गुजरात में राज्यसभा के तीन सीटों पर परसो चुनाव होना है जिसमें दो पर भाजपा का जीतना तो तय है लेकिन एक सीट जो कांग्रेस के खाते की थी उस पर भाजपा ने ऐसा चक्रव्युह रच दिया है कि सोनिया गांधी के रणनीतिकार अहमद पटेल को दिन में तारे दिख ने लगा है।
...भाजपा ने अहमद पटेल को हराने के लिए जो एड़ी-चोटी की जोर लगा रही है उसके पिछे एक नही अनेक कारण है।
...पहला यह कि बहुत लोगों को यह पता नही होगा कि कांग्रेस में सोनिया और राहुल के बाद अहमद पटेल का ही सिक्का चलता है।सोनिया गांधी अहमद पटेल से बिना सलाह लिए कोई काम नही करती है।कांग्रेस के पार्टी फंड में धन जुटाने से लेकर रणनीति बनाने का काम अकेले यही अहमद सम्हालते हैं। सिर्फ कांग्रेस पार्टी में ही नही मनमोहन सरकार में भी इनका सिक्का जमकर चलता था जिसका खुलासा कुछ दिन पहले मनमोहन सिंह के सलाहकार संजय बारू ने भी अपनी एक किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनीस्टर ' में किया था।
....किताब के अनुसार अहमद पटेल पीएमओ में सिधा दखल देते थे कौन सा नेता मंत्री बनेगा और कौन नही इसका सूची अहमद पटेल ही तैयार कर खुद पीएमओ में लाते थे।कब मंत्रीमंडल विस्तार होगा यह निर्णय भी वहीं करते थे।राष्ट्रीय बैंको से लेकर सार्वजनिक उद्यमों के बोर्ड में कांग्रेसी नेताओं और रिश्तेदारों को शामिल करवाने के लिए जमकर लाॅबिंग भी करते थे इसके बदले इच्छुक लोगों की ओर से करोड़ो रूपया जो मिलता था वह पार्टी के फंड बन जाता था।
...यह ऐसे तो यह ईमानदार और सादगी पसंद नेता हैं लेकिन इनका चरित्र हिंदू विरोधी रहा है।गोधरा कांड के आरोपीओं को इन्होने बचाने के लिए अपनी जी-जान लगा दी।मनमोहन सरकार बनने के ठिक दो महीने बाद जुलाई 2004 में एक जांच कमेटी बनाई गयी।उस बैनर्जी समिती जांच गठित करवा कर काल्पनीक रिपोर्ट दिलवाया गया कि गोधरा कांड साजिश नही ब्लकि एक दुर्घटना मात्र था जो आग लगायी नही गयी ब्लकि अंदर से ही किसी के गलती के कारण लग गई थी।यह अलग बात है इस काल्पनीक रिपोर्ट को न तो न्यायालय ने स्वीकार किया और न ही भारत की जनता ने। लेकिन यह काल्पनिक रिपोर्ट आने से पहले पूर्व के ही जांच रिपोर्ट पर कारवाई हो रही थी।
....गोधरा कांड के सभी अभियुक्तो पर पोटा के तहत के केस चल रहा था जिसमें आरोप सिद्ध होने पर फांसी होना तय था।इसे बचाने के लिए तत्कालीन रेल मंत्री से लालू प्रसाद यादव से जुलाई 2004 में घोषणा करवाया गया कि आरोपीओं पर लगाया गया पोटा कानुन हटाया जाएगा।लेकिन जब विरोध हुआ तो आनन-फानन में अहमद पटेल के इशारे पर सन 2004 में पोटा कानुन को ही संसद में बहुमत के बल पर रद्द कर दिया गया।क्योंकी जब तक पोटा आस्तित्व में रहता तब तक उसी के आधार पर कारवाई चलती।
... उसके बाद 16 मई 2005 को यह कहा गया कि गोधरा के आरोपीओ पर पोटा नही लगाया जाएगा।किंतु दुसरे पक्ष के वकील ने विरोध में जब जोरदार दलील दी तो न्यायालय भी किर्तव्यमुढ बनकर रह गया।उसके बाद सन 2009 में पोटा विचार समिती के द्वारा यह घोषणा करवाया गया कि आरोपीओं पर पोटा के तहत कारवाई नही होगी।इस तरह अहमद पटेल ने गोधरा के आरोपीओं को बचाने के लिए अपने जी-जान लगा दिया।
....अहमद पटेल के ही इशारे पर कांग्रेस सरकार द्वारा नरेन्द्र मोदी को बुरी तरह से परेशान किया गया।किंतु तमाम चक्रव्युह रचने के बाद भी जब मोदी इसको नाकाम बनाते गयें तो अहमद पटेल ने मोदी के सबसे निकट सहयोगी और विश्वस्त गृहमंत्री अमित शाह को फंसा कर गंदी राजनीति खेली।इस अहमद पटेल ने अमित शाह को पुलिस एनकाउंटर के मामले में सलाखों के पीछे भिजवाया था।
.....जिस देश में निर्दोष व्यक्तियों के एनकाउंटर में दरोगा भी जेल नहीं जा पाता है उसी देश में लश्कर तोएबा के आतंकवादियों के एनकाउंटर में गुजरात के गृह मंत्री अमित शाह को जेल भेजा गया था।
...अभी हाल ही गुजरात के सीआईडी ने अपने जांच में पाया है मोदी सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के लिए अहमद पटेल ने ही दलित संबधी उना कांड की साजिश रची थी इस कांड के साजिशकर्ता वंशभाई भीमभाई है जो अहमद पटेल के विश्वस्त सिपाही हैं।
..यही सब कारण है कि अहमद पटेल को हराने के लिए अमित शाह जी-जान की कोशिश कर रहे है।कहते हैं न कि समय बहुत बलवान होता है और समय जब आज पलटा तो अहमद पटेल आज सड़क पर हैं अमीत शाह आज एकक्षत्र शहशांह हैं जिनके साथ कभी गंदी राजनीति खेलकर लश्कर तोएबा के एक आतंकवादी के इंकाउटर पर अहमद पटेल ने जेल भीजवाया था।
....बहुत कम लोग यह जानते हैं कि साम्प्रदायिक हिंसा निवारण बिल और सच्चर कमेटी रिपोर्ट लागु कर बहुसंख्यक हिंदूओ को आर्थिक और कानुनी रूप से सड़क पर लाने का सोंची-समझी साजिश इसी अहमद पटेल की थी।
#विट्ठलव्यास
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