Thursday, 9 April 2015

sanskar...........


ही कश्मीर में घुसपैठ हुई।
पाकिस्तान को बुरी तरह हार मिली।
लेकिन पाकिस्तान के नापाक इरादे कम नहीं हुए।
पूर्वी पाकिस्तान के लिए किया हमला
१९६५ में उसने दोबारा भारत पर हमला किया उसे फिर हार का
सामना करना पड़ा, लेकिन उसके नापाक इरादे कम नहीं
हुए। पाकिस्तान और भारत में छह साल बाद फिर भिड़न्त हुई।
इस बार मुद्दा बनी पूर्वी पाकिस्तान
(वर्तमान का बांग्लादेश) की आजादी।
नहीं हुआ बाल भी बांका
हर बार की तरह राजस्थान के
सीमावर्ती जिलों को भी बमों
और टैंकों की गूज से दहलना पड़ा, लेकिन एक
शहर ऐसा था जिसपर बमों की बारिश का
भी कोई असर नहीं हुआ। कहते हैं
इस शहर की रक्षा यहां की चामुंडा
माता कर रही थीं। १९७१ में भारत और
पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान कई बम और गोले
शहर और मंदिर के पास गिरे। लेकिन न तो शहर पर आंच आई
और न ही मंदिर को कुछ हुआ।
स्थानीय लोगों का इस बात पर अटूट विश्वास है कि
माता चामुंडा के रक्षा कवच ने उस समय जोधपुर की
रक्षा की थी। गौरतलब है कि १९७१
का युद्ध पाकिस्तान के घुटने टेकने के साथ १६ दिसंबर को खत्म
हुआ था।
५०० साल पुराना है यह शाही मंदिर
चामुंडा माता मंदिर एक शाही मंदिर है। १४६० में इस
मंदिर को जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने बनवाया था। यह मंदिर
जोधपुर में एक पहाड़ी पर बने मेहरानगढ़ किले के
दक्षिणी द्वार के पास स्थित है। यह जोधपुर के
शाही परिवारों के लिए पूजा की एक
मनपसंद जगह थी।
सूर्य नगरी की शान मेहरानगढ़ किला
जिसे जोधपुर का किला भी कहा जाता है
की अपनी अलग ही
पहचान है। मेहरानगढ़ किला १२० मीटर
ऊंची एक चट्टान पहाड़ी पर निर्मित
है। इस दुर्ग के परकोटे की परिधि १०
किलोमीटर तक फैली है। जोधपुर
शासक राव जोधा ने १२ मई १४५९ को इस किले की
नीव डाली महाराज जसवंत सिंह
(१६३८-७८) ने इसे पूरा किया।

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