Wednesday, 11 March 2015

सन 1525 में गाय वहां से मैक्सिको पहुंची।

कोलंबस ने सन 1492 में जब अमेरिका की खोज की तो वहां कोई गाय नही थी, केवल जंगली भैंसें थीं। जिनका दूध निकालना लोग नही जानते थे, मांस और चमड़े के लिए उन्हें मारते थे।

कोलंबस जब दूसरी बार अमेरिका गया तो वह अपने साथ चालीस भारतीय गायें और दो भारतीय सांड लेता गया ताकि वहां गाय का अमृतमयी दूध मिलता रहे।

सन 1525 में गाय वहां से मैक्सिको पहुंची।
1609 में जेम्स टाउन गयी,
1640 में गायें 40 से बढ़कर तीस हजार हो गयीं।


1840 में डेढ़ करोड़ हो गयीं।
1900 में चार करोड़,
1930 में छह करोड़ साढ़े छियासठ लाख और
1935 में सात करोड़ 18 हजार 458 हो गयीं।

अमेरिका में सन 1935 में 94 प्रतिशत किसानों के पास गायें थीं, प्रत्येक के पास 10 से 50 तक गायों की संख्या थी।

गर्ग संहिता के गोलोक खण्ड में भगवद-ब्रह्म-संवाद में उद्योग प्रश्न वर्णन नाम के चौथे अध्याय में बताया गया है कि जो लोग सदा घेरों में गौओं का पालन करते हैं, रात दिन गायों से ही अपनी आजीविका चलाते हैं, उनको गोपाल कहा जाता है।
जो सहायक ग्वालों के साथ नौ लाख गायों का पालन करे वह नंद और जो 5 लाख गायों को पाले वह उपनंद कहलाता है।
जो दस लाख गौओं का पालन करे उसे वृषभानु कहा जाता है और जिसके घर में एक करोड़ गायों का संरक्षण हो उसे नंदराज कहते हैं।
जिसके घर में 50 लाख गायें पाली जाएं उसे वृषभानुवर कहा जाता है। इस प्रकार ये सारी उपाधियां जहां व्यक्ति की आर्थिक
संपन्नता की प्रतीक है, वहीं इस बात को भी स्पष्ट करती हैं कि प्राचीन काल में गायें हमारी अर्थव्यवस्था का आधार किस प्रकार थीं।
साथ ही यह भी कि आर्थिक रूप से संपन्न व्यक्तियों के भीतर गो भक्ति कितनी मिलती थी. इस प्रकार की गोभक्ति के मिलने का एक कारण यह भी था कि गोभक्ति को राष्ट्रभ क्ति से जोड़कर देखा जाता था।

गायें ही मातृभूमि की रक्षार्थ अरिदल विनाशकारी क्षत्रियों का, मेधाब ल संपन्न ब्राह्मण वर्ग का, कर्त्तव्यनिष्ठ वैश्य वर्ग का तथा सेवाबल से युक्त शूद्र वर्ग का निर्माण करती थीं।

मेगास्थनीज ने अपने भारत भ्रमण को अपनी पुस्तक ’इण्डिका’ में लिखा है। वह लिखते हैं कि चंद्रगुप्त के समय में भारत की जनसंख्या 19 करोड़ थी और गायों की संख्या 36 करोड़ थी।
आज सवा अरब की आबादी के लिए गायों की संख्या केवल दो करोड़ है.

अकबर के समय भारत की जनसंख्या बीस करोड़ थी और गायों की संख्या 28 करोड़ थी।

1940 में जनसंख्या 40 करोड़ थी और गायों की संख्या पौने पांच करोड़ जिनमें से डेढ़ करोड़ युद्घ के समय में ही मारी गयीं।

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 1920 में चार करोड़ 36
लाख 60 हजार गायें थीं।
वे 1940 में 3 करोड़ 94 लाख 60 हजार रह गयीं।

क्या अब भी गायो की हत्या पर रोक नही लगेगी?

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