पाकिस्तान को धूल चटाने वाले हीरो सैम मानेकशॉ, जानें रोचक बातें ...
सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष थे। उनका जन्म 3 अप्रैल, 1914 को और निधन 27 जून, 2008 को हुआ था। फील्ड मार्शल की रैंक पाने वाले वह भारतीय सेना के पहले अधिकारी थे। सन 1971 में उन्हीं के नेतृत्व में भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ। उनका शानदार मिलिट्री करियर ब्रिटिश इंडियन आर्मी से शुरू हुआ और 4 दशकों तक चला जिसके दौरान पांच युद्ध भी हुए। सन 1969 में वह भारतीय सेना के आठवें सेनाध्यक्ष बनाए गए और उनके नेतृत्व में भारत ने सन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त की जिसके फलस्वरूप एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ। उनके शानदार करियर के दौरान उन्हें अनेकों सम्मान प्राप्त हुए और सन 1972 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
उनसे जुड़ी 10 खास और रोचक बातें जानते हैं...
1. जब उन्होंने सेना में जाने का फैसला किया तो उनको पिता के विरोध का सामना करना पड़ा। उन्होंने पिता के खिलाफ बगावत कर दी और इंडियन मिलिट्री अकैडमी, देहरादून में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा दी। वह 1932 में पहले 40 कैडेट्स वाले बैच में शामिल हुए।
2. उनके ही नेतृत्व में भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को हराया और पाकिस्तान के 9000 सैनिकों को बंदी बनाया जो एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है।
3. 1971 के युद्ध के दौरान जब इंदिरा गांधी ने उनसे भारतीय सेना की तैयारी के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, मैं हमेशा तैयार हूं-स्वीटी
4. उनको 1942 के दौरान बर्मा में जापान से लड़ते हुए सात गोलियां लगी थीं, फिर भी वह जिंदा रहे। जब हॉस्पिटल में सर्जन ने उनसे पूछा कि उनको क्या हुआ था तो मानेकशॉ ने जवाब दिया, 'मुझे खच्चर ने लात मार दिया था।'
5. उनसे पूछा गया कि अगर बंटवारे के समय वह पाकिस्तान चले गए होते तो 1971 के युद्ध में क्या होता। उन्होंने जवाब दिया, 'मेरे ख्याल से पाकिस्तान जीत गया होता।'
6. मिजोरम में एक बटालियन उग्रवादियों से लड़ाई में हिचक रही थी और लड़ाई को टालने की कोशिश कर रही थी। इसके बारे में जब मानेकशॉ को पता चला तो उन्होंने चूड़ियों का एक पार्सल बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर को एक नोट के साथ भेजा। नोट में लिखा था, 'अगर आप दुश्मन से लड़ना नहीं चाहते हैं तो अपने जवानों को ये चूड़ियां पहनने को दे दें।' जब बटालियन ने ऑप्रेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे दिया तो उन्होंने चूड़ियां वापस भेज देने को कहा।
7. हकीकत कहने से वह कभी घबराते नहीं थे। जब इंदिरा गांधी ने असमय पूर्वी पाकिस्तान पर हमले के लिए कहा तो उन्होंने जवाब दिया कि इस स्थिति में हार तय है। इससे इंदिरा गांधी को गुस्सा आ गया। उनके गुस्से की परवाह किए बगैर मानेकशॉ ने कहा, 'प्रधानमंत्री, क्या आप चाहती हैं कि आपके मुंह खोलने से पहले मैं कोई बहाना बनाकर अपना इस्तीफा सौंप दूं।'
8. भारत-पाक के बंटवारे से पहले वह और याह्या खान (1971 युद्ध के दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति) सेना में एक साथ सेवा दे रहे थे। मानेकशॉ ने अपनी बाइक याह्या को बेची थी जिसका पैसा याह्या ने चुकाया नहीं था। बाद में जब 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को हरा दिया और बांग्लादेश अस्तित्व में आ गया तो मानेकशॉ ने कहा, 'याह्या ने मेरी बाइक का 1,000 रुपये मुझे कभी नहीं दिया लेकिन अब उसने आधा देश दे दिया है।'
9. इंदिरा गांधी उस समय देश की प्रधानमंत्री थीं जब सेना द्वारा विद्रोह की अफवाह फैली। इंदिरा गांधी ने इस बारे में सैम मानेकशॉ से पूछा। इस पर उन्होंने अपने बोल्ड अंदाज में ही जवाब दिया, 'आप अपने काम पर ध्यान दो और मैं अपने काम पर ध्यान देता हूं। राजनीति में मैं उस समय तक कोई हस्तक्षेप नहीं करूंगा, जब तक कोई मेरे मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा।'
10. सेना की गोरखा रेजिमेंट पर उनका कितना भरोसा था, यह उनके एक बयान से पता चलता है। एक बार उन्होंने गोरखा रेजिमेंट की तारीफ करते हुए कहा, अगर आपसे कोई कहता है कि वह नहीं डरता है तो वह या तो झूठा है या फिर गोरखा।
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