सभी तस्वीरें भी देखें
क्या घटोत्कच का कंकाल छिपाया जा रहा है ??
Ghatotkach skeleton
http://ashutoshnathtiwari.blogspot.in
जय श्री राम मित्रों
एक लम्बे अंतराल के बाद अगले लेख की शुरुवात एक महाभारतकालीन तथ्य के आधार पर करना चाहूँगा. महाभारत में भीम और हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच का वर्णन है जो अत्यंत ही विशालकाय मायावी और बलशाली था. महाभारत के युद्ध में घटोत्कच ने एक निर्णायक भूमिका निभाई थी जब उसने कर्ण को उस शक्तिबाण का इस्तेमाल करने को विवश किया जिसको कर्ण ने अर्जुन को मारने के लिए संभाल कर रखा था..
आज जब हम इक्कीसवी शताब्दी में हैं और पूर्व में कई सौ वर्षो से हिन्दुस्थान ऐसे लोगो का गुलाम रहा जो हिन्दू संस्कृति को नकारने एवं हेय तथा काल्पनिक बताने के निकृष्ट यत्न करते रहे.वर्तमान तथा भूतकाल की कांग्रेस सरकारे भी हिंदुविरोधी और सम्प्रदाय विशेष के तुष्टिकरण की भावना से ग्रसित हैं अतः ये सरकार भी हिन्दू धर्म से सम्बंधित प्रतिक चिन्हों या स्थलों को सिरे से नकारने के प्रयत्न में लगी हुई है. यह सर्वविदित है की इसके पीछे वेटिकन और पोप का कांग्रेसी राजनेताओं के साथ कुख्यात गठबंधन है. इसी क्रम में उन्होंने सारे साक्ष्य उपलब्ध होने के बाद अयोध्या तथा राम को मानने से इनकार कर दिया . व्यापारिक हितो और व्यक्तिगत स्वार्थो के कारण राम सेतु के साथ साथ राम के अस्तित्व पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है जबकि हिन्दू धर्म के विभिन्न ग्रंथो से ले कर नासा तक राम सेतु के अस्तित्व को मानता है ..अगली घटना है उत्तर भारत में मिले एक महा मानव कंकाल की जिसकी उचाई लगभग अस्सी फुट कही जा रही है कुछ लोगो ने इसकी लम्बाई 60-70 फुट के लगभग अनुमानित किया है . यह घटना सन २००७ की है जब नेशनल जियोग्रफिकल टेलीविजन चैनल की भारतीय टीम और अर्कोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने सेना के अधिकार क्षेत्र में आने वाले एक रेगिस्तानी क्षेत्र की खुदाई में एक विशालकाय कंकाल को खोज निकाला. ऐसा कहा जा रहा है और तस्वीरो के देखने से प्रतीत होता है की इस मानव के खोपड़ी का आकर लगभग दस फुट में है. कुल मिलकर यह कंकाल सामान्य मनुष्य के कंकाल से लगभग दस बारह गुना ज्यादा बड़ा है . कुछ उपलब्ध तस्वीरे आप सभी से साझा कर रहा हूँ जिसकी सत्यता की अंतिम पुष्टि पोप और वेटिकन के दबाव में भारत सरकार ने रोक रखा है ..
क्या घटोत्कच का कंकाल छिपाया जा रहा है ??
Ghatotkach skeleton
http://ashutoshnathtiwari.blogspot.in
जय श्री राम मित्रों
एक लम्बे अंतराल के बाद अगले लेख की शुरुवात एक महाभारतकालीन तथ्य के आधार पर करना चाहूँगा. महाभारत में भीम और हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच का वर्णन है जो अत्यंत ही विशालकाय मायावी और बलशाली था. महाभारत के युद्ध में घटोत्कच ने एक निर्णायक भूमिका निभाई थी जब उसने कर्ण को उस शक्तिबाण का इस्तेमाल करने को विवश किया जिसको कर्ण ने अर्जुन को मारने के लिए संभाल कर रखा था..
आज जब हम इक्कीसवी शताब्दी में हैं और पूर्व में कई सौ वर्षो से हिन्दुस्थान ऐसे लोगो का गुलाम रहा जो हिन्दू संस्कृति को नकारने एवं हेय तथा काल्पनिक बताने के निकृष्ट यत्न करते रहे.वर्तमान तथा भूतकाल की कांग्रेस सरकारे भी हिंदुविरोधी और सम्प्रदाय विशेष के तुष्टिकरण की भावना से ग्रसित हैं अतः ये सरकार भी हिन्दू धर्म से सम्बंधित प्रतिक चिन्हों या स्थलों को सिरे से नकारने के प्रयत्न में लगी हुई है. यह सर्वविदित है की इसके पीछे वेटिकन और पोप का कांग्रेसी राजनेताओं के साथ कुख्यात गठबंधन है. इसी क्रम में उन्होंने सारे साक्ष्य उपलब्ध होने के बाद अयोध्या तथा राम को मानने से इनकार कर दिया . व्यापारिक हितो और व्यक्तिगत स्वार्थो के कारण राम सेतु के साथ साथ राम के अस्तित्व पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है जबकि हिन्दू धर्म के विभिन्न ग्रंथो से ले कर नासा तक राम सेतु के अस्तित्व को मानता है ..अगली घटना है उत्तर भारत में मिले एक महा मानव कंकाल की जिसकी उचाई लगभग अस्सी फुट कही जा रही है कुछ लोगो ने इसकी लम्बाई 60-70 फुट के लगभग अनुमानित किया है . यह घटना सन २००७ की है जब नेशनल जियोग्रफिकल टेलीविजन चैनल की भारतीय टीम और अर्कोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने सेना के अधिकार क्षेत्र में आने वाले एक रेगिस्तानी क्षेत्र की खुदाई में एक विशालकाय कंकाल को खोज निकाला. ऐसा कहा जा रहा है और तस्वीरो के देखने से प्रतीत होता है की इस मानव के खोपड़ी का आकर लगभग दस फुट में है. कुल मिलकर यह कंकाल सामान्य मनुष्य के कंकाल से लगभग दस बारह गुना ज्यादा बड़ा है . कुछ उपलब्ध तस्वीरे आप सभी से साझा कर रहा हूँ जिसकी सत्यता की अंतिम पुष्टि पोप और वेटिकन के दबाव में भारत सरकार ने रोक रखा है ..
इस कंकाल की विशालकायता का अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं की इसके आस पास काम करने वाले मनुष्य इसके सामने बौने प्रतीत हो रहे हैं.
घटना कुछ स्थानीय समाचार पत्रों में भी आई थी मगर सरकार के आदेश पर यह खबर दबा दी गयी. सन्दर्भ के लिए 8 सितम्बर २००७ के एक समाचार पत्रों में निकली इस खबर की कापी मिली है जो आप सब से साझा कर रहा हूँ. हालाँकि सरकार ने अब तक्ल इस खबर की न तो पुष्टि की है न ही खंडन ..
घटना कुछ स्थानीय समाचार पत्रों में भी आई थी मगर सरकार के आदेश पर यह खबर दबा दी गयी. सन्दर्भ के लिए 8 सितम्बर २००७ के एक समाचार पत्रों में निकली इस खबर की कापी मिली है जो आप सब से साझा कर रहा हूँ. हालाँकि सरकार ने अब तक्ल इस खबर की न तो पुष्टि की है न ही खंडन ..
इस कंकाल से पहले हम हिन्दू धर्मग्रंथो में वर्णित राक्षसों का अस्तित्व इस कारण अस्वीकार कर देते थे क्यूकी खुदाई में आज तक मिले मनुष्य का कंकाल सामान्यता 6-8 फीट के होते थे अब जब 80 फीट का कंकाल भारत सरकार को मिला है जो की भारत में विशालकाय प्राणियों(राक्षसों) के होने की ओर इशारा करती है वहीं भारत सरकार इस तथ्य को भरसक छिपाने का प्रयास कर रही है. अखबारके अनुसार 80 फीट के नरकंकाल के पास से ब्रह्म लिपि में एक शिलालेख भी प्राप्त हुआ है। इसमें लिखा है कि ब्रह्मा ने मनुष्यों में शान्ति स्थापित करने के लिए विशेष आकार के मनुष्यों की रचना की थी। विशेष आकार के मनुष्यों की रचना एक ही बार हुई थी। ये लोग काफी शक्तिशाली होते थे और पेड़ तक को अपनी भुजाओं से उखाड़ सकते थे। लेकिन इन लोगों ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया और आपस में लड़ने के बाद देवताओं को ही चुनौती देने लगे। अन्त में भगवान शिव ने सभी को मार डाला और उसके बाद ऐसे लोगों की रचना फिर नहीं की गई। महाभारत में ये वर्णित है की घटोत्कच ने मरते समय अत्यंत विशाल आकर धारण किया था और कर्ण के शक्तिबाण से मरने के पूर्व कौरव सेना का एक बड़ा भाग घटोत्कच के शारीर से दब कर नष्ट हो गया . अब ये कंकाल उसी ओर इशारा करता है संभव है की ये कंकाल घटोत्कच का हो या उसी के सामान किसी राक्षस का हॉप मगर इससे एक बात अवश्य प्रमाणित हो जाती है की भारत में इस आकार के मानव(या राक्षसों ) का अस्तित्व था जैसा की हमारे धर्मों में वर्णित है
यदि वैज्ञानिक दृष्ठि से देखें तो इसे घटोत्कच का कंकाल मानने के लिए एक बड़े शोध की जरुरत है मगर इस बात को प्रथम दृष्टया समझा जा सकता है की हमारे धर्मग्रंथो में वर्णित इतने बड़े व्यक्ति भारत में पाए जाते थे तभी इतना विशालकाय कंकाल प्राप्त हुआ है.यह उन लोगो को उस भारतीय शोधपरक धर्म और धर्मग्रंथो की ओर आकर्षित करने के लिए पर्याप्त है जिनके विज्ञान ने कल्पना में भी इस महामानव की कल्पना नहीं की होगी..
यदि वैज्ञानिक दृष्ठि से देखें तो इसे घटोत्कच का कंकाल मानने के लिए एक बड़े शोध की जरुरत है मगर इस बात को प्रथम दृष्टया समझा जा सकता है की हमारे धर्मग्रंथो में वर्णित इतने बड़े व्यक्ति भारत में पाए जाते थे तभी इतना विशालकाय कंकाल प्राप्त हुआ है.यह उन लोगो को उस भारतीय शोधपरक धर्म और धर्मग्रंथो की ओर आकर्षित करने के लिए पर्याप्त है जिनके विज्ञान ने कल्पना में भी इस महामानव की कल्पना नहीं की होगी..
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