Monday 13 April 2015

3500 गाय, 27 एकड़ का फार्म, 75 कर्मचारी, 12000 कस्टमर, 80 रुपए लीटर दूध। हम बात कर रहे हैं पूना से 60 किलोमीटर दूर मंचर में स्थित भाग्यलक्ष्मी डेयरी फार्म की। यहां के ‘प्राइड ऑफ काउ’ मिल्क के ग्राहकों में अंबानी परिवार, अमिताभ बच्चन, सचिन तेंडुलकर जैसी सेलिब्रिटी शामिल हैं।
फार्म के मालिक देवेंद्र शाह अपने आप को देश का सबसे बड़ा ग्वाला कहते हैं। वे कपड़े का धंधा छोड़ दूध के कारोबार में आए। हमने उस डेयरी फार्म में जाकर जाना कि आखिर ऐसा क्या है इस दूध में कि सेलिब्रिटीज फोन करके पूछते हैं हमारे एरिया में सप्लाई कब शुरू करेंगे।
शाह ने ‘भाग्यलक्ष्मी’ की शुरुआत एक मॉडल फार्म के तौर पर की थी। उन्होंने बताया कि 90 के दशक में सरकार ने मिल्क हॉलिडे घोषित किया तो मंचर के डेयरी फार्मर्स दूध को गोबर गैस प्लांट में फेंकते। इससे किसान का नुकसान होता था। इसलिए हमने अपने आलू वाले कोल्ड स्टोरेज में दूध रखना शुरू किया। इस दूध को हम बाद में शहरों में सप्लाई करते। एक महीने में ही दूध 20 से 40 हजार लीटर तक आने लगा। इसके बाद मैं पूरी तरह से दूध के काम में ही आ गया और मिल्क प्रोडक्ट्स बनाकर एक्सपोर्ट करने लगे। न्यूजीलैंड-ऑस्ट्रेलिया के एक्सपर्ट क्वालिटी चेक करने आते तो वे सोचते थे कि इंडिया में कहीं ना कहीं ये गाय गंदगी में ही खाती-पीती होंगी। उस सोच को बदलने के लिए मैंने भाग्यलक्ष्मी डेयरी फॉर्म बनाया।
‘प्राइड ऑफ काउ’ प्रोडक्ट 175 कस्टमर्स के साथ शुरू किया था, आज हमारे मुंबई और पुणे ���ें 12 हजार से ज्यादा कस्टमर है। उन्होंने बताया कि ट्रेडिंग को छोड़कर दूध का बिजनेस करने पर लोग मुझे कहते थे कि ये क्या ग्वाले का काम करने लगा है। उनको बता देना चाहता हूं मैं इंडिया का सबसे बड़ा ग्वाला हूं और इस मुझे गर्व हैं।
आरओ का पानी पीती है गायें
गायों के लिए बिछाया गया रबर का मैट दिन में 3 बार साफ होता है। यहां की गायें सिर्फ आरओ का पानी पीती हैं। म्यूजिक 24 घंटे चलता है। गायों को खाने में सोयाबीन, अल्फा घास, मौसमी सब्जियां और मक्की का चारा दिया जाता है। उनका पेट साफ करने के लिए हिमालय ब्रांड की आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती है। यहां पर खुराक से ही दूध की फैट कंट्रोल करते हैं।
कनाडा के न्यूट्रीशियन एक्सपर्ट डॉक्टर फ्रैंक तीन महीने में आकर मौसम के हिसाब से डाइट बताते हैं। फार्म में 54 लीटर तक दूध देने वाली गाय है। दूध में यूरोपियन स्टैंडर्ड के मुताबिक 7000 से 9 हजार लैक्टेशन हैं जिसे कैनेडियन लैक्टेशन 9 से 11 हजार पर लाने का लक्ष्य है।
फ्रीजिंग वैन से हाेम डिलिवरी
शाह की बेटी और कंपनी की मार्केटिंग हैड अक्षाली बताती हैं कि रोजाना 163 किलोमीटर का सफर कर फ्रीजिंग डिलिवरी वैन से दूध साढ़े तीन घंटे में मुंबई पहुंचता है। डिलिवरी मैन सुबह 5.30 से 7.30 के बीच दूध ग्राहकों तक पहुंचाता है। कई बार पुणे का कस्टमर मुंबई या मुंबई का कस्टमर पूना में दूध मांगता है तो भी देने की कोशिश करते हैं। ‘प्राइड ऑफ काउ’ के लिए हर कस्टमर का एक लॉगिन आईडी होता है। जिस पर वह ऑर्डर चेंज या रद्द कर सकते हैं। डिलिवरी की जगह बदलवा सकते हैं।
रेफरेंस के बिना नहीं बनता नया कस्टमर
शहर के प्रॉमिनेंट 175 लोगों को ‘प्राइड ऑफ काउ’ तीन दिन तक ट्रायल के लिए भेजा गया। इस तरह फार्म टू होम की शुरुआत हुई। इसमें नया कस्टमर तभी बनता है जब कोई पुराना कस्टमर इसे रेफर करे। अक्षाली शाह बताती हैं कि स्कूलों में वह दूध के बारे में बताते हैं और फूड एग्जीबिशन में पार्टिसिपेट करते हैं। वह फिलहाल इसे रेफरेंस मार्केटिंग के जरिए ही करना चाहते हैं क्योंकि अभी ज्यादा डिमांड को पूरा करना पॉसिबल नहीं है। भविष्य में वह ऐसे फार्म नॉर्थ इंडिया और साउथ इंडिया में भी शुरू करना चाहते हैं।
पर्यटकों को भी लुभा रहा फार्म
भाग्यलक्ष्मी डेयरी फार्म अब पर्यटन टूर में भी शामिल हो गया है। कुछ टूर ऑपरेटर मुंबई और पुणे से फार्म के लिए पैकेज टूर चलाते हैं। फार्म के अधिकारियों ने बतया कि हर वर्ष 7-8 हजार पर्यटक फार्म घूमने आते हैं।
दूध निकालने से लेकर पैकिंग तक नहीं लगता इंसानी हाथ
फार्म में दाखिल होने से पहले पैरों पर पाउडर से डिसइंफेक्शन करना जरूरी है। फार्म के अंदर दायीं ओर रबर की मैट बिछी है, जिन पर गायें रहती हैं। इसके ठीक सामने बाॅटलिंग सेंटर बना है। बीच में गायों का दूध निकालने के लिए रोटरी है। रोटरी पर जाने से पहले हर गाय का वजन और तापमान चैक होता है। बीमार गाय सीधे अस्पताल में भेजी जाती है। दूध सीधा पाइपों के जरिए साइलोज में और फिर पॉश्चुराइज्ड होकर बोतल में बंद हो जाता है।
दूध को बिना प्रिजरवेटिव और अडल्ट्रेशन के कस्टमर तक पहुंचाया जाता है। गाय का दूध निकालने से लेकर बाॅटलिंग तक का पूरा काम ऑटोमैटिक होता है। कहीं भी इंसानी हाथ नहीं लगता है। एक बार में 50 गाय का दूध निकाला जाता है जिसमें सात मिनट लगते हैं। ये दिन में तीन बार करीब दो घंटे तक होता है। रोटरी में जब तक गाय रहती है, जर्मन मशीन से उसकी मसाज होती रहती है।

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