Sunday, 19 April 2015

नेहरु ने अलोकतांत्रिक तरीके से भारत-विरोधी धारा 370 को संविधान में डलवाया

जब नेहरु ने कश्मीर के प्रमुख नेता शेख अब्दुल्ला को कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों की जगह एक विशेष राज्य या एक अलग देश की तरह से मान्यता प्रदान करते हुए विवादित धारा 370 को भारत के संविधान में डलवाने के लिए डॉक्टर अम्बेडकर के पास भेजा तो आंबेडकर ने उस समय जो कहा था वो आज भी पढने योग्य और आँखें खोल देने वाला है
अम्बेडकर ने शेख अब्दुल्ला के मूंह पर कहा था -
'' तो आप चाहते हैं की कश्मीर को सारी सहायता हिन्दुस्तान दे , हर साल करोड़ों रुपैया हिंदुस्तान भेजे , सारे विकास कार्य अपने खर्चे पर हिन्दुस्तान उठाये , कोई भी हमला होने पर इसकी रक्षा हिन्दुस्तान करे और सारे भारत में कश्मीरियों को बराबरी के अधिकार मिलें लेकिन उसी भारत और भारतीयों को कश्मीर में बराबरी का कोई अधिकार ना हो ??
मैं भारत का कानून मंत्री हूँ और इस भारत-विरोधी धारा 370 को मंजूरी देकर कम से कम मैं तो अपने देश से गद्दारी नहीं कर सकता हूँ
नेहरु जी से जाकर कहियेगा की एक देशद्रोही ही इस धारा को भारत के संविधान में डालने की मंजूरी दे सकता है और मैं वो देशद्रोही नहीं हूँ ''
और ये कहकर उन्होनें शेख अब्दुल्ला को अपने ऑफिस से निकाल दिया , आग-बबूला शेख अब्दुल्ला नेहरु के पास पहुंचा और उसे सारी बात बताई
तब नेहरु ने अलोकतांत्रिक तरीके से गोपालस्वामी अयंगर से इस भारत-विरोधी धारा 370 को भारत के संविधान में डलवाया जिसका खामियाजा हमारा भारत देश आजतक भुगत रहा है पाकिस्तान परस्त और गद्दार कश्मीरियों की चोरी और सीनाजोरी के रूप में

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