Monday, 29 February 2016

 क्या आज हमें इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ कदम नहीं उठाना चाहिए
 एक मेकोले ने ही भारत का इतना बेडा गरख करके रख दिया और ये मिडिया वाले हमेशा कुछ न कुछ अनाब शनाब
दिखाते रहते हैं
मीडिया घरानों पर सामान्य ज्ञान
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-सुज़ाना अरुंधती रॉय, प्रणव रॉय (नेहरु डायनेस्टी टीवी- NDTV) की भांजी हैं।
-प्रणव रॉय “काउंसिल ऑन फ़ॉरेन रिलेशन्स” के इंटरनेशनल सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं।
-इसी बोर्ड के एक अन्य सदस्य हैं मुकेश अम्बानी।

-प्रणव रॉय की पत्नी हैं राधिका रॉय।
-राधिका रॉय, बृन्दा करात की बहन हैं।
-बृन्दा करात, प्रकाश करात (CPI) की पत्नी हैं।
-प्रकाश करात चेन्नै के “डिबेटिंग क्लब” के सदस्य थे।
-एन राम, पी चिदम्बरम और मैथिली शिवरामन भी इस ग्रुप के सदस्य थे।
-इस ग्रुप ने एक पत्रिका शुरु की थी “रैडिकल रीव्यू”।

-CPI(M) के एक वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी की पत्नी हैं सीमा चिश्ती।
-सीमा चिश्ती इंडियन एक्सप्रेस की “रेजिडेण्ट एडीटर” हैं।

-बरखा दत्त NDTV में काम करती हैं।
-बरखा दत्त की माँ हैं श्रीमती प्रभा दत्त।
-प्रभा दत्त हिन्दुस्तान टाइम्स की मुख्य रिपोर्टर थीं।
-राजदीप सरदेसाई पहले NDTV में थे, अब CNN-IBN के हैं (दोनों ही मुस्लिम चैनल हैं)।
-राजदीप सरदेसाई की पत्नी हैं सागरिका घोष।

-सागरिका घोष के पिता हैं दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक भास्कर घोष।
-सागरिका घोष की आंटी रूमा पॉल हैं।
-रूमा पॉल उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं।
-सागरिका घोष की दूसरी आंटी अरुंधती घोष हैं।
-अरुंधती घोष संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि हैं।

-CNN-IBN का “ग्लोबल बिजनेस नेटवर्क” (GBN) से व्यावसायिक समझौता है।
-GBN टर्नर इंटरनेशनल और नेटवर्क-18 की एक कम्पनी है।
-NDTV भारत का एकमात्र चैनल है को “अधिकृत रूप से” पाकिस्तान में दिखाया जाता है।
-दिलीप डिसूज़ा PIPFD (Pakistan-India Peoples’ Forum for Peace and Democracy) के सदस्य हैं।
-दिलीप डिसूज़ा के पिता हैं जोसेफ़ बेन डिसूज़ा।

-जोसेफ़ बेन डिसूज़ा महाराष्ट्र सरकार के पूर्व सचिव रह चुके हैं।
-तीस्ता सीतलवाड भी PIPFD की सदस्य हैं।
-तीस्ता सीतलवाड के पति हैं जावेद आनन्द।
-जावेद आनन्द एक कम्पनी सबरंग कम्युनिकेशन और एक संस्था “मुस्लिम फ़ॉर सेकुलर डेमोक्रेसी” चलाते हैं।
-इस संस्था के प्रवक्ता हैं जावेद अख्तर।
-जावेद अख्तर की पत्नी हैं शबाना आज़मी।

-करण थापर ITV के मालिक हैं।
-ITV बीबीसी के लिये कार्यक्रमों का भी निर्माण करती है।
-करण थापर के पिता थे जनरल प्राणनाथ थापर (1962 का चीन युद्ध इन्हीं के नेतृत्व में हारा गया था)।
-करण थापर बेनज़ीर भुट्टो और ज़रदारी के बहुत अच्छे मित्र हैं।
-करण थापर के मामा की शादी नयनतारा सहगल से हुई है।
-नयनतारा सहगल, विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी हैं।
-विजयलक्ष्मी पंडित, जवाहरलाल नेहरू की बहन हैं।

-मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन की मुख्य प्रवक्ता और कार्यकर्ता हैं।
-नबाआं को मदद मिलती है पैट्रिक मेकुल्ली से जो कि “इंटरनेशनल रिवर्स नेटवर्क (IRN)” संगठन में हैं।
-अंगना चटर्जी IRN की बोर्ड सदस्या हैं।
-अंगना चटर्जी PROXSA (Progressive South Asian Exchange Network) की भी सदस्या हैं।
-PROXSA संस्था, FOIL (Friends of Indian Leftist) से पैसा पाती है।
-अंगना चटर्जी के पति हैं रिचर्ड शेपायरो।
-FOIL के सह-संस्थापक हैं अमेरिकी वामपंथी बिजू मैथ्यू।

-राहुल बोस (अभिनेता) खालिद अंसारी के रिश्ते में हैं।
-खालिद अंसारी “मिड-डे” पब्लिकेशन के अध्यक्ष हैं।
-खालिद अंसारी एमसी मीडिया लिमिटेड के भी अध्यक्ष हैं।
-खालिद अंसारी, अब्दुल हमीद अंसारी के पिता हैं।
-अब्दुल हमीद अंसारी कांग्रेसी हैं।

-एवेंजेलिस्ट ईसाई और हिन्दुओं के खास आलोचक जॉन दयाल मिड-डे के दिल्ली संस्करण के प्रभारी हैं।
-नरसिम्हन राम (यानी एन राम) दक्षिण के प्रसिद्ध अखबार “द हिन्दू” के मुख्य सम्पादक हैं।
-एन राम की पहली पत्नी का नाम है सूसन।
-सूसन एक आयरिश हैं जो भारत में ऑक्सफ़ोर्ड पब्लिकेशन की इंचार्ज हैं।
-विद्या राम, एन राम की पुत्री हैं, वे भी एक पत्रकार हैं।
-एन राम की हालिया पत्नी मरियम हैं।
-त्रिचूर में आयोजित कैथोलिक बिशपों की एक मीटिंग में एन राम, जेनिफ़र अरुल और केएम रॉय ने भाग लिया है।
-जेनिफ़र अरुल, NDTV की दक्षिण भारत की प्रभारी हैं।
-जबकि केएम रॉय “द हिन्दू” के संवाददाता हैं।
-केएम रॉय “मंगलम” पब्लिकेशन के सम्पादक मंडल सदस्य भी हैं।
-मंगलम ग्रुप पब्लिकेशन एमसी वर्गीज़ ने शुरु किया है।
-केएम रॉय को “ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन लाइफ़टाइम अवार्ड” से सम्मानित किया गया है।

-“ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन” के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं जॉन दयाल।
-जॉन दयाल “ऑल इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल”(AICC) के सचिव भी हैं।
-AICC के अध्यक्ष हैं डॉ जोसेफ़ डिसूज़ा।
-जोसेफ़ डिसूज़ा ने “दलित फ़्रीडम नेटवर्क” की स्थापना की है।
-दलित फ़्रीडम नेटवर्क की सहयोगी संस्था है “ऑपरेशन मोबिलाइज़ेशन इंडिया” (OM India)।
-OM India के दक्षिण भारत प्रभारी हैं कुमार स्वामी।
-कुमार स्वामी कर्नाटक राज्य के मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी हैं।

-OM India के उत्तर भारत प्रभारी हैं मोजेस परमार।
-OM India का लक्ष्य दुनिया के उन हिस्सों में चर्च को मजबूत करना है, जहाँ वे अब तक नहीं पहुँचे हैं।
-OMCC दलित फ़्रीडम नेटवर्क (DFN) के साथ काम करती है।
-DFN के सलाहकार मण्डल में विलियम आर्मस्ट्रांग शामिल हैं।
-विलियम आर्मस्ट्रांग, कोलोरेडो (अमेरिका) के पूर्व सीनेटर हैं और वर्तमान में कोलोरेडो क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेण्ट हैं। यह यूनिवर्सिटी विश्व भर में ईसा के प्रचार हेतु मुख्य रणनीतिकारों में शुमार की जाती है।
-DFN के सलाहकार मंडल में उदित राज भी शामिल हैं।
-उदित राज के जोसेफ़ पिट्स के अच्छे मित्र भी हैं।
-जोसेफ़ पिट्स ने ही नरेन्द्र मोदी को वीज़ा न देने के लिये कोंडोलीज़ा राइस से कहा था।
-जोसेफ़ पिट्स “कश्मीर फ़ोरम” के संस्थापक भी हैं।
-उदित राज भारत सरकार के नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल (राष्ट्रीय एकता परिषद) के सदस्य भी हैं।
-उदित राज कश्मीर पर बनी एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति के सदस्य भी हैं।

-रामोजी ग्रुप के मुखिया हैं रामोजी राव।
-रामोजी राव “ईनाडु” (सर्वाधिक खपत वाला तेलुगू अखबार) के संस्थापक हैं।
-रामोजी राव ईटीवी के भी मालिक हैं।
-रामोजी राव चन्द्रबाबू नायडू के परम मित्रों में से हैं।
-डेक्कन क्रॉनिकल के चेयरमैन हैं टी वेंकटरमन रेड्डी।
-रेड्डी साहब कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य हैं।

-एमजे अकबर डेक्कन क्रॉनिकल और एशियन एज के सम्पादक हैं।
-एमजे अकबर कांग्रेस विधायक भी रह चुके हैं।
-एमजे अकबर की पत्नी हैं मल्लिका जोसेफ़।
-मल्लिका जोसेफ़, टाइम्स ऑफ़ इंडिया में कार्यरत हैं।
-वाय सेमुअल राजशेखर रेड्डी आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
-सेमुअल रेड्डी के पिता राजा रेड्डी ने पुलिवेन्दुला में एक डिग्री कालेज व एक पोलीटेक्नीक कालेज की स्थापना की।
-सेमुअल रेड्डी ने कहा है कि आंध्रा लोयोला कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उक्त दोनों कॉलेज लोयोला समूह को दान में दे दिये।
-सेमुअल रेड्डी की बेटी हैं शर्मिला।

-शर्मिला की शादी हुई है “अनिल कुमार” से। अनिल कुमार भी एक धर्म-परिवर्तित ईसाई हैं जिन्होंने “अनिल वर्ल्ड एवेंजेलिज़्म” नामक संस्था शुरु की और वे एक सक्रिय एवेंजेलिस्ट (कट्टर ईसाई धर्म प्रचारक) हैं।
-सेमुअल रेड्डी के पुत्र जगन रेड्डी युवा कांग्रेस नेता हैं।
-जगन रेड्डी “जगति पब्लिकेशन प्रा. लि.” के चेयरमैन हैं।
-भूमना करुणाकरा रेड्डी, सेमुअल रेड्डी की करीबी हैं।
-करुणाकरा रेड्डी, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की चेयरमैन हैं।
-चन्द्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि “लैंको समूह” को जगति पब्लिकेशन्स में निवेश करने हेतु दबाव डाला गया था।
-लैंको कम्पनी समूह, एल श्रीधर का है।
-एल श्रीधर, एल राजगोपाल के भाई हैं।
-एल राजगोपाल, पी उपेन्द्र के दामाद हैं।
-पी उपेन्द्र केन्द्र में कांग्रेस के मंत्री रह चुके हैं।

-सन टीवी चैनल समूह के मालिक हैं कलानिधि मारन
-कलानिधि मारन एक तमिल दैनिक “दिनाकरन” के भी मालिक हैं।
-कलानिधि के भाई हैं दयानिधि मारन।
-दयानिधि मारन केन्द्र में संचार मंत्री थे।
-कलानिधि मारन के पिता थे मुरासोली मारन।
-मुरासोली मारन के चाचा हैं एम करुणानिधि (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री)।
-करुणानिधि ने ‘कैलाग्नार टीवी” का उदघाटन किया।

-कैलाग्नार टीवी के मालिक हैं एम के अझागिरी।
-एम के अझागिरी, करुणानिधि के पुत्र हैं।
-करुणानिधि के एक और पुत्र हैं एम के स्टालिन।
-स्टालिन का नामकरण रूस के नेता के नाम पर किया गया।
-कनिमोझि, करुणानिधि की पुत्री हैं, और केन्द्र में राज्यमंत्री हैं।
-कनिमोझी, “द हिन्दू” अखबार में सह-सम्पादक भी हैं।
-कनिमोझी के दूसरे पति जी अरविन्दन सिंगापुर के एक जाने-माने व्यक्ति हैं।

-स्टार विजय एक तमिल चैनल है।
-विजय टीवी को स्टार टीवी ने खरीद लिया है।
-स्टार टीवी के मालिक हैं रूपर्ट मर्डोक।
-Act Now for Harmony and Democracy (अनहद) की संस्थापक और ट्रस्टी हैं शबनम हाशमी।
-शबनम हाशमी, गौहर रज़ा की पत्नी हैं।
-“अनहद” के एक और संस्थापक हैं के एम पणिक्कर।
-के एम पणिक्कर एक मार्क्सवादी इतिहासकार हैं, जो कई साल तक ICHR में काबिज रहे।
-पणिक्कर को पद्मभूषण भी मिला।

-हर्ष मन्दर भी “अनहद” के संस्थापक हैं।
-हर्ष मन्दर एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं।
-हर्ष मन्दर, अजीत जोगी के खास मित्र हैं।
-अजीत जोगी, सोनिया गाँधी के खास हैं क्योंकि वे ईसाई हैं और इन्हीं की अगुआई में छत्तीसगढ़ में जोरशोर से धर्म-परिवर्तन करवाया गया और बाद में दिलीपसिंह जूदेव ने परिवर्तित आदिवासियों की हिन्दू धर्म में वापसी करवाई।
-कमला भसीन भी “अनहद” की संस्थापक सदस्य हैं।
-फ़िल्मकार सईद अख्तर मिर्ज़ा “अनहद” के ट्रस्टी हैं।

-मलयालम दैनिक “मातृभूमि” के मालिक हैं एमपी वीरेन्द्रकुमार
-वीरेन्द्रकुमार जद(से) के सांसद हैं (केरल से)
-केरल में देवेगौड़ा की पार्टी लेफ़्ट फ़्रण्ट की साझीदार है।
-शशि थरूर पूर्व राजनैयिक हैं।
-चन्द्रन थरूर, शशि थरूर के पिता हैं, जो कोलकाता की आनन्दबाज़ार पत्रिका में संवाददाता थे।
-चन्द्रन थरूर ने 1959 में द स्टेट्समैन” की अध्यक्षता की।
-शशि थरूर के दो जुड़वाँ लड़के ईशान और कनिष्क हैं, ईशान हांगकांग में “टाइम्स” पत्रिका के लिये काम करते हैं।
-कनिष्क लन्दन में “ओपन डेमोक्रेसी” नामक संस्था के लिये काम करते हैं।
-शशि थरूर की बहन शोभा थरूर की बेटी रागिनी (अमेरिकी पत्रिका) “इंडिया करंट्स” की सम्पादक हैं।
-परमेश्वर थरूर, शशि थरूर के चाचा हैं और वे “रीडर्स डाइजेस्ट” के भारत संस्करण के संस्थापक सदस्य हैं।
-शोभना भरतिया हिन्दुस्तान टाइम्स समूह की अध्यक्षा हैं।

-शोभना भरतिया केके बिरला की पुत्री और जीड़ी बिरला की पोती हैं
-शोभना राज्यसभा की सदस्या भी हैं जिन्हें सोनिया ने नामांकित किया था।
-शोभना को 2005 में पद्मश्री भी मिल चुकी है।
-शोभना भरतिया सिंधिया परिवार की भी नज़दीकी मित्र हैं।
-करण थापर भी हिन्दुस्तान टाइम्स में कालम लिखते हैं।
-पत्रकार एन राम की भतीजी की शादी दयानिधि मारन से हुई है।
1.
सैनिक और हत्यारे में क्या अंतर है? हत्यारा व्यक्तिगत कारण से किसी के प्राण लेता है किन्तु सैनिक सदैव राष्ट्र के हित के लिये शत्रु के प्राण लेता है. उसके कारण हम सुरक्षित होते हैं. हत्यारे को व्यवस्था प्राणदंड देती है किन्तु सैनिक को वीर-चक्र, महावीर-चक्र, परमवीर-चक्र देती है. उसकी समाधि पर प्रधानमंत्री सैल्यूट करते हैं. समाज फूल चढ़ाता है. केवल लक्ष्य के अंतर से एक उपेक्षा और दूसरा प्रशंसा पाता है.
देश को नष्ट करने का प्रयास करने वाले को हम शत्रु मान कर व्यवहार करते हैं किन्तु जिसके कारण देश का एक तिहाई भाग ग़ुलाम बन गया, करोड़ों लोग विस्थापित हुए, लाखों लोग मारे गये, हिन्दू समाज पर इतिहास की सबसे बड़ी विपत्ति आयी, जिसके कारण सर्वाधिक हिन्दू नष्ट हुए, जिसने 1948 में देश पर पाकिस्तानी आक्रमण के समय पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये दिलवाने के लिये आमरण-अनशन किया, उसको हम बिना सच जाने सर पर बैठाये हुए हैं.
जी, मैं गांधी जी की बात कर रहा हूँ. उनको दंड देने का कार्य राज्य का था मगर राज्य ने यह कार्य नहीं किया अतः जिस व्यक्ति ने ये आवश्यक कार्य किया वो समाज की उपेक्षा का शिकार है. नथु राम गोडसे की कोई निजी शत्रुता गांधी जी से नहीं थी. वो सुशिक्षित वकील थे, समाचारपत्र के सम्पादक थे.
वो जानते थे गांधी जी को प्राणदंड देते ही मैं नष्ट कर दिया जाऊंगा. मेरा परिवार नष्ट कर दिया जायेगा मगर किसी को भी मातृभूमि के विभाजन का घोर पाप करने का अधिकार नहीं है. ऐसे पापी को दण्डित करने का और कोई उपाय नहीं था अतः मैंने गांधी जी का वध करने का निश्चय किया. मैं गांधी जी पर गोली चलाने के बाद भागा नहीं और तबसे अनासक्त की भांति जीवन जी रहा हूँ. यदि देशभक्ति पाप है तो मैं स्वयं को पापी मानता हूँ और पुण्य तो मैं स्वयं को उस प्रशंसा का अधिकारी मानता हूँ!
हमारे हित के लिये अपने परिवार सहित स्वयं को बलिदान कर देने वाले महापुरुष की छवि उज्जवल हो इतना तो हमें करना ही चाहिये. उस परमवीर महापुरुष नथु राम गोडसे को शत-शत प्रणाम
2.
देश-वासियो!
कोई भी काम अपने लक्ष्य के कारण छोटा/ बड़ा/ महान होता है. हम सब अपनी संपत्ति, परिवार, जीवन की रक्षा करते हैं मगर सम्मान सैनिक को मिलता है चूँकि वो निजी काम की जगह समष्टि की रक्षा करता है.
यहाँ ध्यान रहे, सैनिक का काम उसे जीवन-यापन भी कराता है, अर्थात देश की रक्षा में लगे सैनिक और उसके परिवार का जीवन सैनिक के वेतन पर निर्भर होता है. उसे कठिन जीवन जीना होता है मगर बलिदान हो जाना कोई आवश्यक नहीं होता. तो उस सामान्य मनुष्य को क्या कहेंगे जिसने अपना जीवन राष्ट्र के लिए बलिदान कर दिया.
एक ऐसा व्यक्ति जिसे अपना सम्मान प्राणों से भी प्यारा था, जिसे पता था कि उसके गोली चलाते ही उसका, उसके परिवार का जीवन पूर्णतः नष्ट कर दिया जाये, लोग उस पर थू-थू करेंगे मगर देश और राष्ट्र के हित में उसने अपना बलिदान कर दिया? महान राष्ट्र भक्त नथु राम गोडसे के अतिरिक्त ऐसा पूज्य योद्धा कौन है?
राष्ट्र के इतिहास में अगर किसी एक व्यक्ति का नाम ढूंढा जाये, जिसके कारण लाखों लोग हिन्दू मारे गए, करोड़ों हिंदुओं को अपनी संपत्ति, भूमि, व्यापार छोड़ कर अनजाने क्षितिज की और आना पड़ा, जिसके कारण पवित्र मातृभूमि का बंटवारा हुआ, किसके कारण वेदों के प्रकट होने का स्थान ग़ुलाम हो गया, जिसके कारण भारत का ध्वज स्वर्ण गैरिक भगवा के स्थान पर तिरंगा हुआ, जिसके कारण वंदेमातरम् की जगह चाटुकारिता का गीत जन-मन-गण हम पर लाद दिया गया तो केवल एक मात्र गांधी जी का नाम आयेगा.
जितने भयानक हत्याकांड 300 वर्ष का मुस्लिम शासन भी नहीं कर पाया था, उससे अधिक के निमित्त गांधी जी बने. ऐसे पापी का वध करने वाला योद्धा क्या महापुरुष कहलाने का अधिकारी नहीं है? ये उस महापुरुष की विडम्बना है कि उसने हिन्दू समाज के लिये बलिदान दिया. कहीं वो मुसलमान होते तो मुस्लिम समाज कृतज्ञता से उनके पैर धो धो कर पीता.

क्यों मुझे गाँधी पसंद नहीं है ?

अभिरुणी झा
1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में
थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए।
गान्धी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया।
2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व
गान्धी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं,
किन्तु गान्धी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग
को अस्वीकार कर दिया। क्या आश्चर्य कि आज भी भगत सिंह वे अन्य क्रान्तिकारियों
को आतंकवादी कहा जाता है।
3. 6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गान्धी ने मुस्लिम
लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।
4.मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते
हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी
केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग
1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गान्धी ने इस
हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में
वर्णन किया।
5.1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी
श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी, इसकी
प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को
उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम
एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।
6.गान्धी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द
सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
7.गान्धी ने जहाँ एक ओर काश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को काश्मीर मुस्लिम
बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं
दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।
8. यह गान्धी ही था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।
9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा
अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर
दिया गया।
10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से
कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर
रहा था, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।
11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु
गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
12. 14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक
में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ
पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था
कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की
सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया।
14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय
पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के
सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त
करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की
मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब
अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व
बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर
किया गया।
16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व
माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का
परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने
को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के
लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे
दी गयी।17.गाँधी ने गौ हत्या पर पर्तिबंध लगाने का विरोध किया
18. द्वितीया विश्वा युध मे गाँधी ने भारतीय सैनिको को ब्रिटेन का लिए हथियार
उठा कर लड़ने के लिए प्रेरित किया , जबकि वो हमेशा अहिंसा की पीपनी बजाते है
.19. क्या ५०००० हिंदू की जान से बढ़ कर थी मुसलमान की ५ टाइम की नमाज़ ?????
विभाजन के बाद दिल्ली की जमा मस्जिद मे पानी और ठंड से बचने के लिए ५००० हिंदू
ने जामा मस्जिद मे पनाह ले रखी थी…मुसलमानो ने इसका विरोध किया पर हिंदू को ५
टाइम नमाज़ से ज़यादा कीमती अपनी जान लगी.. इसलिए उस ने माना कर दिया. .. उस
समय गाँधी नाम का वो शैतान बरसते पानी मे बैठ गया धरने पर की जब तक हिंदू को
मस्जिद से भगाया नही जाता तब तक गाँधी यहा से नही जाएगा….फिर पुलिस ने मजबूर
हो कर उन हिंदू को मार मार कर बरसते पानी मे भगाया…. और वो हिंदू— गाँधी
मरता है तो मरने दो —- के नारे लगा कर वाहा से भीगते हुए गये थे…,,,
रिपोर्ट — जस्टिस कपूर.. सुप्रीम कोर्ट….. फॉर गाँधी वध क्यो ?
२०. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी लगाई जानी थी, सुबह
करीब 8 बजे। लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम करीब सात बजे फांसी
लगा दी गई और शव रिश्तेदारों को न देकर रातोंरात ले जाकर ब्यास नदी के किनारे
जला दिए गए। असल में मुकदमे की पूरी कार्यवाही के दौरान भगत सिंह ने जिस तरह
अपने विचार सबके सामने रखे थे और अखबारों ने जिस तरह इन विचारों को तवज्जो दी
थी, उससे ये तीनों, खासकर भगत सिंह हिंदुस्तानी अवाम के नायक बन गए थे। उनकी
लोकप्रियता से राजनीतिक लोभियों को समस्या होने लगी थी।
उनकी लोकप्रियता महात्मा गांधी को मात देनी लगी थी। कांग्रेस तक में अंदरूनी
दबाव था कि इनकी फांसी की सज़ा कम से कम कुछ दिन बाद होने वाले पार्टी के
सम्मेलन तक टलवा दी जाए। लेकिन अड़ियल महात्मा ने ऐसा नहीं होने दिया। चंद
दिनों के भीतर ही ऐतिहासिक गांधी-इरविन समझौता हुआ जिसमें ब्रिटिश सरकार सभी
राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर राज़ी हो गई। सोचिए, अगर गांधी ने दबाव बनाया
होता तो भगत सिंह भी रिहा हो सकते थे क्योंकि हिंदुस्तानी जनता सड़कों पर उतरकर
उन्हें ज़रूर राजनीतिक कैदी मनवाने में कामयाब रहती। लेकिन गांधी दिल से ऐसा
नहीं चाहते थे क्योंकि तब भगत सिंह के आगे इन्हें किनारे होना पड़ता.
by: Ajai Kiran Karnawat


दलित चिंतन के नाम पे लूटतंत्र और विदेशी साजिश .....
.
भारत में इस्लाम के नाम पर जब लुटेरे आये तभी से ही इस उपेक्षित वर्ग को धन- बल के
सहारे मुसलमान बनाया गया और जब मुगलों ने देश पर कब्ज़ा किया तो द्विज जातियों
ने भी दलित वर्ग के साथ इस्लाम स्वीकार किया, कही पर यह खेल तलवार के दम पर हुआ
तो कही लालच में तो कही समझोते का खेल। भारत में पिछले 300 सालो की ब्रिटिश
हुकूमत में ईसाईयों ने भी भारत में अपनी पकड़ बनाये रखने के लिये धर्म परिवर्तन के खेल
को खेला और फिर निशाना बने दलित, आदिवासी और गरीब। अंग्रेजो ने उच्च जातियो व
वर्ग को अपनी संस्कृति , भाषा, जीवन शैली और प्रशासनिक व्यवस्था में ढाल लिया और
फिर पूरे शिक्षा तंत्र को ही बदल डाला।
भारत की गुरुकुल शिक्षा पद्धति को निबटाने के बाद अंग्रेजों ने सीमित मात्रा में ही
विद्यालय खोले और देश की अधिकांश आबादी अनपढ़ होती गई और गवांर भी और
अंततः गरीब व दिशाहीन हो कमजोर व गुलाम मानसिकता वाली होती गयी। इसके बीच ही अंग्रेजो के चर्च, स्कूल और एन जी ओ को सक्रिय किया गया। देशभर में इन तीनों के पास लाखों एकड़ जमीन हें और हज़ारों करोड़ की बार्षिक अनुदान भी। इन्होंने देशभर में
आदिवासियों और दलित- पिछड़े वर्ग में हिन्दू धर्म के प्रति नफरत और ईसाईयत के प्रति अनुराग पैदा करने का अभियान चला आज़ादी से पूर्व करोडो हिंदुओं को ईसाई बना लिया।
आजादी के बाद भी नेहरू की कृपा से अंग्रेजी व्यवस्था और धर्म परिवर्तन का ढांचा देश में
बना रहा और आज भी सक्रिय है। चर्च, इंग्लैंड और नाटो देश अपने आर्थिक हितों की पूर्ति
हेतू इस नेटवर्क का इस्तेमाल अपना समर्थक वर्ग खड़ा करने सरकार पर दबाब बना अपने
हित में निर्णय लेने के लिए करते हें। आजादी के बाद भारत में अरब मुल्को ने कट्टरपंथी
इस्लाम और नाटो देशों ने ईसाईयत को बढ़ाबा देने के साथ ही हिंदुओं को विभाजित रखने
के खेल को लोकतंत्र नाम के हथियार से बखूबी वनाये रखा। भारत के सभी दलित
आंदोलनों, बुद्धिजीवियों, राजनितिक दलो, प्रकाशनों आदि को यूरोपियन और अमेरिकी
देश फंडिंग करते रहे है। ईसाई पादरी और लेखक हिन्दू समाज को विभाजित करने और
आपस में खाई बढ़ाने वाला साहित्य प्रकाशित कर नफरत की खेती करता है और फिर
उनके फंड से खड़े हुए राजनीतिक दल मुस्लिम और दलित- आदिवासी वोट के सहारे देश
या प्रदेश बिशेष पर शासन करने लायक वोट बैंक बना चुनाव जीत शासन करते रहते हें।
सरकारें बनने के बाद इनकी सरकार भी नाटो देशो के परोक्ष समर्थन से चलती है और जम
कर भ्रष्टाचार और लूट कर विदेशो में पैसा भेजा जाता रहता है। कोशिश रहती है कि
अधिकतम सामान इन देशो की कम्पनियों से ख़रीदा जाये या उन्हें बाजार उपलब्ध कराया
जाये और ठेके आदि भी। कॉंग्रेस और क्षेत्रीय दलोँ का अल्पसंख्यक, पिछड़ा, आदिवासी
या दलित प्रेम इसी खेल का हिस्सा हे, बाँटो और राज करो क़ी नाटो देशो की नीतियों पर
चले हुए हिंदुओं को बाँटकर लड़ाते रहो , लूटते रहो और विदेशों में भेजते रहो, देशवासी जाएं भाड़ में। इसलिए सेकुलर गैंग और उनके नेताओ, मीडिया, बुद्धिजीवियों, स्लीपर सेलों को राष्ट्रवादियों और हिंदूवादियों से नफरत है।
अब आपको नफरत की राजनीति वाला राहुल, वाम, केजरीवाल और कोंग्रेस का जेएनयू
प्रेम और मायावती का रोहित वेमुल्ला प्रेम समझ आ गया होगा और हरियाणा के जाट
आंदोलन को 1984 के सिख दंगो से भी भयंकर बनाने का खेल भी। यू पी ए के पिछले
दस सालो के कार्यकाल में ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध, सिख और जैन समाज और हिंदुओं के
बीच की खाई को योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाया गया और देश में इस्लामी- ईसाई संस्कृति
थोपी गयी, साथ ही बुरी तरह देश को लूटा गया। इस कारण ही देश में भ्रष्टाचार ,कुशासन
तथा हिन्दू विरोधी माहौल के कारण नरेंद्र मोदी की सरकार आयी। मोदी के सुशासन् से
घिरता जा रहा यह सेकूलर गैंग फिर से बाजी पलटने के लिए सारे हथकंडे इस्तेमाल कर
मोदी सरकार को अस्थिर करने के नित नए षड़यंत्र कर रहा है। भारत में सेकुलर खेमे से
जुड़ा एक बड़ा मतदाता समूह अब इस खेमे की सच्चाई जान चूका है किंतु उसे मोदी व
संघ परिवार पसंद नहीं। वह सेकुलर दलों से पीछा छुड़ाना चाहता है, किंतू करे क्या ? ऐसे
में देश में एक नए राष्ट्रवादी विकल्प की आवश्यकता है जो इस अनिश्चय के दोराहे पर खड़े मतदाता को प्रभावी विकल्प दे सके।






देश में कोई भी महिषासुर की पूजा नहीं करता :
जनजातियों और दलितों को राजनीतिक कारणों से एक साथ लाने की कोशिश

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में महिषासुर शहादत दिवस मनाए जाने को लेकर संसद में गरमा-गरमी के बीच झारखंड के एक जनजातीय विद्वान प्रकाश उरांव ने कहा है कि देवी दुर्गा ने जिसे मारा था और जिसे सब दानव के रूप में जानते हैं, वह भारत की किसी जनजाति के लिए प्रेरणादायी या पूज्य नहीं रहा है. झारखंड सरकार की संस्था ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट (टाआरआई) के पूर्व निदेशक उरांव ने बताया, “सांख्यिकी संबंधी किसी भी किताब में महिषासुर से जनजाति के लोगों का कोई संबंध नहीं पाया गया है. न ही कोई महिषासुर की पूजा करता है.”
महिषासुर की पूजा

पूर्व निदेशक ने कहा कि एक जानकार होने के नाते खुद जनजातीय समुदाय से होने के बावजूद उन्होंने ऐसा कभी नहीं सुना कि महिषासुर किसी भी आदिवासी समुदाय के लिए एक प्रेरणास्रोत रहा. उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि यह कुछ लोगों का नया पैदा किया हुआ है. मैं झारखंड में ही पला-बढ़ा हूं. मैं जनजातीय हूं, लेकिन कभी नहीं सुना कि महिषासुर की पूजा किसी भी जनजातीय समुदाय के लिए प्रेरणा है.”
उरांव ने कहा, “वास्तव में असुर एक जनजाति है, जिसका पेशा लोहा गलाना है. लेकिन उनका भी महिषासुर की पूजा से कोई लेना-देना नहीं है.” उन्होंने कहा, “जनजातीय लोग अहिंसक और भोले-भाले होते हैं.”
महिषासुर और दुर्गा को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने गुरुवार को राज्यसभा में इसका हवाला दिया. उन्होंने कहा था कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में महिषासुर शहादत दिवस मनाया जाता है. उन्होंने यह भी कहा था कि इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजक देवी दुर्गा के खिलाफ अपमानजनक संदर्भो का हवाला देकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रहे हैं.
महिषासुर पर कार्यक्रम के आयोजन को लेकर स्मृति ने जेएनयू के छात्रों की आलोचना की थी. मीडिया में आई कुछ खबरों में कहा गया कि महिषासुर को जनजातियों समेत भारत के कई राज्यों में फैले समुदायों द्वारा लंबे समय से पूजा जाता रहा है.
उरांव ने कहा कि महिषासुर के जनजातीय समुदायों द्वारा पूजने के लिए जिम्मेदार ठहराने के पीछे कोई राजनीतिक कारण हो सकता है. एक वर्ग ऐसा भी हो सकता है जो जनजातियों और दलितों को राजनीतिक कारणों से एक साथ लाने की कोशिश कर रहा हो.
प्रेषित समय :19:13:03 PM / Sun, Feb 28th, 2016
पलपलइंडिया के अनुसार<< सूर्य की किरण >>

Sunday, 28 February 2016

75 घर वाले  गांव ने 47 आईएएस अधिकारी दिए हैं

महज 75 घर वाले इस गांव ने 47 आईएएस अधिकारी बनाए हैं

इसे संयोग कहें या फ़िर किस्मत का खेल. इस गांव में महज 75 घर हैं लेकिन देश में इस गांव के 47 आईएएस अधिकारी विभिन्न विभागों में सेवा कर रहे हैं.
देश के अन्य संस्थानों में भी हैं लोग
ऐसा नही है कि इस गांव ने सिर्फ़ देश को काबिल नौकरशाह ही दिए हैं. इस गांव से बच्चे इसरो, भाभा और विश्व बैंक तक में काम कर रहे हैं. इसे कहते हैं Incredible India.
1914 में मुस्तफ़ा हुसैन ने शुरुआत की
इस गांव का इतिहास अंग्रेज़ों के ज़माने से चला आ रहा है. देश के प्रख्यात शायर रहे वामिक जौनपुर के पिता मुस्तफा हुसैन ने सन 1914 पीसीएस क्वालिफाई कर प्रशासनिक अधिकारी के रूप में नींव डाली थी.
इन्दू प्रकाश सिंह से यहां के युवा काफ़ी प्रभावित हैं
1952 में इन्दू प्रकाश सिंह का आईएएस की दूसरी रैंक में सलेक्शन क्या हुआ जिसके बाद यहां के युवाओं में ऐसा करने की होड़ लग गई. इन्दू प्रकाश सिंह खुद दुनिया के कई देशों में भारत के राजदूत रहे.
ये तो भारत के एक गांव की कहानी है. गांधी जी कहा करते थे कि हिन्दुस्तान गांवों में ही बसता है और इस बात को माधोपट्टी के लोगों ने सही साबित भी कर दिया . इस गांव के लोगों ने अपनी मेहनत से पूरे देश को दिखा दिया कि सच्ची लगन, मेहनत और एकाग्रता से कुछ भी हासिल किया जा सकता है



 खुद को जलाकर किया बदसूरत, ताकि बलात्कार से बचे सके

8 वर्ष की एक लडक़ी को न जाने कितनी बार बेचा गया और उसके साथ बलात्कार किया गया। हालात इतने चिंताजनक हैं कि इससे बचने के लिए एक अन्य लडक़ी ने खुद को बदसूरत बनाने का प्रयास किया। जर्मन डॉक्टर जे आई खिजिलान ने इराक में खूंखार आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) जिहादियों द्वारा गुलाम बनाकर रखी गई 1400 से अधिक यजीदी महिलाओं और लड़कियों की कहानियां सुनी हैं, उसमें से ये केवल दो लड़कियों की कहानियां हैं।

जिनेवा में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इन महिलाओं और लड़कियों ने नरक जैसे हालात का सामना किया है। खिजिलान उस परियोजना के प्रमुख हैं जिसके तहत ऐसी 1100 महिलाओं और लड़कियों के शारीरिक और मानसिक जख्म को भरने की कोशिशों के तहत उन्हें जर्मनी लाया गया है।
जर्मन राज्य बाडेन वुर्टेमबर्ग द्वारा चलाई जा रही इस परियोजना के तहत पिछले वर्ष अप्रैल में उत्तरी इराक से पीडि़त महिलाओं और लड़कियों को जर्मनी लाया गया और अंतिम समूह को इस महीने की शुरआत में लाया गया।
साल 2014 में बाडेन वुर्टेमबर्ग के अधिकारियों ने इस दिशा में कार्रवाई का निर्णय किया था। इस समय आईएस जिहादी यजीदी लोगों का नरसंहार और हजारों को भागने पर मजबूर करते हुए धीरे-धीरे उत्तरी इराक की तरफ बढ़ रहे हैं और इस दौरान वे हजारों लड़कियों और महिलाओं का अपहरण करके उनको यौन गुलामी के लिए मजबूर कर रहे हैं। (एजेंसी)
samacharjagat.com 

Saturday, 27 February 2016

अमेरिकी भक्त 
 करोड़ों की कंपनी बेच गीता के प्रचार में... 

चम्‍बल का वैभव: धार्मिक स्थल मचकुण्ड
चम्‍बल घाटी में मचकुण्ड नामक बहुत ही सुन्दर रमणीक धार्मिक स्थल प्रकृति की गोद में राजस्‍थान के धौलपुर शहर के निकट स्थित है। इस विशाल एवं गहरे जल कुण्ड के चारों ओर अनेक छोटे-छोटे मंदिर तथा पूजागृह पाल राजाओं के काल 775 ई. से 915 ई. तक के बने हुए है।
 यहां प्रतिवर्ष भादों की देवछट को बहुत बडा मेला लगता है। जिसमें लाखों की संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मचकुण्ड को सभी तीर्थों का भान्जा कहा जाता है। इस मचकुण्ड का उदगम सूर्यवंशीय 24 वे राजा मचकुण्ड द्वारा बताया जाता है। इस कुण्ड में नहाने से पवित्र हो जाते हैं।                               ऐसी यहां धारणा है कि मस्‍सों की बीमारी से त्रस्‍त अर्थात मस्‍सों से परेशान लोग इस कुण्‍ड में स्‍नान कर मस्‍सों से छुटकारा पा जाते हैं । पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्‍ण ने कालयवन को राजा मुचकुन्‍द के हाथों इसी स्‍थान पर मरवाया था । तभी से इसे मुचकुण्‍ड या मचकुण्‍ड पुकारा जाता है ।
 मुरैना से यह 28 कि.मी. दूर आगरा बम्‍बई राजमार्ग के निकट स्थित है । क्षेत्रीय जनता में इसे भारी मान्‍यता व सम्‍मान प्राप्‍त है ।

Friday, 26 February 2016

 दलितों को भड़काने एवं रोहित वेमुला के समर्थन में सर्वाधिक "छातीकूट" करने में वामपंथी हैं. अब चार माह पहले रोहित वेमुला द्वारा लिखित यह पोस्ट पढ़िए... कैसे रोहित ने "हिज़ हाईनेस सीताराम येचुरी" को लताड़ा है.
रोहित लिखता है कि, "जब ब्राह्मण येचुरी से पूछा गया कि पिछले 51 वर्षों से CPM के पोलित ब्यूरो में कोई दलित क्यों नहीं है? तो येचुरी का जवाब था कि "जब हमें योग्य दलित व्यक्ति मिल जाएगा तब हम उसे पोलित ब्यूरो में ले लेंगे". (वामपंथ और प्रगतिशीलता का दोगलापन इसी में है, कि यही लोग चीख-चीखकर पूछते हैं कि संघ का अध्यक्ष दलित क्यों नहीं है? और जब भाजपा ने बंगारू लक्ष्मण जैसे सरल ह्रदय दलित को पार्टी अध्यक्ष बनवाया, तो इन्होंने वासना के पुजारी तरुण तेजपाल जैसे मीडियाई गुलामों के माध्यम से उन्हें फँसाने का कुकर्म भी कर डाला.).
तात्पर्य यह है कि वास्तव में रोहित वेमुला वामपंथियों के दोगले व्यवहार से बुरी तरह तंग आ चुका था. वह समझ गया था कि वामपंथी लोग दलितों को "यूज़" कर रहे हैं, इसीलिए नौ दिनों तक अनशन करने के बावजूद कोई वामपंथी उसे देखने तक नहीं आया, क्योंकि वे इंतज़ार कर रहे थे कि कब रोहित निराश होकर मरे, और ये लोग ओवैसी के साथ मिलकर उसकी लाश नोचने पहुँच जाएँ....
सुरेश चिपलूनकर जी की वाल से
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Thursday, 25 February 2016



पीएम नरेंद्र मोदी की मां हीराबा की बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें लेने 108 एंबुलेंस घर पहुंची और सिविल अस्पताल में भर्ती कराया। इतना ही नहीं, अस्पताल के जनरल वार्ड में उनकी जांच आम मरीजों की तरह ही हुई क्योंकि उन्होंने खुद को VIP treatment देने से इंकार कर दिया - जी हाँ ये ज़मीन से जुड़ा परिवार है
देव सगर
नई तकनीकी का बायोगैस प्लांट,
 केवल 3000 रु. खर्च कर अब किसी की रसोई घर में 4-5 घंटे की गैस सप्लाई मिल सकती है !श्री राजू मुदिगिरी तालुका के डाराडहली में एक वरिष्ठ पशु-चिकित्सक के रूप में कार्यरत रहे है। उन्हें नई तकनीकियों के विकास में भी काफी रुचि है। इस प्रयोक्ता हितैषी, कम लागत वाले बायोगैस प्लांट की खासियत यह है कि इसमें एक बार में केवल एक बाल्टी गोबर की आवश्यकता होती है। इसे तैयार करने के लिए केवल एक 11फ़ीट लंबी, 7 फ़ीट चौड़ी 250 मि.मी की प्लास्टिक शीट तथा दो पीवीसी पाइप की ज़रूरत होती है। यानि टंकी बनाने के लिए गढ्ढा खोदने की ज़रूरत नहीं होती। टंकी का निर्माण इस प्लास्टिक शीट द्वारा ही किया जाता है। गोबर-पानी के मिश्रण को पीवीसी पाइप द्वारा डाला जाता है और एक घंटे के बाद मीथैन गैस का उत्पादन शुरु हो जाता है, जो 4 घंटों तक चालू रहता है। श्री कृष्णराजू के मुताबिक, बायो गैस के किसी अन्य प्लांट के निर्माण में केवल 20,000 रु. की आवश्यकता होती है, जिसमें वार्षिक मेंटिनेंस लागत भी शामित होती है, पर यह काफी सस्ती है और इसका संचालन काफी आसान है। एक बार संस्थापित करने के बाद इसे 5-6 वर्षों तक चालू रखा जा सकता है। श्री कृष्णराजू कहते हैं कि उनक मुख्य उद्देश्य वन की रक्षा करना है। यदि घर आरसीसी निर्मित हो तो इस यूनिट को घर के छ्त पर रखा जा सकता है। उन्होंने इसे डाराडहली के डी एन वीरेंद्र गौड़ा की छत पर स्थापित किया है। उन्हें अपने गौशाले के गोबर से प्रतिदिन 5 घंटे का बायोगैस ईधन प्राप्त हो जाता है। गैस का इस्तेमाल करने के बाद गाद का उपयोग खाद के रूप में कर लिया जाता है। इस बारे में विशेष जानकारी के लिए श्री कृष्णराजू से इस नम्बर पर संपर्क किया जा सकता है- मोबाइल: 94480-73711.

केंद्र सरकार को गिराने की 

रची जा रही साजिश


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वाराणसी. विख्यात गीतकार पद्मभूषण गोपाल दास नीरज ने समूचे विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया है। पत्रिका से खास बातचीत में कहा समूचा विपक्ष मोदी सरकार को गिराने का षडयंत्र रच रहा है, इसमें कुछ साहित्यकार भी शामिल हैं। विपक्ष अपने अभियान के तहत छात्रों को गुमराह कर रहा। जेएनयू प्रकरण इसी का हिस्सा है। 

प्रमुख गीतकार ने कहा, जेएनयू में देश को बांटने का प्रयास हो रहा। देश को टुकड़े टुकड़े करने की कोशिश की जा रही, ऐसा विश्वविद्यालय जहां हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगते हैं। उन्होंने खारिज किया कि जेएनयू के वीडियो से छेडछाड हुई। नीरज ने कांग्रेस पर देश को अस्थिर करने का आऱोप लगाया। कहा, लोकसभा को न चलने देना क्या वाजिब है।
स्मृति ईरानी के स्पीच पर PM मोदी हुए गद्गद, बोले- "सत्यमेव जयते" !!

"माय नेम इज स्मृति, आई चेलेन्ज यु .." .....शब्दो से अचानक संसद में आतंक समर्थक कोंग्रेसीयो पर स्ट्राईक हमला बोल दिया, कन्टीन्युअस 49 मिनिट तक चले ये एक्सप्लोसीव प्रहार में कोंग्रेसीयो संसद से भाग गये, संसद में स्पीकर समेत सभी सांसदो के मुंह कम्लीट बंद हो गये !! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके पूरे भाषण को सत्यमेव जयते लिखकर ट्वीट किया।
मंत्री ने कल कहा था कहा कि, "मेरा नाम स्मृति है, मैं आपको चुनौती देती हूं कि मेरी जाति बताकर दिखाइए। मुझे सूली पर चढ़ाया जा रहा है, अमेठी से चुनाव लड़ने की आप लोग (कांग्रेस) सजा देना चाहते हैं मुझे। मुझसे जवाब मांगने वाले मुझसे दाखिला कराने को कहते हैं, मैंने कई बार सिफारिश पर दाखिले करवाए हैं।" स्मृति ईरानी ने कांग्रेस राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि "सत्ता तो इंदिरा गांधी ने भी खोई थी लेकिन उनके बेटे ने भारत की बर्बादी के नारों का समर्थन नहीं किया था।"
स्मृति ईरानी ने कहा कि उन्हे लोगों से 66000 अर्जियां मिली हैं और उन्होंने इसका निपटारा किया और किसी से यह नहीं पूछा कि उनकी जाति या धर्म क्या है।
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चाहे हैदराबाद यूनिवर्सिटी का रोहित वेमुला आत्महत्या मामला हो या जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में देशद्रोह मामला हो, कांग्रेस पार्टी  संसद में पूरी तरह से एक्सपोज हो गयी।  रोहित वेमुला मामले में संसद में कांग्रेस की ओछी राजनीति का खुलासा हो गया।
 स्मृति इरानी ने कहा कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी में जितना भी स्टाफ है सभी को कांग्रेस सरकार ने अप्वाइंट किया था, राज्य की कानून व्यवस्था राज्य सरकार के हाथों में होती है लेकिन रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद पुलिस मौके पर नहीं पहुंची और जब पहुंची तो रोहित वेमुला की लाश को उतारकर टेबल पर लिटा दिया गया था। उसे अस्पताल भी नहीं ले जाया गया और ना ही डॉक्टरों को बुलाया गया। 
असलियत यह थी कि वे लोग रोहित को बचाना ही नहीं चाहते थे बल्कि उसकी मौत पर राजनीति करना चाहते थे। इसलिए राहुल गाँधी ने हैदराबाद में दो बार दौरा किया और रोहित वेमुला का इस्तेमाल किया और अभी तक कर रहे हैं।

यही काम राहुल गाँधी ने जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में किया। वे देशविरोधी नारा लगाने वालों के साथ जाकर खड़े हो गए और देशद्रोहियों का विरोध करने के बजाय देश की सरकार का विरोध किया और कहा कि सरकार छात्रों की आवाज को दबाना चाहती थी। छात्रों की अभिव्यक्ति की आजादी ख़त्म की जा रही है।

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New Delhi: