Friday 3 February 2017

गुणी पुत्र पुत्री प्राप्ति के लिए नियम – शादीशुदा जोड़ो के लिए परिवार नियोजन उपाय ...

मारे बच्चे स्‍वस्थ हों, तन्दरुस्त हों, मेधावी हों, उनके जीवन मे इंटेलिजेन्सी हमेशा हो, | Q अच्छा रहे, समाज का काम करें. किसी भी माँ या पिता को अपने जीवन मे सबसे अच्छा बच्चा चाहिए तो उनका नियोजन करना पड़ेगा. बिना नियोजन के बच्चे दाऊद इब्राहिम होते हैं. माता बहन को पीटते हैं. हम हर चीज़ के लिए नियोजन करते हैं, घर बनाने के लिए, आदि, ऐसे ही बच्चे के लिए भी नियोजन करिए.
नियोजन मे क्या करना होगा? सबसे पहला नियोजन संयम पालना पड़ेगा. ज़्यादा समय ब्रह्मचर्या का पालन करना. स्त्री के लिए संयम रखना बहुत सरल है, पुरुषों के लिए कठिन है. साल मे एक या 2 बार ही संसर्ग करें, या फिर महीने मे बस एक बार ही पत्नी के साथ समागम हो. इसके लिए संकल्प मजबूत रहना चाहिए, और वो मजबूत करने के लिए अदरक काम आएगा, अदरक मुँह मे रख कर चूसते रहें. ये अदरक हर तरह का संकल्प मजबूत करने मे सहायता करता है.
2. नियमित रूप से जीवन मे चूना का सेवन करना, दोनो स्त्री पुरुष चूना खाएँ.
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– चूना 1 व्यक्ति दिन मे बस 1 ग्राम तक ही खाए, दूध छोड़ कर किसी भी तरल पदार्थ मे घोल कर पीना है, पान वाला चूना. जैसे पानी, दही, जूस दाल आदि.
नोट: पथरी के रोगी के लिए चूना वर्जित है.
3. ख़ान पान का ध्यान रखना.
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– राणा प्रताप, शिवा जी जैसे बच्चे चाहिए तो सात्विक भोजन करें स्त्री पुरुष. माँस, मछ्ली, अंडा, शराब सिगरेट सब वर्जित. शाकाहारी जीवन.
– शाकाहारी भोजन मे कुछ चीज़ें अवश्य हों, जैसे देशी गाय का दूध, दही, मक्खन, घी, ये सब अधिक उपयोग करना. मक्खन के साथ मिश्री ज़रूर खाएँ नियमित रूप से. मात्रा: 25 ग्राम मक्खन के साथ 10 ग्राम मिश्री.
– तिल, मूँग की दाल, मसूर की दाल, सीज़न वाले फल, जैसे गर्मी मे आम. नियमित रूप से खाना है ये सब
– फल कभी भी भोजन के साथ नही खाना अलग से खाना फल. खाने के 2-3 घंटे बाद फल खाना, या फिर सुबहा फल का ही नाश्ता करें, रात मे फल नही खाना.
4. शारीरिक श्रम नियमित रूप से करें दोनो पति पत्नी.
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– शारीरिक श्रम करें दोनो पति पत्नी. महिलाएँ ऐसा श्रम करें जिसमे गर्भाशय का मूव्मेंट हो. चटनी बनाना, कपड़े धोना, रोटी बनाना, ये सब काम हाथ से ही करें. चाकी चलाना सबसे अच्छा है, दिन मे बस 15 मिनिट. सबसे अच्छी संतान होगी.
– पुरुषों के लिए शरीर श्रम: नागर चलाना, नागार नही चला सकते तो, सीढ़ियाँ चढ़ना और उतरना. या फिर ज़्यादा पैदल चलना.
5. संतान का रंग साफ पाने के लिए.
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– वैसे तो व्यक्ति को उसके कर्मो से जानना चाहिए रंग रूप से नहीं !फिर भी जो लोग अपनी संतान का रंग साफ चाहते हैं, वो दोनो पति पत्नी हल्दी का दूध पीएँ, रात्रि को दूध मे हल्दी मिला कर पीएँ, संतान का रंग दोनो माता पिता से साफ होगा.
6. संतान खूब तेज बुद्धि वाली हो इसके लिए:
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– दही चूना मिला कर खाते रहना; देशी गाय का दूध लो, उसका दही जमाना चाँदी के बर्तन मे सुबह खाली पेट उसमे चूना मिला कर खाना, दोनो पति पत्नी. चूना वैसे ही लेना है प्रति व्यक्ति 1 ग्राम या गेहू के 1 दाने के बराबर. नोट: पथरी के रोगियों के लिए चूना वर्जित है ध्यान रहे.
7. तेजस्वी संताप प्राप्ति हेतु समागम करने के लिए आदर्श दिन:
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– पत्नी का मासिक शुरू होने वाले दिन से 10 दिन बाद और 18 दिन पहले, इस बीच का जो 7 दिन है वो संतान प्राप्ति के लिए सबसे अच्छा समय है. तेजस्वी और गुणी संतान होगी.
– इसमे 2 तरह के दिन आएँगे सम और विशॅम; जैसे 10 सम, 11 विषम, 12 सम, 13 विषम…. आदि; यदि सम दिन मे समागम करेंगे तो 99% पुत्र होगा, और विषम वाले दिन संसर्ग करेंगे तो पुत्री होगी. महिलाओं मे X और X गुण सूत्र होते हैं, और पुरुषों मे X और Y होते हैं, सम वाले दिन, Y अधिक सक्रिय हो जाता है, तब Y और X मिल कर पुत्र होते हैं, विषम दिन X सक्रिय होता है तो X और X मिल कर पुत्री होती है.
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8. शुकलपक्ष के दिनो मे समागम करने से पुत्र या पुत्री 99% प्रतापी, तेजस्वी, लड़ने भिड़ने वाले होंगे, कृष्नपक्ष मे अच्छे साहित्यकार, वैग्यानिक, डॉक्टर्स, इंजिनीयर्स, सीए होंगे.
– छत्रपति शिवाजी, राणा प्रताप, भगत सिंग, उधम सिंग, आज़ाद. ये सब शुकलपक्ष वाले हैं. शुकलपक्ष माने चंद्रमा लगातार बढ़ता हुआ होता है.
– न्यूटेन, गगदीश चंद्रा खुराना, जगदीश चंद्र बोस आदि, सब कृष्नपक्ष वाले हैं.
– चंद्रमा के शरीर पर पड़ने वाली ऊर्जा का सब चक्कर है, आप जानते हैं कृष्णपाक्ष मे चंद्रमा नही होता और शुकलपक्ष मे चंद्रमा बहुत तीव्र होता है. चंद्रमा का प्रकाश अपना नही है. वो सूर्य से आता है, शुकलपक्ष मे सूर्य की तीव्रता है, तो सूर्य का तेज आता है संतानों मे.
– कृष्णपाक्ष मे सूर्य का प्रताप नही है तो वो दिमाग़ वाली संतान होंगी.
– अगर आप 2 बच्चे कर रहे हैं तो इस प्रकार नियोजन करें की एक संतान शुकलपक्ष की और एक संतान कृष्णपाक्ष की.
9. मंदबुद्धि बच्चे कहाँ से आते हैं?
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– ये बच्चे उन माता पिता के हैं जिनके शरीर मे कॅल्षियम बहुत कम है. इनके बच्चे मतिमन्द होने ही वाले हैं, विकलांग होने ही वाले हैं. कॅल्षियम का टेस्ट होता है, पेतॉलजी मे हो जाएगा. सस्ते मे हो जाता है कॅल्षियम टेस्ट शरीर का. चुना कैल्शियम का सबसे अच्छा स्त्रोत है !
– महाराष्ट्र मे कोंकण बेल्ट के बच्चे खूब तेज बुद्धि वाले होते हैं, उनकी आँखे भी दुनिया मे सबसे सुंदर होती हैं. आई क्यू सबसे अधिक होता है उनका, वहाँ की मिट्टी लाल है, हर अनाज और फल मे कॅल्षियम और आइरन अधिक होता है. लाल मिट्टी मे भरपूर कॅल्षियम और आइरन है.
गर्भवती माता को आध्यात्मिक,ज्ञान वाली किताबें पढ़नी चाहिए ! बच्चा का उस पर प्रभाव होता है ! कहा जाता है अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने गर्भ मे चक्रव्यू भेदने की विधि सीखी थी !!
– नाड़ी और गोत्र का मिलान होता है ताकि ‘डी एन ए’ एक ना हो. प्रेम विवाह भी करें तो इन बातों का ध्यान रखें, नही तो प्रेम छूट जाएगा और विवाह घिसट घिसट कर चलेगा. डोपमाइन केमिकल के प्रभाव से प्रेम भाव उत्पन्न होता है, वो शीघ्र ही समाप्त हो जाता है.
10. पति पत्नी का ब्लड ग्रूप अलग रहे तो अच्छा.
11. पति पत्नी सर्वदा दक्षिण दिशा मे सिर करके सोएँ.
12. यदि गर्भाधान हो गया तो अब क्या करें? उपरोक्त जानकारी के बिना | ऐसे मे हमे उत्तम संतान प्राप्त हो इसके लिए क्या करें?
– माता का भोजन अच्छा होते ही जाना चाहिए. दूध, ताक, दही, मक्खन, लोनी, छ्छाच्छ भरपूर खाना है. याद रखिए, देशी गोमता का ही. घबराएँ नही वजन नही बढ़ेगा.
– भरपूर कॅल्षियम आपके शरीर मे रहे, मतलब चूना बराबर खाते रहना, केला, मूँगफली दाना, तिल. इन चीज़ों मे भरपूर कॅल्षियम है.
– समय से भोजन समय से आराम. लंच करिए 10 बजे भरपेट, डिन्नर शाम 5-6 बजे, बीच मे भूख लगे तो जूस, फल, मूँगफली दाना, गुड, तिल पट्टी, दही खाना. सुबह शाम भोजन भरपेट.
– पहले महीने से सातवे महीने तक थोड़ा थोड़ा श्रम करते रहें, जाता चलाना, चटनी बनाना, कपड़े धोना, झाड़ू पोंच्छा, सब हाथ से करें, मशीन से नही.
– पहले दिन से 9 महीने, 9 दिन, 9 घंटे तक गर्भवती माता को कोई मानसिक तनाव नही देना नही तो दुष्परिणाम 10 गुना तक बच्चे को मिलेगा.
– गर्भवती माता को जो जो पसंद नही है वो उतने दीनो तक घर मे नही होना चाहिए.
– यदि इन बातों का ध्यान नही दिया तो बच्चा बाहर आकर जिंदगी भर आपको त्रास देगा.
– सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का असर गर्भवती महिला पर होता है, सूर्य ग्रहण बच्चे के लिए बड़ा तकलीफ़ वाला होता है, चंद्र ग्रहण उतना नही होता. सूर्य ग्रहण मे ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ होता है, तो ऐसे मे माता को आराम करना चाहिए और बाहर नही निकलना चाहिए.
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