ये हैं वो दो बेटियां, जिन्हें कंठस्थ हैं यजुर्वेद के 4 हजार मंत्र
श्रद्धानंद अनाथाश्रम की दो बेटियां उत्तराखंड में द्रोणास्थली आर्श कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में करनाल सहित पूरे प्रदेश का मान बढ़ा रही हैं। दोनों ही बेटियां आचार्य एमए प्रथम वर्ष की छात्राएं हैं और गुरुकुल में हाल ही में अपनी-अपनी कक्षाओं में पहला स्थान अर्जित कर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
उन्हें यजुर्वेद के चार हजार मंत्र कंठस्थ हैं। अनाथाश्रम की इन बेटियों रमा आर्य और कविता आर्य की उपलब्धि से श्रद्धानंद ट्रस्ट भी गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
उन्हें हिंदी और संस्कृत के साथ ही अंग्रेजी भाषा की भी समझ है। रविवार को आश्रम में आयोजित 51 कुंडीय यज्ञ में पहुंचे राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने इन दोनों छात्राओं को शॉल और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
अमर उजाला से विशेष बातचीत में दोनों ने बताया कि वह पिछले 12 साल से देहरादून गुरुकुल में रह रही हैं। अब उनका लक्ष्य अपने विषय में बीएड करने के बाद उच्चपदों तक पहुंचना है। सफल होने के बाद वह अनाथाश्रम के कम से कम 10-10 बेहसारा बच्चों को वह सबकुछ देना चाहती हैं, जो एक परिवार के बच्चे को मिलता है।
चारों वेदों का ज्ञान, यजुर्वेद कंठस्थ
कर्णनगरी की इन लाड़लियों को चारों वेदों का ज्ञान है। इसके साथ ही यजुर्वेद के सभी चार हजार मंत्र कंठस्थ हैं। इतना ही नहीं वेदपाठ, वैदिक शिक्षा, शास्त्र-शस्त्र और पाणिनी शिक्षा का भी यह ज्ञान रखती हैं। वेद, वेदांग, दर्शन-साहित्य में मास्टर डिग्री के लिए दोनों प्रयासरत हैं।
अनाथाश्रम में मिलता है घर से बढ़कर प्यार
पिछले करीब 12 साल से दोनों गुरुकुल में रह रही हैं। जून की छुट्टियों में या किसी उत्सव में वह देहरादून से यहां आती हैं, तो उन्हें अनाथ आश्रम में घर से बढ़कर प्यार मिलता है।
कविता ने बताया कि उनसे मिलने अनाथाश्रम से साल में दो-तीन बार कोई न कोई जरूर आता है। उनके देहरादून में रहने और पढ़ाई का सारा खर्चा अनाथ आश्रम ही उठाता है।
प्रदेश की सात कन्याओं में तीन करनाल की
देहरानदून गुरुकुल में हरियाणा की सात छात्राएं संस्कृत की शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। इनमें से तीन श्रद्धानंद अनाथाश्रम की हैं, जबकि चार अन्य जिलों की हैं। रमा ने बताया कि वह सुबह चार बजे उठने के बाद पांच बजे से साढ़े पांच बजे तक प्रतिदिन व्यायाम करती हैं। इसके बाद साढे़ छह बजे से सात बजे तक रोज यज्ञ करती हैं।
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