Saturday, 13 August 2016

यदि हम कश्मीर पर बात करेंगे तो उस कश्मीर पर पहले बात करेंगे, जिस पर पाकिस्तान का कब्जा है

भारत ने बदली कश्मीर-नीति: डॉ. वेदप्रताप वैदिक

मुझे बड़ी खुशी हुई यह देखकर कि नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज ने कश्मीर पर वही बात कहना शुरु कर दी, जो मैं अक्सर कहता रहा हूं। भाजपा के इन तीनों नेताओं ने एक आवाज़ में कहा है कि यदि हम कश्मीर पर बात करेंगे तो उस कश्मीर पर पहले बात करेंगे, जिस पर पाकिस्तान का कब्जा है। जहां तक मुझे याद पड़ता है, आज तक भारत के किसी भी प्रधनमंत्री ने ऐसा बयान खुलकर नहीं दिया है।
हमारी किसी भी सरकार ने इतना तगड़ा रवैया कश्मीर पर कभी नहीं अपनाया? इसका कारण क्या है? इंदिरा गांधी से लेकर अब तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं, उनमें से लगभग सभी यह तर्क देकर मेरा सुझाव टाल देते थे कि यदि हम उनके कश्मीर की बात छेड़ेंगे तो हमारे कश्मीर का गड़ा मुर्दा दुबारा उठ खड़ा होगा। लेकिन कश्मीर जिंदा है और दहाड़ रहा है। उनका कश्मीर भी मुर्दा नहीं है लेकिन फौज ने उसका गला ऐसा दबा रखा है कि वह चीख भी नहीं सकता। पिछले 35-40 सालों में मैं जब भी पाकिस्तान गया हूं, वहां के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्रियों से बात करता ही रहा हूं, तथाकथित ‘आजाद कश्मीर’ के ‘प्रधानमंत्रियों’ से  भी बात होती रही है। उनके विदेशी मामलों और रक्षा-संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों में भाषण देते समय मैं सबसे पहले कश्मीर का मुद्दा उठाता हूं। मुझे हमारे नेताओं और कूटनीतिज्ञों की तरह कश्मीर पर दुम दबाने की जरुरत नहीं पड़ती। कूटनीतिज्ञ तो नेताओं के आदेश मानने के लिए मजबूर हैं लेकिन हमारे नेताओं को कश्मीर के बारे में कानूनी, राजनीतिक और कूटनीतिक तथ्यों का ठीक से पता ही नहीं है। उन्होंने संयुक्तराष्ट्र संघ का प्रस्ताव तक पढ़ा नहीं होता है? हमारी सरकारें कहती रही हैं कि कश्मीर-विवाद में सिर्फ दो पक्ष हैं- भारत और पाक! यह बिल्कुल गलत हैं।
कश्मीर-विवाद में पहले दो पक्ष हैं- हमारे कश्मीरी और उनके कश्मीरी। शेष दो पक्ष हैं, भारत और पाक! गृहमंत्री राजनाथसिंह ने कहा है कि अगर हम अब बात करेंगे तो जम्मू, कश्मीर घाटी, लद्दाख और पाक कब्जे के कश्मीर पर बात करेंगे। जरुर करें लेकिन उस हजारों वर्गमील के कश्मीर को आप क्यों भूल गए, जो 1963 में एक संधि के तहत पाक ने चीन को दे रखा है? गिलगित और बल्तिस्तान को भी याद रखिए। इन सारे इलाकों के लोगों को जोड़ना और उन्हें जोड़कर भारत-पाक खाई को पाटना, यह बड़ा और एतिहासिक कार्य है। यदि नेता लोग इसे कर सकें तो क्या कहने?

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