न भारत की पहली महिला शासक रजिया
सुल्तान थी, न ज्वारभाटा सिद्धांत का जनक बेवल, लेकिन
हमारे बच्चों को आज यही पढाया जाता है....
मोम का पुतला है हमारा इतिहास, जिधर चाहे पिंघला दो!
एक टीवी सीरियल आ
रही है और हमें गलत तरीके से इतिहास
में भी यही पढाया गया है कि रजिया सुलताना
देश की पहली महिला शासिका
थी, परंतु यह असत्य है।
सत्यार्थ प्रकाश में आर्य
राजाओ की एक वंशावली है, जिसमें
पद्मावती को महिला शासक बताया गया है,
वही पहली महिला शासक
थी। सत्यार्थ प्रकाश की बात
भी छोड दें और अन्य प्रमाण की खोज करे
तो महाराज कृष्णदेव कृत वंशचरितावली पढें, जिसमें
भी इंद्रप्रस्थ की रानी
पद्मावती को ही पहली
महिला शासक बताया गया है, देखिए:
जेतुं गुर्जरदेशं तु गतं विक्रमपालकम् हत्वामलूकचंद्रःस
इन्द्रप्रस्थ ग्रहीतवान् पत्नी
गोविंदचंद्रस्य राज्ञी पद्मावती
सती आर्यावर्त्तस्य सा प्रोक्ता सर्वप्रथम शासिका।
एक दिन बेटी की भूगोल की
पुस्तक पढ़ रहा था, उसमें लिखा था कि उत्तरी ध्रुव
की खोज रोबर्ट ने की थी और
ज्वार भाटा के सिद्धांत का श्रेय वेवल को दिया गया है। हम कितने
मूर्ख हैं अपने बच्चो को क्या पढाते हैं। यह क्यों
नहीं बताते कि इन पाश्चात्य वैज्ञानिकों से पहले यह
ज्ञान भारतीयो के पास था।
आप रूस के टेक्सट बुक को पढें तो पाएंगे कि वे हर खोज को बताते
हैं कि यह तो रूस ने सदियो पहले कर ली
थी। वे तो विमान को भी ऐसा ही
बताते हैं और कभी भी यूरोप वालो को
वैज्ञानिक ही नहीं मानते, लेकिन रेडियो
हम बनाते है और आविष्कार मारकोनी हो जाते हैं।
हम उत्तरी ध्रुव पर तपस्या तक करते हैं और
खोजकर्ता रोबर्ट हो जाते हैं।
अरे याद आया मैंने तो सुना है कि भारत भी
किसी वास्कोडिगामा ने खोजा था, यह भी मैंने
पढा है। हां खोजा ही होगा क्योंकि मेरा भारत आज
भी कहीं खोया हुआ है सोया हुआ है।
वेदों में ध्रुव प्रदेश में होने वाले छह-छह मास के दिन-रात का
वर्णन है। ध्रुवों में छह मास का दिन व छह मास की
रात्रि मालूम करना ज्योतिष और भूगोल के महान सूक्ष्म ज्ञान पर
ही अवलंबित है।
पृथ्वी पर ऐसी कोई जगह न
बची थी, जिससे आर्य अपरिचित हों।
तभी तो आर्य साहित्य में लिखा है कि जिस समय लंका
में सूर्य उदय होता है, उस समय यमकोटि नामक नगर में दोपहर,
नीचे सिद्धपुरी में अस्तकाल और रोमक में
दोपहर रात्रि रहती है।
लंकापुरेsर्कस्ययदोदयः स्यात्तदा दिनार्द्ध यमकोटिपुर्याम्।अधस्तदा
सिद्धपुरेsस्तकालः स्याद्रोमके रात्रिददलं तदैव।
अतः रोबर्ट को उत्तरी ध्रुव का खोजकर्ता कहना गलत
है। ज्वार भाटा की बात आर्यों को ज्ञात
थी। हमारे लाखो साल पुराने साहित्य में लिखा है कि
यथार्थ में ज्वार भाटे से समुद्र का जल कम और अधिक
नहीं हो जाता। प्रत्युत अग्नि में थाली पर
जल रखने से जिस प्रकार वह उमड़ पड़ता है उसी
प्रकार चन्द्रमा के आकर्षण से ज्वार भाटा होता है।
स्थाली स्थमग्नि संयोगदादुद्रेकिसलिलं यथा।
तथेन्दुवृद्धौ सलिलमम्भौधौ मुनिसत्तमः। अतः विलियम वेवल ज्वार भाटा
सिद्धांत के जनक नहीं हैं।
सुल्तान थी, न ज्वारभाटा सिद्धांत का जनक बेवल, लेकिन
हमारे बच्चों को आज यही पढाया जाता है....
मोम का पुतला है हमारा इतिहास, जिधर चाहे पिंघला दो!
एक टीवी सीरियल आ
रही है और हमें गलत तरीके से इतिहास
में भी यही पढाया गया है कि रजिया सुलताना
देश की पहली महिला शासिका
थी, परंतु यह असत्य है।
सत्यार्थ प्रकाश में आर्य
राजाओ की एक वंशावली है, जिसमें
पद्मावती को महिला शासक बताया गया है,
वही पहली महिला शासक
थी। सत्यार्थ प्रकाश की बात
भी छोड दें और अन्य प्रमाण की खोज करे
तो महाराज कृष्णदेव कृत वंशचरितावली पढें, जिसमें
भी इंद्रप्रस्थ की रानी
पद्मावती को ही पहली
महिला शासक बताया गया है, देखिए:
जेतुं गुर्जरदेशं तु गतं विक्रमपालकम् हत्वामलूकचंद्रःस
इन्द्रप्रस्थ ग्रहीतवान् पत्नी
गोविंदचंद्रस्य राज्ञी पद्मावती
सती आर्यावर्त्तस्य सा प्रोक्ता सर्वप्रथम शासिका।
एक दिन बेटी की भूगोल की
पुस्तक पढ़ रहा था, उसमें लिखा था कि उत्तरी ध्रुव
की खोज रोबर्ट ने की थी और
ज्वार भाटा के सिद्धांत का श्रेय वेवल को दिया गया है। हम कितने
मूर्ख हैं अपने बच्चो को क्या पढाते हैं। यह क्यों
नहीं बताते कि इन पाश्चात्य वैज्ञानिकों से पहले यह
ज्ञान भारतीयो के पास था।
आप रूस के टेक्सट बुक को पढें तो पाएंगे कि वे हर खोज को बताते
हैं कि यह तो रूस ने सदियो पहले कर ली
थी। वे तो विमान को भी ऐसा ही
बताते हैं और कभी भी यूरोप वालो को
वैज्ञानिक ही नहीं मानते, लेकिन रेडियो
हम बनाते है और आविष्कार मारकोनी हो जाते हैं।
हम उत्तरी ध्रुव पर तपस्या तक करते हैं और
खोजकर्ता रोबर्ट हो जाते हैं।
अरे याद आया मैंने तो सुना है कि भारत भी
किसी वास्कोडिगामा ने खोजा था, यह भी मैंने
पढा है। हां खोजा ही होगा क्योंकि मेरा भारत आज
भी कहीं खोया हुआ है सोया हुआ है।
वेदों में ध्रुव प्रदेश में होने वाले छह-छह मास के दिन-रात का
वर्णन है। ध्रुवों में छह मास का दिन व छह मास की
रात्रि मालूम करना ज्योतिष और भूगोल के महान सूक्ष्म ज्ञान पर
ही अवलंबित है।
पृथ्वी पर ऐसी कोई जगह न
बची थी, जिससे आर्य अपरिचित हों।
तभी तो आर्य साहित्य में लिखा है कि जिस समय लंका
में सूर्य उदय होता है, उस समय यमकोटि नामक नगर में दोपहर,
नीचे सिद्धपुरी में अस्तकाल और रोमक में
दोपहर रात्रि रहती है।
लंकापुरेsर्कस्ययदोदयः स्यात्तदा दिनार्द्ध यमकोटिपुर्याम्।अधस्तदा
सिद्धपुरेsस्तकालः स्याद्रोमके रात्रिददलं तदैव।
अतः रोबर्ट को उत्तरी ध्रुव का खोजकर्ता कहना गलत
है। ज्वार भाटा की बात आर्यों को ज्ञात
थी। हमारे लाखो साल पुराने साहित्य में लिखा है कि
यथार्थ में ज्वार भाटे से समुद्र का जल कम और अधिक
नहीं हो जाता। प्रत्युत अग्नि में थाली पर
जल रखने से जिस प्रकार वह उमड़ पड़ता है उसी
प्रकार चन्द्रमा के आकर्षण से ज्वार भाटा होता है।
स्थाली स्थमग्नि संयोगदादुद्रेकिसलिलं यथा।
तथेन्दुवृद्धौ सलिलमम्भौधौ मुनिसत्तमः। अतः विलियम वेवल ज्वार भाटा
सिद्धांत के जनक नहीं हैं।
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