हैदराबाद की रहने वाली पीवी सिंधु को स्पोर्टसमैनशिप विरासत में मिली। सिंधु महज 21 साल की उम्र में ओलंपिक में बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में खेलने वाली पहली महिला बनने जा रही हैं।
7 साल की उम्र में बैडमिंटन रैकेट थामने वाली पुसरला वेंकट सिंधु का जन्म पूर्व वॉलीबाल खिलाड़ी पीवी रमण और पी विजया के यहां 5 जुलाई 1995 को हुआ। उनके पिता रमण को भी वॉलीबाल खेल में अर्जुन पुरस्कार मिल चुका है।
गोपीचंद से हुई प्रभावित
उनके माता-पिता पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, लेकिन सिंधु ने 2001 के ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन बने पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपना करियर चुना और महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया।
अंतर्राष्ट्रीय सर्किट में, सिंधु कोलंबो में आयोजित 2009 सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक विजेता रही हैं। उसके बाद उन्होने वर्ष-2010 में ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में रजत पदक जीता। वे इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंची, जबकि साल 2010 के थॉमस और यूबर कप के दौरान वे भारत की राष्ट्रीय टीम की सदस्य रहीं
विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में सिंगल्स जीतने वाली पहली भारतीय महिला विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में एकल पदक जीतने वाली सिंधू पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। 2013 में चीन में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया था। इसके बाद अगले साल फिर सिंधू ने यह कारनामा कर दिखाया और 2014 में विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप फिर कांस्य पदक जीता।
प्रैक्टिस के लिए जाती है 55 किलोमीटर दूर
सिंधु अपने घर से 55 किलोमीटर दूसर गोपीचंद की बैडमिंटन एकेडमी बैडमिंटन सीखने जाती हैं। 5 फीट साढ़े 10 इंच लंबी सिंधू विश्व की दसवें नंबर की खिलाड़ी हैं। शाउटिंग पर दिया जोर पीवी सिंधु कोर्ट पर शांत रहती हैं लेकिन कोच गोपीचंद ने उन्हें मैच के दौरान चिल्लाने को कहा। सिंधु ऐसा नहीं कर पाती थीं, तो एक दिन गोपीचंद ने सिंधु के पिता को उन्हें समझाने को कहा। इसके बाद शुरू हुई बेहद गजब प्रैक्टिस।
सिंधु के साथी खिलाड़ियों को स्टेडियम से बाहर जाने को कहा जाता और सिंधु अकेले में जोर-जोर से चिल्लाने की प्रैक्टिस करती। इसके पीछे गोपीचंद का कहना था कि अगर आप मैच के दौरान चिल्लाएंगे तो विपक्षी खिलाड़ी पर मानसिक दबाव बन सकेगा, जो गुरुवार के मैच में देखने को मिला
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