की।
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मोदी सरकार भ्रष्ट जजों की न्यायालयों से सफाई चाहती है
पिछले कई दिनों से सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश मोदी सरकार के पीछे पड़े हुए हैं, कभी मोदी के सामने आंसू बहाते हैं और कभी केंद्र सरकार को फटकार लगाते हैं, इसके अलावा आजकल वे मोदी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं जिसकी वजह से कांग्रेस और केजरीवाल को मोदी सरकार के खिलाफ मुद्दा मिल गया है।
तीरथ सिंह ठाकुर हाई कोर्ट में मुख्य जजों की नियुक्तियां करना चाहते हैं लेकिन जजों का नाम खुद उन्होंने चुना है, जिसके विरोध में करीब 1000 वकीलों ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास अर्जी भेजी है, अगर मोदी प्रधान न्यायाधीश की बात मान लेते हैं तो वकील हड़ताल कर देंगे जिसकी वजह से आन्दोलन शुरू हो जाएंगे, एक समस्या और है, इस वक्त हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त किये गए भ्रष्ट और घूसखोर जज भरे पड़े हैं,उन्हीं में से छंटनी करके तीरथ सिंह ठाकुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीशों की नियुक्ति करना चाहते हैं, मोदी सरकार की समस्या यह है कि अगर दो चार मुख्य न्यायाधीश चुन लिय गए तो तीन साल तक वे अनाप शनाप फैसले सुनकर बीजेपी सरकारों की मुसीबत बढाते रहेंगे, इसलिए मोदी सरकार भ्रष्ट जजों की न्यायालयों से सफाई चाहती है, यही सोचकर जजों की नियुक्ति के लिए एक व्यवस्था बनायी जा रही है लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस व्यवस्था के विरोध में है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले दो वर्ष पहले जब केंद्र में कांग्रेस सरकार थी तो सुप्रीम कोर्ट की कांग्रेस के सामने बोलने की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि सभी जजों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती थी इसलिए किसी जज में कांग्रेस सरकार को फटकार लगाने की हिम्मत नहीं होती थी, आज भी वही जज सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में भरे पड़े हैं और मौका मिलने पर मोदी सरकार को खूब फटकार लगा रहे हैं। थोडा बहुत कमी थी तो उसे तीरथ सिंह ठाकुर ने रो धोकर पूरा कर दिया।
जब तीरथ सिंह ठाकुर हाथ धोकर मोदी सरकार के पीछे पड़ गए तो लोग सोचने लगे कि आखिर बात क्या हो सकती है, जब उनकी डीएनए एनालिसिस की गयी तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए, ऐसा लगा कि तीरथ सिंह ठाकुर के अन्दर आज भी कांग्रेस भक्ति बसी हुई है, जिसकी वजह से वह मोदी सरकार के विरोधी बनते जा रहे हैं।तीरथ सिंह ठाकुर की डीएनए एनालिसिस
तीरथ सिंह ठाकुर ने पिता देवी दास ठाकुर एक तरह से कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के भक्त थे, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की वजह से ही आज कश्मीर आतंकवाद और अलगाववाद का दंश झेल रहा है, सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि तीरथ सिंह ठाकुर के पिता देवी सास ठाकुर एक समय (1973-1975) जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट के जज थे लेकिन उन्हें सत्ता का ऐसा लोभ हुआ कि 1975 अपने पद से इस्तीफ़ा देकर शेख मुहम्मद अब्दुल्लाह की सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर बन गए।
चूँकि देवी दास ठाकुर की अब्दुल्लाह परिवार से बढ़िया केमिस्ट्री थी इसलिए गुलाम मोहम्मद की सरकार में देवी दास जम्मू और कश्मीर के उप-मुख्यमंत्री बनाए गए। कितने रसूखदार थे तीरथ सिंह ठाकुर के पिता जी, उनकी मृत्यु 2007 में हुई लेकिन उन्होने मरने से पहले अपने दोनों बेटों को सेट कर दिया, तीरथ सिंह ठाकुर दो भाई हैं, उनके छोटे भाई धीरज सिंह ठाकुर भी जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में जज हैं, तीरथ सिंह ठाकुर देश के सबसे गरिमामयी पद पर हैं, सुप्रीम कोर्ट से बड़ा क्या हो सकता है, अब वे चाहते हैं कि उनके भाई भी जज बनें, उनके बेटे भी जज बनें, उनके नाती भी जज बनें, जैसा कि उनके पिता ने किया और अपने दोनों बेटों को जज बना दिया, मोदी सरकार इसी व्यवस्था के खिलाफ है, उन्हें परिवारवाद बर्दास्त नहीं है।
मोदी सरकार एक काॅलेजियम व्यवस्था के तहत जजों की नियुक्ति करना चाहती है लेकिन प्रधान न्यायाधीश अपनी मनमर्जी चलाना चाहते हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने काॅलेजियम व्यवस्था पर रोक लगा दी है, इसलिए मोदी ने भी तीरथ सिंह के फैसले पर रोक लगा दी है।
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