Monday 27 April 2015

केजरीवाल ने सुझाव दिया कि हमारा एक कार्यकर्त्ता आत्मदाह की कोशिश करेगा.

आम आदमी पार्टी की रैली की तैयारी में हफ़्तों पहले से सारे ड्रामे की तैयारी चल रही थी. इस सिलसिले में, कुछ ऐसा करने के लिए ए जो पुरे देश और मीडिया का ध्यान आकृषित कर सके, को लेकर एक मीटिंग हुयी. मीटिंग में केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, नवीन जयहिंद, आशीष खेतान, कुमार विश्वास और आशुतोष भी मौजूद थे. केजरीवाल ने सुझाव दिया कि हमारा एक कार्यकर्त्ता आत्मदाह की कोशिश करेगा. फिर कर्कर्ता उसको बचा लेंगे.
इस पर सहमती नहीं बन पायी क्योंकि खुद केजरीवाल को भी ये खतरनाक लग रहा था. तब पेड़ पर फांसी का फंदा डालने की कोशिश का सुझाव नवीन जयहिंद द्वारा दिया गया. यहाँ भी दिक्कत आयी क्योंकि इसके लिए रामलीला मैदान सही नहीं था और वहां इतने आस पास पेड़ नहीं थे जो मीडिया या भीड़ का ध्यान आकर्षित करवा सके. इसको देखते हुए रैली स्थल बदलकर जंतर मंतर कर देने पर सहमती बनी. वहां पेड़ों की कोई कमी नहीं है जिससे पब्लिसिटी बटोरने के नाटक को बखूबी अंजाम दिया जा सकता था. इसी लिए दिल्ली पुलिस के बार बार मना करने पर भी आम आदमी पार्टी जंतर मंतर पर रैली करने के लिए अड़ी रही.
कार्यकर्त्ता को तैयार करने का काम नवीन जयहिंद को दिया गया. यहाँ दो तीन जरूरी बातें थी, एक तो कार्यकर्त्ता ऐसा हो जिसके बारे में लोगों को ये ना पता हो कि वो आम आदमी पार्टी से है, दूसरा वो पार्टी का नजदीकी और एक दम वफादार हो ताकि भविष्य में "योगेन्द्र-प्रशांत काण्ड" जैसी स्थिति ना बने. नवीन जयहिंद को हरियाणा में ऐसा कार्यकर्त्ता ढूँढने में बहुत समय लग रहा था.
इस बीच मनीष सिसोदिया ने गजेन्द्र सिंह से रैली में कुछ किसानो को लाने के सिलसिले में बात हुयी ताकि भीड़ दिखाई जा सके. गजेन्द्र सिंह राजनैतिक महत्वाकांक्षा रखता था, मनीष सिसोदिया ने गजेन्द्र से उसकी जमीन फसल आदि की जानकारी ली. गजेन्द्र के पास जमीन भी थी और वो कृषि भी करता था, साथ साथ उसके क्षेत्र में भी मौसम के प्रभाव से फसलों को नुक्सान हुआ था. इस सब जानकारी के बाद सिसोदिया द्वारा गजेन्द्र को एक बड़ी जिम्मेवारी के लिए तैयार रहने को कहा गया. फिर मनीष सिसोदिया और केजरीवाल मिले तथा नवीन जयहिंद को भी बुला लिया गया. गजेन्द्र सिंह पर सबकी सहमती बन गयी. गजेन्द्र सिंह को दाढ़ी रखे रखने और देहाती वेश-भूषा में आने को बोला गया.
रैली के लिए दिल्ली आने के बाद गजेन्द्र सिंह को मनीष सिसोदिया के घर पर पूरा नाटक का प्लान समझा दिया गया. संचालन की कमान नवीन जयहिंद को दी गयी. नवीन जयहिंद ने इसके लिए अपने कुछ बहुत नजदीकी कार्यकर्ताओं को पुलिस को रोकने, मीडिया को सूचित करने आदि का काम दिया.
रैली शुरू होने के बाद गजेन्द्र कहे अनुसार पेड़ पर चढ़ गया. दिल्ली पुलिस ने तुरंत उसको उतरने के लिए बोला, इस पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्त्ता पेड के नीचे आ गए और पुलिस को बाधित करना शुरू कर दिया. ऐसे में पुलिस केवल नीचे आने की अपील ही कर सकती थी जोर-जबरदस्ती नहीं की जा सकती थी. लगभग एक घंटे तक पुलिस ने उस पर नजर बनाए रखी. उसके बाद उसने फंदा बना कर अपने गले में डाल लिया. इस पर पुलिस द्वारा कण्ट्रोल रूम को सुचना दी गयी ताकि किसी दुर्घटना की स्थिति में उसको बचाया जा सके. लगभग 50 पुलिसकर्मी वहां एकत्र हो गए. खेल बिगड़ता देख कार्यकर्ताओं को तालियाँ बजाने और शौर मचाने का आदेश दिया गया. फ़ोन पर इशारा पाकर नवीन जयहिंद के एक करीबी कार्यकर्त्ता जोगेंद्र ने वहां खड़े मीडिया कर्मियों को सूचित किया.
NDTV जो आम आदमी पार्टी का निजी चैनल है सबसे पहले कवरेज के लिए पहुंचा. NDTV ने आम आदमी पक्ष और सरकार विरोध में रिपोर्टिंग शुरू कर दी. मकसद "सोशल कन्फर्मिटी" फैक्टर के तहत मीडिया की रिपोर्टिंग पर प्रभाव डालने का था, सीधे शब्दों में मीडिया को "भेड़ चाल" देने की साजिश थी ताकि सभी वो ही करने लग जाये.
गजेन्द्र सिंह एक डाल पर खड़ा था और एक डाल पर पीठ टिकाये हुए था. ऊपर एक डाल पर गमछे का फंदा डाल कर गले में डाला हुआ था. दिल्ली पुलिस को अनहोनी की सम्भावना का आभास हो गया था, पुलिसकर्मियों ने ‪#‎आप‬ कार्यकर्ताओं को शौर मचाने से रोकने की कोशिश की, अपील की, कहा गया कि उसका पैर कभी भी फिसल सकता है और ऐसे में दुर्घटना हो सकती है.
फिर कुछ ही मिनट बाद वहीँ हो गया जिसका डर था. लटक जाने के बाद जब पुलिस उसको बचाने के लिए आगे बढ़ी तब भी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पुलिस का रास्ता रोका और स्वयम उसको बचाने के लिए ऊपर चढ़े. सिलसिला यहीं नहीं रुका, जब पुलिस ने उसको अस्पताल ले जाना चाह तब भी कार्यकर्ताओं ने ले जाने नहीं दिया और खुद गाडी का इंतजाम करके उसको अस्पताल लेकर गए.

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