ब्रिटिश साहित्यकार मैलकम मैंगरज ने हमारे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के लिए कहा था, '' नेहरू का यदि सही विश्लेषण किया जाए तो उनका उल्लेख केवल अंतिम ब्रिटिश गवर्नर जनरल के रूप में ही किया जा सकता है।''
इंदिरा गांधी को हम पाकिस्तान विजेता के रूप में जानते हैं, लेकिन रूस के साथ मिलकर उन्होंने इस देश को जितना बर्बाद किया, पाकिस्तान से जीत कर भी उसे उसकी सारी धरती दे दी और अपनी केवल 80 मील जमीन तक वापस नहीं ले पाई। इंदिरा-भुटटो के शिमला समझौते के कारण तीनों सेना का मनोबल बहुत ज्यादा टूट गया था, लेकिन तत्कालीन विपक्ष इंदिरा की आलोचना करने व सेना के पक्ष में बोलने तक को तैयार नहीं था।
“जनसंघ” के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा के नायक “दीनदयाल उपाध्याय” की हत्या के पूरे मामले को अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी के साथ मिलकर किस तरह से दबाया था, किस तरह से इंदिरा जी सीबीआई रिपोर्ट को आधार बनाकर “वाजपेयी” को “ब्लैकमेल” करती थी, किस तरह उस ब्लैकमेल के कारण मुख्यअ विपक्षी पार्टी के नेता के नाते अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इंदिरा द्वारा 1971 के चुनाव में रूस की मदद से की गई धांधली में खुलकर उनका सहयोग किया था, जिससे लोकतंत्र ध्वलस्त हो गया था और बाद में देश पर आपातकाल की नौबत आई थी।
आज “जनसंघ” के संस्थािपक रहे “बलराज मधोक” व जनता पार्टी के अध्यतक्ष रहे “डॉ सुब्रहमनियन स्वामी” उसी सीबीआई रिपोर्ट को बाहर लाए जाने की मांग के कारण दशकों से “वनवास” भोग रहे हैं। ऐसे एक नहीं, अनेकों तथ्ययों से हम सभी अनजान हैं, क्योंकि हमारे तथाकथित इतिहासकारों ने हमें सच से दूर रखा।
आजाद भारत का इतिहास राजनैतिक हत्या ओं का इतिहास है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक टूल बनाए जाने का इतिहास है। आज एक अरविंद केजरीवाल साजिश लगते हैं, ऐसे न जाने कितने अरविंद केजरीवाल पूर्व में हमारे प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
आपने अभी भी अपने वास्तविक इतिहास को जानने में आनाकानी की तो सचमुच बहुत देर हो जाएगी। लेकिन हां, यदि इतिहास के सच को जानने का जोखिम लेना चाहते हैं तो तकलीफ से गुजरने का साहस भी बटोर लीजिए। प्रतिमाएं टूटेंगी और आप कई बार खुद को निर्वात में पा सकते हैं,
इंदिरा गांधी को हम पाकिस्तान विजेता के रूप में जानते हैं, लेकिन रूस के साथ मिलकर उन्होंने इस देश को जितना बर्बाद किया, पाकिस्तान से जीत कर भी उसे उसकी सारी धरती दे दी और अपनी केवल 80 मील जमीन तक वापस नहीं ले पाई। इंदिरा-भुटटो के शिमला समझौते के कारण तीनों सेना का मनोबल बहुत ज्यादा टूट गया था, लेकिन तत्कालीन विपक्ष इंदिरा की आलोचना करने व सेना के पक्ष में बोलने तक को तैयार नहीं था।
“जनसंघ” के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा के नायक “दीनदयाल उपाध्याय” की हत्या के पूरे मामले को अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी के साथ मिलकर किस तरह से दबाया था, किस तरह से इंदिरा जी सीबीआई रिपोर्ट को आधार बनाकर “वाजपेयी” को “ब्लैकमेल” करती थी, किस तरह उस ब्लैकमेल के कारण मुख्यअ विपक्षी पार्टी के नेता के नाते अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इंदिरा द्वारा 1971 के चुनाव में रूस की मदद से की गई धांधली में खुलकर उनका सहयोग किया था, जिससे लोकतंत्र ध्वलस्त हो गया था और बाद में देश पर आपातकाल की नौबत आई थी।
आज “जनसंघ” के संस्थािपक रहे “बलराज मधोक” व जनता पार्टी के अध्यतक्ष रहे “डॉ सुब्रहमनियन स्वामी” उसी सीबीआई रिपोर्ट को बाहर लाए जाने की मांग के कारण दशकों से “वनवास” भोग रहे हैं। ऐसे एक नहीं, अनेकों तथ्ययों से हम सभी अनजान हैं, क्योंकि हमारे तथाकथित इतिहासकारों ने हमें सच से दूर रखा।
आजाद भारत का इतिहास राजनैतिक हत्या ओं का इतिहास है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक टूल बनाए जाने का इतिहास है। आज एक अरविंद केजरीवाल साजिश लगते हैं, ऐसे न जाने कितने अरविंद केजरीवाल पूर्व में हमारे प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
आपने अभी भी अपने वास्तविक इतिहास को जानने में आनाकानी की तो सचमुच बहुत देर हो जाएगी। लेकिन हां, यदि इतिहास के सच को जानने का जोखिम लेना चाहते हैं तो तकलीफ से गुजरने का साहस भी बटोर लीजिए। प्रतिमाएं टूटेंगी और आप कई बार खुद को निर्वात में पा सकते हैं,
No comments:
Post a Comment