Tuesday 16 February 2016

आतंकवाद के तरीके बदल रहे हैं 
 अब बम विस्फोट से नहीं बल्कि शिक्षण संस्थाओं को एक सुनियोजित तरीके से प्रदूषित और कलंकित करके भारत की एकता और अखंडता में सेंध लगाई जा रही है ! एक के बाद एक हमारे सभी विश्वविद्यालयों को निशाना बनाया जा रहा है ! मैकॉले ने सबसे पहले हमारी शिक्षा और संस्कृति को निशाना बनाकर उसे नष्ट किया और देश की एकजुटता और संप्रभुता को चोट पहुंचाई ! वो अपने इरादों में बहुत हद तक सफल रहा !
 अब तो और भी बहुत सी ताकतें भारत की अखंडता की बैरी हो गयी हैं जिन्होंने अपने आतंकी युवा एजेंट भारत के प्रत्येक कोने में बैठा रखे हैं और विदेशों से प्रचुर मात्र में काला धन इन स्लीपिंग सेल्स को पोषित करने के लिए आ रहा है ! ये लोग दलितों और गरीब परिवारों के महत्वाकांक्षी बच्चों को पैसों से खरीदकर उनसे मनमाना काम करवा रहे हैं ! उन्हें देशद्रोह के आरोप में फंसाकर ये लोग फरार हो जाते हैं क्योंकि विदेशों में इनकी सुरक्षा का पुख्ता इंतज़ाम रहता है !
 ज़रुरत है भारत को चेत जाने की ! इनके नापाक इरादों को पहचान लेने की ! इन लोगों पर पैनी दृष्ट रख संदेह होते ही इन्हें गिरफ्तार करने की ! चिंगाली, शोला बन सब कुछ भस्म कर दे उससे पहले ही संभल जाने की ज़रुरत है !
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लखनऊ। मुजफ्फरनगर दंगों पर एक टीवी चैनल द्वारा स्टिंग कराए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस स्टिंग की जांच कराई थी जिसकी रिपोर्ट आज सदन में पेश की गई। सतीश निगम द्वारा पेस की गई इस रिपोर्ट में इस टीवी चैनल के कई पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुती की गई है।
गौरतलब है कि उक्त स्टिंग में सपा नेता आजम खां पर दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया था। इस स्टिंग के प्रसारित होने के बाद इस पर सतिश निगम की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बैठाई गई थी।
350 पन्नों की जांच रिपोर्ट में निम्नलिखित पत्रकारों पर कार्यवाई करने की सिफारिश की गई है- सुप्रिया प्रसाद, दीपक शर्मा, अरूण सिंह, हरीष शर्मा, राहुल कंवल और पुण्य प्रसुन वाजपेयी।

इन पर आईपीसी की निम्न धाराओं में कार्रवाई की सिफारिश की गई है- 153A, 295, 200, 463, 464, 469, 47

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