Sunday 8 April 2018

बैतूल जिले में  गंगावतरण अभियान
सोनाघाटी में अपनी धरोहर बचाने खंतियाँ खोदने उमड़ा जन सैलाब...जिले के 325 ग्रामो के सात सौ श्रमदानियों ने ढाई घंटा पसीना बहाकर खोदी दो सौ खंतियाँ ।अपने गाँव की नदी को पुनर्जीवित कर भागीरथ बनें- आव्हान

पिछले वर्ष लगाए पौधों को दिया पानी ।

वर्षा जल को सहेजने के लिए बैतूल जिले में प्रारम्भ हुआ गंगावतरण अभियान के तहत आज बैतूल की सोनाघाटी पहाड़ी पर जुटे जिले के 325 ग्रामों के 700 लोगों ने श्रमदान के द्वारा छः फुट लंबी, दो फुट चौडी और दो फुट गहरी दो सौ खंतियाँ खोदकर एक नया इतिहास रचा । उल्लेखनीय है कि कभी घने जंगल के लिए प्रसिद्ध सोनाघाटी अब उजड़ती जा रही है । पहाड़ी को पुनः हरी भरी करने के लिए पिछले वर्ष से बैतूल व आसपास के ग्रामीणों ने प्रयास प्रारम्भ किया है ।
इसी कड़ी में भारत भारती में वर्षा जल संरक्षण की दो दिवसीय कार्यशाला में भाग लेने आये जिले भर के कार्यकर्ता आज प्रातः सूर्योदय के पूर्व ही सोनाघाटी की पहाड़ी पर पहुंच गए, जहाँ सामूहिक श्रमदान के द्वारा खंतियाँ खोदी तथा पिछले वर्ष जुलाई में लगाये गए पौधों में पानी दिया ।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष कम वर्षा के कारण बैतूल नगर सहित पूरे जिले को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है । जिससे चिंतित होकर गाँव-गाँव मे अनेक उपाय किये जा रहे हैं । इसी परिप्रेक्ष्य में सतपुड़ा समग्र, विद्या भारती जनजाति शिक्षा, भारत भारती शिक्षा समिति और जन अभियान परिषद के द्वारा वर्षा जल को सहेजने के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 7 और अप्रेल को भारत भारती आवासीय विद्यालय परिसर में रखा गया है, जिसमे बैतूल जिले के 325 ग्रामो से 700 से अधिक महिला-पुरुष कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं ।
इस प्रशिक्षण में सैद्धांतिक के साथ प्रात्यक्षिक कार्य भी कार्यकर्ताओं को सिखाया जा रहा है । सोनाघाटी में खंती खोदने का इस वर्ष का यह प्रथम चरण था । पिछले वर्ष पांच चरणों मे चले अभियान में 2500 लोगों द्वारा 300 खंतियाँ खोदी गई तथा जुलाई माह में तीन सौ पौधों का रोपण किया गया था, जिसमे से अधिकांश पौधे सुरक्षित हैं और वृद्धि कर रहे हैं । आज गंगावतरण-2018 के प्रथम चरण में इन पौधों को पानी भी दिया गया ।
श्रमदान के समापन अवसर पर गंगावतरण अभियान के संयोजक मोहन नागर ने कहा कि जिस तरह हिमालय पर गंगा आने के पूर्व उस पर रघुवंश की अनेक पीढ़ियों ने वृक्ष लगाए, तब जाकर के भगीरथ गंगा ला पाए । आज ग्राम-ग्राम में भागीरर्थों की आवश्यकता है जो अपने-अपने ग्राम में पुनः अपने गाँव की नदी को पुनर्जीवित कर दे । इसके लिए निरन्तर प्रयास और धैर्य की आवश्यकता होगी । श्री नागर ने कहा कि जल संकट से उबरने का एक ही उपाय है, वर्षा जल का अधिक से अधिक संग्रहण होना चाहिये । उसके लिए धरती पर वर्षा जल को रोकने के लिए संरचनाएं तैयार करना होगी ।
बैतूल विधायक श्री हेमन्त खंडेलवाल ने गंगावतरण अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि हम सबको मिलकर पानी रोकना होगा । एसडीएम श्री पांडे ने अपने संबोधन में कहा कि यह अभियान अब रुके नहीं, चलता रहे, जिला पंचायत सीएमओ सुश्री शीला दाहिमा ने कहा कि आपके हाथों में जो गैंती-फावड़ा है, वास्तव आज यही सबसे बड़े हथियार है, सुश्री दाहिमा ने अपने द्वारा रचित गीत " मैं पानी की बूंद हूँ, मेरा मोल समझो" भी गाकर सुनाया । श्री अरुण सिंह भदौरिया ने कहा कि अपने जीवन काल मे जितना पानी हम पीते है और प्राणवायु लेते है हमारा दायित्व है कि हम प्रकृति को उतना देकर जाएं । श्रमदानियों को श्री राजेन्द्र भार्गव, सुश्री विद्या कैथवास, श्रींमती प्रिया चौधरी, श्री मुकेश खंडेलवाल, नरेश भदौरिया ने भी सम्बोधित किया ।
आज इस अभियान में जिलेभर से श्रमदानियों के साथ बैतूल के विधायक श्री हेमन्त खंडेलवाल, जिला पंचायत सीईओ सुश्री शीला दाहिमा, एसडीएम बैतूल, तहसीलदार बैतूल, जनजाति शिक्षा के प्रांत प्रमुख श्री बुधपाल सिंह ठाकुर, श्री मुकेश खंडेलवाल, पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ. अरुण सिंह भदौरिया, राजेन्द्र भार्गव, जिला समन्वयक श्रीमती प्रिया चौधरी, सुश्री विद्या कैथवास, भारत भारती के प्राचार्य श्री राहुलदेव ठाकरे, विनायक शिशु मंदिर के श्री मोतीलाल कुशवाह, सत्य साँई संस्थान के श्री संजीव शर्मा, नरेश भदौरिया, राजेश वर्टी, नागोराव सिरसाम, बाजीराम यादव, कढ़ाई ग्राम के सरपंच सहित बैतूल नगर व आसपास के ग्रामो के ग्रामीणों ने भी अभियान में सहयोग किया ।
कार्यक्रम का आभार श्री बुधपाल सिंह ठाकुर द्वारा व्यक्त किया गया ।

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