यह हिन्दुस्तान नहीं सउदी अरब है: तसलीमा नसरीन
क्षुब्ध तसलीमा ने ट्वीट करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार पर मुस्लिम कट्टरपंथियों का सहयोग करने का आरोप लगाया और कहा, 'अविश्वसनीय, पश्चिम बंगाल सरकार ने महिला अधिकारों पर मेरे आने वाले धारावाहिक पर इसलिए रोक लगा दी, क्योंकि कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम लोगों ने आपत्ति जताई। मैं महसूस कर रही हूं जैसे मैं सउदी अरब में रह रही हूं।'
उन्होंने कहा, 'पश्चिम बंगाल में हालात बांग्लादेश जैसे हैं। बंगाल सरकार ने मेरे प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। मेरी किताबें और मेरे द्वारा लिखे सीरियल पर भी प्रतिबंध लग गया है। सीपीएम सरकार के दौरान ऐसा हुआ और मुझे लगा था कि ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद हालात बदलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।' यदि यही हालात रहे तो बंगाल भी बांग्लादेश या पाकिस्तान बन जाएगा, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।' अब सेक्युलर कीड़ो कि सेक्यूलरता को सांप सूघ जायेगा।
जब एम अफ हुसैन कि बनायीं तस्वीरो का जिक्र आता है तो यही कीड़े लोकतंत्र और अभिव्यक्ति कि आज़ादी का ढोल पीटने लगते है किन्तु जैसे ही तस्लीमा या सलमान रुशदी जैसे लोगो कि बात होती है तो अभिव्यक्ति कि आजादी कि बात इन कीड़ो के पल्ले नहीं पड़ती है। , मुल्लों की हर नाजायज मांग मानकर हमारे नेतागण भारत को एक ऐसे रास्ते पर धकेल रहे हैं जो आने वाले दिनो मे कट्टरपंथ मे अफ़ग़ानिस्तान को भी पीछे छोड़ देगा , इस महिला के बारे में मै ज्यादा नहीं जानता.. लेकिन यह कहूंगा की खूब लड़ी मर्दानी यह तो ढाका वाली तसलीमा थी.
क्षुब्ध तसलीमा ने ट्वीट करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार पर मुस्लिम कट्टरपंथियों का सहयोग करने का आरोप लगाया और कहा, 'अविश्वसनीय, पश्चिम बंगाल सरकार ने महिला अधिकारों पर मेरे आने वाले धारावाहिक पर इसलिए रोक लगा दी, क्योंकि कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम लोगों ने आपत्ति जताई। मैं महसूस कर रही हूं जैसे मैं सउदी अरब में रह रही हूं।'
उन्होंने कहा, 'पश्चिम बंगाल में हालात बांग्लादेश जैसे हैं। बंगाल सरकार ने मेरे प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। मेरी किताबें और मेरे द्वारा लिखे सीरियल पर भी प्रतिबंध लग गया है। सीपीएम सरकार के दौरान ऐसा हुआ और मुझे लगा था कि ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद हालात बदलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।' यदि यही हालात रहे तो बंगाल भी बांग्लादेश या पाकिस्तान बन जाएगा, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।' अब सेक्युलर कीड़ो कि सेक्यूलरता को सांप सूघ जायेगा।
जब एम अफ हुसैन कि बनायीं तस्वीरो का जिक्र आता है तो यही कीड़े लोकतंत्र और अभिव्यक्ति कि आज़ादी का ढोल पीटने लगते है किन्तु जैसे ही तस्लीमा या सलमान रुशदी जैसे लोगो कि बात होती है तो अभिव्यक्ति कि आजादी कि बात इन कीड़ो के पल्ले नहीं पड़ती है। , मुल्लों की हर नाजायज मांग मानकर हमारे नेतागण भारत को एक ऐसे रास्ते पर धकेल रहे हैं जो आने वाले दिनो मे कट्टरपंथ मे अफ़ग़ानिस्तान को भी पीछे छोड़ देगा , इस महिला के बारे में मै ज्यादा नहीं जानता.. लेकिन यह कहूंगा की खूब लड़ी मर्दानी यह तो ढाका वाली तसलीमा थी.
No comments:
Post a Comment